बच्चा घर से ही झूठ बोलना सीखता है – जैन संत हर्षित मुनि

बच्चा घर से ही झूठ बोलना सीखता है – जैन संत हर्षित मुनि

जैन संत ने कहा कि गुरु के आचरण का अनुसरण करते हैं शिष्य

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) एक अक्टूबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने आज यहां कहा कि बच्चे घर से ही झूठ बोलना सीखते हैं। हम झूठ तो बोलते ही हैं , बच्चों से भी झूठ बोलवाते हैं। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे सब समझते हैं , सुनते हैं और जवाब भी देते हैं। घर में बच्चे को जो सीख मिलती है, वही उसके आचरण में भी आ जाता है।उन्होंने कहा कि इसी तरह जैसा गुरु होता है, वैसा ही चेला बनता है क्योंकि शिष्य अपने गुरु के आचरण का अनुसरण करता है।
स्थानीय गौरव पथ स्थित समता भवन में जैन संत श्री हर्षित मुनि ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि मां बाप की झलक बच्चों में दिखती है। बच्चे जो बड़ों को करते देखते हैं, वैसा ही सीखते हैं और आचरण में लाते हैं। जैसे बड़ों की आदत छोटो पर आती है, वैसे ही गुरु का आचरण शिष्यों पर भी आता है। उन्होंने कहा कि आंसू तो कई बातों पर आते हैं, खुशी के आंसू, दुख के आंसू किंतु पश्चाताप के जो आंसू आते हैं, वह उत्तम होते हैं। उन्होंने कहा कि देव, गुरु ,धर्म के प्रति जो श्रद्धा होती है, वह संसार के सभी रागों को जलाती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह लकड़ी जलती है और आसपास की चीजों को जो उसकी जद में आती है, को जलाकर,आखरी में वह स्वयं ही पूरी तरह जलकर शांत हो जाती है। ठीक इसी तरह देव, गुरु व धर्म के प्रति श्रद्धा भी सभी रागों को जलाकर शांत हो जाती है।
मुनि श्री ने फरमाया कि देव, गुरु, धर्म की शरण में जाना पड़ता है तब कहीं उनकी कृपा हम पर होती है। इनके प्रति हमारी श्रद्धा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी भावना वेदना को शांत करने वाली होनी चाहिए। भावना निश्चित ही असर दिखाती है। मुनिश्री ने कहा कि जब किसी व्यक्ति के पास धर्म का सहारा होता है तो उसे आगे की चिंता नहीं होती। धर्म करने वाले व्यक्ति को खालीपन का एहसास नहीं होता। जब भी उसे खाली समय मिलता है तो वह अपना यह समय आराधना में बिताता है। हमारी आंखों में पश्चाताप के आंसू आना चाहिए। पश्चाताप के आंसू आएंगे तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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प्रचार का सही तरीका
जैन संत ने कहा कि आज तो प्रचार के कई साधन हो गए हैं किंतु पहले प्रचार के लिए सही तरीका अलग ही था। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि प्रचार का सही तरीका यह है कि किसी व्यक्ति के कान में कुछ कहो और यह कहो कि किसी को मत बताना। वो भी ऐसे समय में कहो कि जब वह 10 लोगों के बीच में बैठा हो फिर देखिए कैसे खबर आग की तरह फैलती है। जिस खबर को आप छुपाना चाहते हो वह भी आग की तरह अपने आप फैल जाएगी।

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