गुरु पात्रता देखते हैं, सच्चे शिष्य बनिएं – जैन संत हर्षित मुनि

गुरु पात्रता देखते हैं, सच्चे शिष्य बनिएं – जैन संत हर्षित मुनि

शिष्य को अहम नहीं होना चाहिए

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 26 सितंबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने आज यहां कहा कि गुरु शिष्य बनाने से पहले उसकी पात्रता देखते हैं। हमें भी सच्चा शिष्य बनना चाहिए। शिष्य को अहम नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई बार गुरु बिना प्रश्न पूछे पात्रता की परीक्षा ले लेते हैं। पारखी नजर वाले सभी चीजों पर गौर करते हैं, वे देखा देखी नहीं चलते।
समता भवन में आज जैन संत श्री हर्षित मुनि ने शिष्य कैसा होना चाहिए ,के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि गुरुदेव हमसे क्या चाहते हैं, यह हम नहीं देखते हैं, हम तो केवल उनका उपदेश सुनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि शिष्य की यही प्रवृत्ति राग है और राग पीड़ा देता है। राग अर्थात अहम, शिष्य यह चाहता है कि उसकी बात सुनी जाए, यही शिष्य का अहम है। यह अहम टूटना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब हमारा अहम कमजोर होता है तो आत्मा प्रसन्न होती है और अहम मजबूत होता है तो आत्मा दुखी होती है। अच्छी चीजों के साथ यदि एक अहम की खराब बूंद मिल जाती है तो सब कुछ अच्छा होते हुए भी वह चीज खराब हो जाती है। हमें सदैव जागृत रहना चाहिए।
मुनि श्री ने फरमाया कि हमें कम से कम धर्म के कार्य में अहम नहीं करना चाहिए ।हमें जब भी अहम आ जाए तो महापुरुषों के बारे में सोचना चाहिए कि उन्होंने इतना ज्ञान हासिल किया परंतु उन्हें अहम नहीं आया और हम तो उनके सामने में कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि हम ध्यान पूर्वक गुरुदेव से कुछ सुने तो वह चीज हमारे भीतर तक जाएगी। गुरुदेव कुछ कहें तो उसे मानना चाहिए, मना नहीं करना चाहिए। मना और मन में बहुत अंतर है। जब एक बार मन का बवाल उठता है तो वह किसी को नहीं छोड़ता। गुरुदेव ने कहा कि कचरा निकालिए तो शिष्य को भीतर का कचरा बाहर निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि गलती को बाहर निकालेंगे तो ही गलती बाहर निकलेगी। हम गलतियों को छिपाकर यह सोचते हैं कि मैं बच गया किंतु वास्तविकता यह है कि हमारे भीतर का कचरा बच गया है। इस कचरे को बाहर निकालिए। आप जो भी काम कर रहे हैं उसे तल्लीनता पूर्वक कीजिए। उन्होंने कहा कि हम अपना मन बनाएं कि हम सच्चे शिष्य बने और अपनी सहनशक्ति बढ़ाएं। सहनशक्ति बढ़ाएंगे तो हमें समाधि की दिशा अवश्य मिलेगी। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

Chhattisgarh