परमात्मा की कृपा से हमें अच्छी बुद्धि मिली है, इसका सही उपयोग करें: साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

परमात्मा की कृपा से हमें अच्छी बुद्धि मिली है, इसका सही उपयोग करें: साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। जीवन को जीवंत रखने सभी मनुष्य को परमात्मा की कृपा से अच्छी सोच और अच्छी बुद्धि मिली है। इस बुद्धि का सही उपयोग करने का रास्ता हमें गुरु दिखाते हैं। यह बातें न्यू राजेंद्र नगर के मेघ-सीता भवन, महावीर स्वामी जिनालय परिसर में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान बुधवार को साध्वी श्री स्नेहयशाश्रीजी ने कही।

साध्वीजी कहती है कि जीवन को पूर्ण और पवित्र बनाने के लिए हमें चार चीजें याद रखनी चाहिए। पहला है जोड़, दूसरा घटाना, तीसरा भाग और चौथा है गुणा करना। गणित के सभी सवाल इन्हीं चार चीजों से हल होते हैं। हमारा जीवन भी इसी पर आधारित है। कभी हम जोड़ की जगह घटा देते हैं तो कभी गुणा करने की जगह भाग दे देते हैं। प्रवचन में जाने से हमें इसका सही उपयोग करना सीखने को मिलता है। हमें अपनी समझ को गुणा करना है। हमें दूसरों की समझ है पर अपने खुद की नहीं। दूसरों को समझाने से अच्छा है पहले खुद को समझाएं। समझदारी के कई उदाहरण हमें कई बार बच्चों से भी सीखने को मिलते हैं।

समझदार बनना बच्चों से सीखो

साध्वीजी कहती है कि एक बार की बात है पिता की तबीयत खराब हो जाती है, उनके 3 पुत्र होते हैं। पिता अस्पताल में रहते हैं और तीनों को अपने पास बुलाते हैं। वह कहते हैं कि अब समय आ गया है कि मेरी संपत्ति का हिस्सा बटवारा हो जाए ताकि तुम सभी सुखी रहो और आपस में प्रेम के साथ मिलजुल कर जीवन बिताओ। मेरे पास एक करोड़ रूपए है। इसे मैं तुम तीनों में बांटना चाहता हूं। इस पर छोटा बेटा कहता है कि बंटवारे का हिसाब किताब मैं करूंगा। पिता कहते हैं कि तेरे से बड़े दो भाई हैं, तुम अभी छोटे हो। अभी पढ़ ही रहे हो, तुम कैसे बंटवारा कर सकते हो। उसके जिद करने पर वे कहते हैं कि चलो देखते हैं कि कैसे हिसाब किताब करोगे। बड़े भैया 45 साल के हैं और छोटे भैया 35 साल के हैं और मैं 20 साल का हूं। बड़े भैया के बच्चे भी बड़े हैं और छोटे भैया के बच्चे अभी छोटे हैं। मैं तो अभी पढ़ ही रहा हूं इसीलिए बड़े भैया को 45 लाख छोटे भैया को 35 लाख और मुझे 20 लाख रुपए के हिसाब से बंटवारा कर दिया जाना चाहिए। साध्वीजी कहती हैं कि आपको अपनी समझदारी बढ़ानी होगी। ऐसा करने से आप अपने घर को मंदिर बना सकते हैं।

खुद और खुदा, दोनों पर विश्वास रखो

वैसे ही अपेक्षाओं को अपने जीवन से घटाना है। अविश्वास को भाग देना है। कभी किसी पर अविश्वास मत करो। घर में छोटा भाई अपनी मां से कहता है की भाभी के चरित्र पर मुझे शंका है। मां नहीं मानती और कहती हैं कि ऐसा नहीं हो सकता है, लगता है कि तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है। वह कहता है कि मैंने एक नहीं दो बार उन्हें अलग अलग लड़कों से बात करते हुए देखा है। मां नहीं मानती फिर भी वह कहती है कि चलो मैं बात करके देखती हूं। मां बहू से कहती है कि बहुत दिन हो गए तुमने अपने पीहर का हाल-चाल नहीं जाना। चलो घर पर फोन लगा लो और सबका हालचाल जान लो। बहु कहती है कि हालचाल जानने के लिए फोन लगाने की जरूरत नहीं है कुछ ही दिन पहले भाई मुझसे मिलने आया था उसने बताया कि घर में सब सब ठीक है। अभी एक हफ्ते पहले ही पड़ोस में रहने वाला परिवार हमारे शहर आया था। वे अचानक मुझे मिल गए और बात हुई तो उनके लड़के से मैंने फिर एक बार उनका हालचाल पूछा तो उसने भी बताया कि घर पर सब लोग ठीक है। इस पर मां अपने छोटे बेटे की कही बात को बहु की बात से जोड़ती है तो उन्हें सच्चाई का पता लग जाता है। साध्वीजी कहती हैं कि किसी को का विश्वास की नजरों से ना देखें। खुद और खुदा पर विश्वास रखें सब ठीक ही होगा।

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