क्रोध, मान, माया, लोभ-त्याग, सामायिक, प्रतिक्रमण, साधना, आराधना में भाग लें…. रविवार से पर्यूषण पर्व सभी संयमित अनुशासित होकर आए: शीतल राज मुनि

क्रोध, मान, माया, लोभ-त्याग, सामायिक, प्रतिक्रमण, साधना, आराधना में भाग लें…. रविवार से पर्यूषण पर्व सभी संयमित अनुशासित होकर आए: शीतल राज मुनि

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 30 अगस्त। स्थानीय पुजारी पार्क स्थित मानस भवन में आयोजित नियमित प्रवचन में आज शीतलराज मुनि श्री ने क्रोध, मान, माया, लोभ के साथ ही आत्मा एवं 18 पापों को लेकर पुन: उपिस्थतजनों को इसके बारे में समझाये। कहा आगामी 1 सितम्बर रविवार को पर्यूषण पर्व प्रारंभ हो रहा है। आप सभी दया का भाव रखते हुए नियमित नवकार मंत्र पाठ, सामायिक, प्रतिक्रमण, संवर में पुरी विधि विधान अनुशासित होकर भाल लें।

पर्यूषण पर्व हमारा सबसे महत्वपूर्ण पर्व है जो तीर्थंकरों के बताए मार्ग की याद दिलाता है। जिंदगी में सही मार्ग पर चलते हुए आत्मा को मुक्त करने की प्रेरणा देता है, उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं, साधकों को स्पष्ट कहा कि 8 दिन के पर्यूषण पर्व कार्यक्रम में सुबह 8 बजे आ जावे। वैसे पुरा दिन कार्यक्रम चलेगा। जहां तप, तपस्या, साधना,आराधना, सामायिक प्रतिक्रमण के साथ ही रात्रि संवर भी करें।

उन्होंने कहा तीर्थंकर भगवन्तों ने भव-भव का भेद करने के लिए अकांतवाद नहीं अनेकांतवाद को फैलाया। हमारे जीवन में भगवान महावीर को सिद्धांत हो तो कषाय कम होगी। प्रभु ने कषाय करने के लिए दोनों पर बोले है। महापुण्य से मनुष्य जन्म मिलता है। क्रोध, मान, माया, लोभ से बचे।
शीतलराज मुनि ने कहा धर्म का लाभ, प्रवचन का लाभ लेना हो तो अनुशासित होकर आए। साधक खाने में कंट्रोल रखें। रात्रि भोज का त्याग भी हो, शरीर के चार पदार्थ आत्मा के भी चार पदार्थ है। पर्यूषण पर्व में शरीर की खुराक का ध्यान भी रखें। तप, तपस्या, सामायिक, साधना, प्रतिक्रमण, संवर करें।

पर्यूषण पर्व हमें ज्ञान देने को जीवन का उत्थान देने प्रारंभ हो रहा है। 18 पापों में लगे मत रहो। किसी प्रकार के कर्म बंधन से बचे, नियम पालें। 8 दिनों में भगवान महावीर स्वामी तीर्थंकरों की वाणी हमें मोक्ष में जाने का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि 1 सितम्बर रविवार से पर्यूषण पर्व प्रारंभ हो रहा है। पूरे 8 दिन आए सुबह 8.10 से 10.30 तक भाग लें। नवकार मंत्र के पाठ में भी नियमित अनुशासित होकर पूरे विधि विधान से भाग लें। महापुरुषों की जीवनी सुने। तपस्या से से परिवर्तन आएगा।


जैन सिद्धांत में पहले संयम फिर तप जीवन उसी का हो कहा पहले पाप को रोके,पाक रोककर तपस्या करें। केवल सुनकर ही नहीं, सुनकर उस पर चिंतन मनन भी करें। बिना संवर तपस्या के सामायिक तपस्या का महत्व नहीं संवर तपस्या का महत्व समझे। इसका कितना बड़ा प्रभाव है अनेक महापुरुष हुए जिनके शरीर के रोम-रोम में रहा।

उन्होंने कहा आवश्यकता है कि हम विधि पूर्वक साधना करें, खाली जय-जय न करें। महापुरुषोंकी जीवनी सुने, जीवन पर चिंतन मनन करें। अनुपेक्षा पर कहा स्वाध्याय किए बिना कितना भी सुन लो पढ़लो इसके बिना कल्याण नहीं होगा। वाणी ही नहीं केवल संतों के दर्शन मात्र से भी ज्ञान होता है। साधक कोई भी हो अपने को ज्ञान चाहिए सभी अज्ञानता में रम रहे है। ज्ञान के बिना सभी अछूरा है। भगवान महावीर ने कहा संसार के जितने भी दुख है दुखों का कारण अज्ञानता है।

मोक्ष गामी जीवों का मनन सुनेंगे, उसे सुनकर आत्मासात करेंगे। उन्होंने पुन: कहा सामायिक उपकरण का ध्यान रखें, सही उपयोग करें। पर्यूषण पर्व के 8 दिन अपना समय, ध्यान,आराधना, साधरना, तप-तपस्या, सामायिक संवर, प्रतिक्रमण में समय दें। नवकार पाठ में भाग लें तथा रविवार को दया दिवस में भाग लें। सभी को आकर्षक स्मृति चिन्ह के साथ बहुमान, सम्मान किया जावेगा।


समिति के पदाधिकारी सुरेश जैन नियमित संवर करने वालों की जानकारी दी। 1 सितम्बर से आयोजित पर्यूषण पर्व के कार्यक्रमों की जानकारी दी। सुश्रावक प्रेमचंद भंडारी ने तप-तपस्या, उपवास इत्यादि करने वालों को पचखान दिलाने की दिशा में प्रस्तुति की। बताया मोहित चौरडिय़ा का 22 पचखान है। इस अवसर पर पर्यूषण पर्व में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में मध्यप्रदेश के धार सहित कई स्थानों से जैन समाज के लोग शीतलराज मुनि के मंगल पाठ व प्रवचन इत्यादि का लाभ लेने पहुंच रहे है। शीतलराज मुनि ने राजस्थान के पाली, बालोतरा के पूर्व में संपन्न विभिन्न आयोजनों की जानकारी सोदाहरण दी।

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