बेमेतरा(अमर छत्तीसगढ)18 मई 2025/- कलेक्टर एवं सह अध्यक्ष जिला बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति महिला एवं बाल विकास रणबीर शर्मा की अध्यक्षता में आज यहाँ कलेक्ट्रेट के दिशा सभाकक्ष में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु कार्यशाला आयोजन किया गया ।
कार्यशाला में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रामकृष्ण साहू, न्यायपीठ के अध्यक्ष श्रीमती निवेदिता जोशी, सदस्य प्रफुल शर्मा, किशोर न्याय बोर्ड सामाजिक कार्यकर्ता शेषनारायण मिश्रा, श्रीमती मनीष तिवारी, डीएसपी राजेश कुमार झा, डीएसपी श्रीमती कौशिल्या साहू ,जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रबेश सिंह सिसोदिया एवं जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी सी.पी. शर्मा एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी व्योम श्रीवास्तव सहित जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारी सहित जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड हेल्पलाइन, नवा बिहान, मिशन शक्ति, सखी वन स्टाप सेंटर के समस्त अधिकारी/कर्मचारियों की उपस्थित थे |कार्य शाला का आयोजन जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा किया गया |

इसमें किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु बच्चों के सर्वोत्तम हित में लंबित प्रकरणों के निराकरण हेतु संवेदीकरण है ।कलेक्टर एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने दीप प्रज्वलित कर इस कार्यशाला का शुभारंभ किया ।
कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम न केवल एक कानूनी दस्तावेज है, बल्कि यह हमारे समाज की उस संवेदनशील सोच का प्रतीक है, जो बालकों के अधिकारों, उनके संरक्षण और पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि “हमें अपचारी बच्चों को अपराधी नहीं, बल्कि सुधार और स्नेह की आवश्यकता वाले बालक के रूप में देखना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि लघु एवं गंभीर अपराधों के मामलों में बच्चों पर बिना सोचे समझे FIR दर्ज करना, उनके जीवन को पूरी तरह बदल सकता है। इसके स्थान पर हमें संवेदनशीलता, परामर्श और पुनर्वास के माध्यम से न्याय देना होगा।
कलेक्टर श्री शर्मा ने निर्देशित किया कि ऐसे प्रकरणों का शीघ्र निपटारा हो, ताकि बालकों को लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना न पड़े और उनका बचपन संरक्षित रह सके। उन्होंने प्रत्येक विभाग को समन्वय के साथ कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि “यह जिम्मेदारी केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है कि हम हर बच्चे को एक सुरक्षित, सम्मानजनक और उज्ज्वल भविष्य दें।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री रामकृष्ण साहू ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस विभाग की भूमिका न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशील और जिम्मेदार सहयोगी के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “जब हम एक बच्चे से बात करते हैं, तो हमें एक अधिकारी नहीं, एक संरक्षक की तरह व्यवहार करना चाहिए।
श्री साहू ने सभी थाना प्रभारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया कि ऐसे मामलों में तत्काल और मानवीय दृष्टिकोण से कार्यवाही करें। FIR दर्ज करने से पहले हर केस की गंभीरता, बच्चे की मानसिक अवस्था, पारिवारिक पृष्ठभूमि आदि को ध्यान में रखा जाए।
उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन कानून का पालन करते हुए मानवीय संवेदनाओं का सम्मान करे, जिससे बालकों में व्यवस्था के प्रति विश्वास बना रहे। उन्होंने आश्वासन दिया कि पुलिस विभाग इस दिशा में हर संभव सहयोग प्रदान करेगा और ऐसी कार्यशालाएं समय-समय पर आयोजित कर अधिकारियों को प्रशिक्षित करती रहेंगी।
कार्यशाला में बाल अधिकारों की रक्षा हेतु सामूहिक भागीदारी पर बल देते हुए कहा कि बाल संरक्षण कोई विकल्प नहीं, बल्कि हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने उपस्थित सभी विभागों को निर्देशित किया कि बालकों के हित में परस्पर तालमेल और समयबद्ध कार्रवाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए|