रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। न्यू राजेंद्र नगर के मेघ-सीता भवन, महावीर स्वामी जिनालय परिसर में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान गुरुवार को साध्वी श्री स्नेहयशाश्रीजी ने कहा कि जब किसी को कोई बीमारी हो और उसे पता ना चले तो वहां हमेशा अपना चेकअप करवाते रहता है। वहीं अगर किसी को कैंसर का पता चल जाए तो वह है जाग जाता है। बीमारी का पता चलने के बाद वह जीने लगता है। जब आप किसी राज को जानना चाहते हैं तो आप अपना दिमाग उसी विषय पर लगाए रखते है। फिर जब वह राज आपके सामने खुल जाए तो आपको हैरानी नहीं होती है।
साध्वी जी कहती है कि हमारा शरीर रोगों का घर है। रोगों का पता समय के साथ चलता है। कुछ रोग आपमें बचपन से होते है और वृद्धावस्था में उनका पता चलता है। हमारे शरीर में 3.50 करोड़ रोंग है और सभी रोंग अपने साथ पौने दो रोग लेकर चलते है। इसीलिए हमें शरीर से मोह नहीं होना चाहिए, हमें आत्मा को लेकर आगे बढ़ना है। सुबह हो या शाम आपका शरीर कहीं ना कहीं आपको दर्द देता है। सुबह पैर दर्द दे सकते हैं और शाम को हाथ, सिर और पीठ का भी यही हाल होता है। क्योंकि शरीर के अंदर दुखों का भंडार पड़ा हुआ है। ज्ञान आज तक हमें सिखाता है कि जितने भी रोग हैं उन्हें साक्षी भाव से देखो। एक दीया तब तक जलता रहता है, जब तक वह कवर से ढंका हो। एक बार कवर हटाया जाए तो दीया बुझ जाएगा।
शुद्धता के साथ आगे बढ़ो
साध्वी जी कहती है कि हमारी आत्मा का कवच शरीर है। कर्मों को बांधने से यह कवच बचाने का काम करता है। हमारे जन्म से ही आत्मा शरीर के साथ रहती है। जब आत्मा अकेली हो जाए तो समझ लेना उसे मोक्ष प्राप्त हो गया। वैसे तो शरीर अन्न का कीड़ा है। बिना अन्न ग्रहण करें यह जीवित नहीं रह सकता। वैसे ही खाने में एक दिन नमक या मिर्ची कम हो जाए तो आपको खाने का मन नहीं होता। ऐसा खाना अगर आप खा लो तो आपके मुंह का स्वाद खराब हो जाएगा। जबकि हमें शुद्धता की ओर जाना है। शुद्धता की ओर बढ़ोगे तो आपको खाने के स्वाद से मतलब नहीं होगा। वैसे ही कोई दृष्टिहीन व्यक्ति किसी कॉलोनी से बाहर निकलना चाहे तो वह दीवार का सहारा लेकर घूमते हुए दरवाजे तक पहुंचना चाहेगा। एक दृष्टिहीन व्यक्ति दीवार का सहारा लेकर गेट तक तो पहुंच जाता है पर ऐन वक्त में उसके सिर में खुजली होती है। वह अपने हाथ से सिर खुजाने लगता है लेकिन उसका पैर आगे की ओर बढ़ते रहता है। इतने में वह व्यक्ति उस दरवाजे को पार कर लेता है और आगे निकल जाता है। वैसे ही हम सब धर्म करते हैं और जब मोक्ष प्राप्ति की बात आए तो हम थोड़ा पीछे पड़ जाते हैं और चूक जाते हैं।
पंचपरमेष्ठी तप की हुई शुरुआत
न्यू राजेंद्र नगर में पहली बार महावीर स्वामी जिनालय में साध्वी स्नेहायशाश्रीजी की पावन निश्रा में 15 सितंबर, गुरुवार से 19 सितंबर 2022 तक पंच परमेष्ठी वर्ण एकासना तप किया जा रहा है। श्री जैन श्वेतांबर आध्यात्मिक चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्री विवेक डागा जी ने बताया कि इस तप में आपको प्रतिदिन पांच द्रव्य से एकासना करना है। इस प्रकार एक द्रव्य पानी, दूसरा द्रव्य दूध या चाय, अन्य तीन द्रव्य में दो नमकीन और एक मीठा होगा। सभी श्रावकों से अपील है कि वे अधिक से अधिक संख्या में तप के लाभार्थी बनें।