काठमाण्डौ नेपाल (अमर छत्तीसगढ) 20 अगस्त।
।।स्वास्थ्य सप्ताह का आयोजन ।।
आज की बिजी लाइफस्टाइल और वर्किंग स्टाइल में चिंता और तनाव एक आम बात है। हर उम्र के व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार का तनाव रहता ही है। लेकिन समस्या तब होती है जब यह जरुरत से ज्यादा बढ़ जाता है और इसका स्वास्थ पर भी प्रभाव होने लगता है। तनाव से ग्रस्त व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से बीमार होता है। इसलिए यह जरूरी है कि इस परेशानी को बढ़ने से रोकने के लिए समय रहते ही उपाय किये जाएं।
चिन्ता चिता में आधा न् का ही अंतर होता है। परन्तु अंतर बहुत बडा हो जाता है। चिन्ता चिता के समान होती है। चिता पर आदमी एक बार जलता है वहीं चिन्ता न जाने कितनी बार आदमी को जलाती है उपरोक्त विचार आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ने आज तेरापंथ कक्ष स्थित महाश्रमण सभागार में आयोजित हुआ *”स्वास्थ्य सप्ताह के अंतर्गत *”चिन्ता छोडे , सुख से जीये”* विषय पर प्रवचन करते हुए व्यक्त किये ।
आपने तनाव प्रबंधन के मह्त्व पूर्ण सूत्र बताये जैसे- तनाव ( Anxiety ) क्या होता है? तनाव (Anxiety) एक तरह का मानसिक विकार है।
तनाव के लक्षण क्या है?
सर में दर्द रहना, उदास रहना, किसी काम में मन ना लगना, अधिक या कम सोना, अधिक या कम खाना, अपने को दूसरों से कम आंकना, अपने ऊपर विश्वास न होना, मौत या खुदकशी जैसे ख्याल आना, खुश होने वाली बात पर भी गुस्सा आना, कम बोलना तनाव के लक्षण हैं।
तनाव मुक्त जीवन शैली कैसे अपनायें इन्हें विस्तार से समझाया। मुनि रत्न कुमार जी ने नमस्कार महामंत्र के महत्व को समझाया।
संप्रसारक
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा काठमाण्डौ नेपाल