हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 7 अगस्त। सामने वाला आपके प्रति गुस्सा दिखाए तो आप बदले में प्रेम दिखाए क्योंकि उसके पास गुस्सा था जो दे रहा है लेकिन आपके पास प्रेम है तो आप गुस्सा क्यों दे रहे हो। ऐसी सोच दिखाएंगे तो ही रिश्ते आगे बढ़ेंगे। जिसे हम हकीकत में चाहते है उससे कुछ भी नहीं चाहते लेकिन जिसे चाहने का नाटक करते है उसका सकुन,शांति सब कुछ छीन लेते है। जब तक हम एक दूसरे को अच्छी नहीं लगने वाली बाते भूलेंगे नहीं तब तक रिश्ते सुधरेंगे नहीं। जीवन में इसलिए सारे विवाद है क्योंकि भूलने वाली सारी बाते हम याद है।
ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में बुधवार को चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जब तक हम भूलने योग्य बातों को याद रखेंगे रिश्तों में परेशानी आए बिना नहीं रहेगी।
जिन बातों से तनाव बढ़ता है शांति खत्म होती है उन्हें भूलते जाओ। प्रतिक्रमण याद नहीं हो तो कोई बात नहीं पर जो बाते रिश्ते बिगाड़ती है उन्हें भूलना जरूरी है। आपसी सामांजस्य के अभाव में गलतफहमियां पैदा होती है ओर रिश्ते बिगड़ते है। रिश्तों के किलर नहीं जख्मों को भरने वाला बनो।
मुनिश्री ने कहा कि जैसी हमारी सोच व भावना होगी वैसा ही हमारा भाग्य बनेगा। हमारा भाग्य बनाना हमारे ही हाथ में है। हमारी सोच व विचारों के अंदर हमारी तकदीर बैठी हुई है। जैसी सोच रहेंगी वैसा ही कार्य करेंगे। समकित यात्रा का मतलब सोच बदलना है। चौथे गुणस्थान पर प्रवेश करना चाहते है तो अपनी सोच बदलनी होगी। अपनी सोच को सकारात्मक बना समकित यात्री बन जाते है।
समकितमुनिजी ने कहा कि समकित यात्री पाप करने पर कभी उसे अच्छा नहीं समझता ओर महसूस करता है कि वह गलत कर रहा जबकि समकित यात्री नहीं बनने तक व्यक्ति पाप करने पर भी मानता है कि वह अच्छा कर रहा है।
मजा करने में मजा तभी तक आता है जब तक उसके पीछे छुपी हुई सजा को नहीं देख पाता है। समकित यात्री जिंदगी में सोच में बदलाव लाता है। हमारा ध्यान जिंदगी में क्या सहीं है इस तरफ कम जाता ओर कौन सही कौन गलत इस तरफ ज्यादा जाता है। हम जो मिला उसमें खुश रहना सीख जाए तो जिंदगी अच्छी बन जाएगी।
किसी को वहीं दे जो हमारे लिए भी काम का हो
प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि द्रव्य शुद्धि के साथ आहार देने वाले ओर लेने वाले की भी शुद्धि हो तो लेने ओर देने वाले दोनों सुगति में जाते है। जीवन में द्रव्य शुद्धि बहुत जरूरी है। हम किसी को वहीं भोजन पानी दे जो हमारे उपयोग योग्य हो। ऐसी कोई वस्तु दूसरों को देने का लाभ नहीं मिलेगा जिसका हम उपयोग अपने लिए नहीं करना चाहते है। जो भोजन हमारे लिए बासी है वह किसी ओर को खिलाने पर लाभ नहीं मिलने वाला।
प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘गुरूदेव मेरे दाता मुझको ऐसा वर दे,सेवा,संयम,सुमिरन मेरी झोली में भर दे’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के मंत्री पवन कटारिया ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।
सुश्राविका सुरेखा ने 98 एवं शांताबाई ने लिए 9 उपवास के प्रत्याख्यान
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा की प्रेरणा से चातुर्मास में तप-त्याग तपस्याओं का ठाठ लगा हुआ है। सभा में उस समय अनुमोदना के जयकारे गूंजायमान हो उठे जब कन्याकुमारी से आई सुश्राविका सुरेखा बाफना ने 98 उपवास एवं पूना की श्राविका शांताबाई फूलफगर ने 8 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए। 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना के 12 वेें दिन आराधकों ने उपवास व्रत के प्रत्याख्यान लिए। करीब 180 आराधक यह आराधना कर रहे है।
ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में 11 अगस्त को पुण्यकलश आराधकों का बग्गी में बिठा वरघोड़ा निकालने के साथ तप अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित होगा। अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित 15 दिवसीय चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप भी गतिमान है। तप के पांचवें दिन मंगलवार को 11 द्रव्य मर्यादा रही। प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 17 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627