विद्या ग्रहण करने के लिए गुरु के प्रति विनय का भाव होना चाहिए – जैन संत हर्षित मुनि

विद्या ग्रहण करने के लिए गुरु के प्रति विनय का भाव होना चाहिए – जैन संत हर्षित मुनि

जैन संत ने कहा कि गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 28 सितंबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि विद्या ग्रहण करने के लिए गुरु के प्रति विनय का भाव होना जरूरी है। बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त करना संभव नहीं है। हमने जिसके पास एक पद भी सीखा,वह हमारा गुरु होता है।
गौरव पथ स्थित समता भवन में आज जैन संत श्री हर्षित मुनि ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि वर्तमान शिक्षा पद्धति में थोड़ी कमी आ गई है और लोगों का गुरु के प्रति पहले जैसा आदर का भाव नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि पहले गुरु ऊपर विराजते थे और शिष्य नीचे बैठकर ज्ञान ग्रहण करता था किंतु अब शिष्य पाटे (टेबल) पर बैठते हैं और गुरु खड़े होकर पढ़ाते हैं। गुरु कष्ट सहते हैं किंतु शिष्य आराम से बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। इसीलिए आज गुरु के प्रति वह आदर का भाव नहीं रह गया जो पहले था। हमारे चित्त में इतना ज्ञान होने के बावजूद मौके पर वह काम नहीं आता तो यह विद्या किस काम की! उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण हमारा गुरु के प्रति विनय का भाव नहीं है। यदि गुरु के प्रति हमारा विनय का भाव होता तो हमें उनके द्वारा दी गई शिक्षा याद रहती। उन्होंने कहा कि एकलव्य के उदाहरण को हमेशा याद रखना चाहिए।
मुनि श्री ने फरमाया कि धर्म एवं गुरुओं के प्रति हमारा श्रद्धा का भाव और जीव के प्रति दया का भाव होना चाहिए। हमें भाव को पकड़ना चाहिए। व्यक्ति को पृथ्वी के समान सहनशील होना चाहिए। पृथ्वी पर कोई चले या थूके वो सब सहती है। हमें भी इसी तरह सहनशील होना चाहिए। अगर विद्या सीख रहे हैं तो गुरु के प्रति हमारा विनय का भाव होना चाहिए। हम थोड़ा सा ही पढ़े किंतु उसे अवश्य साधें तो हमारी विद्या सफल होगी। गुरु के प्रति यदि हमारे विनय के भाव नहीं होते तो आगे चलकर यही विद्या विनाश का कारण बन जाती है। मुनिश्री ने कहा कि हम लड़का ढूंढने के लिए उसका पैसा देखते हैं, उसका स्टेटस देखते हैं और वह व्यसन करता है कि नहीं, इसका पता लगाते हैं ! उन्होंने कहा कि आज के समय में सभी कोई न कोई व्यसन करते हैं वह किसी दूसरे के व्यसन के बारे में क्या बताएंगे। जब घरवाले ही नहीं जानते कि उनके पुत्र कहां जाते हैं और क्या करते हैं तो बाहर वाले क्या बता पाएंगे। हम लड़का ढूंढते समय यह जानने की कभी कोशिश नहीं करते कि लड़के का धर्म के प्रति कितना रुझान है।यदि यह देखते तो हम धोखा नहीं खाते। घर की शांति कैसे हो यह हमारे अपने हाथ हैं। उन्होंने कहा कि जो समझता है, सहता है, वह गुण है और गुण की खेती खाली नहीं जाती । इसका फल अवश्य मिलता है और शांति व समाधि मिलती है। उन्होंने कहा कि हम अपना मन बनाएं और विनय पूर्वक जिए तो बहुत सारी विधाएं हमें हस्तांतरित होगी और हम सफल जीवन जिएंगे। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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