अष्टाह्निका महोत्सव का हुआ समापन, श्रद्धा दिवस पर दादागुरुदेव की हुई पूजा

अष्टाह्निका महोत्सव का हुआ समापन, श्रद्धा दिवस पर दादागुरुदेव की हुई पूजा

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय में 3 अक्टूबर, सोमवार से अष्टाह्निका महोत्सव का शुभारंभ हो चुका है। आध्यात्मिक चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्रीमान विवेक डागा जी ने बताया कि जप-तप और साधना के क्रम में परम पूज्य साध्वी स्नेहयशाश्रीजी म. सा. आदि ठाना 7 के पावन निश्रा में 3 अक्टूबर से अष्टाह्निका महोत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें रविवार को श्रद्धा दिवस पर सुबह 8 बजे से दादागुरुदेव की पूजा हुई साथ ही अष्टाह्निका महोत्सव का समापन हुआ। दादागुरुदेव की पूजा के लाभार्थी माया बाई सिंगी, इंदरजी, संतोष, सौरभ छाजेड़, शांति लाल जी, नागेश जी राखी लोढ़ा रहे।

न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय में शनिवार को साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने कहा कि हमें इंद्रियों का दासत्व छोड़ना है और उनका स्वामित्व प्राप्त करना है। दासत्व को स्वीकार करने वाला नौकर अपने मालिक के घर त्यौहार के दौरान भी एक से दो घंटा एक्स्ट्रा काम करता है। यह काम उसे करना ही पड़ता है क्योंकि उसने दासत्व को स्वीकार किया है। जॉब और नौकरी दोनों एक ही शब्द है, अंग्रेजी में इसे जॉब कहते है। इसे कहने में थोड़ा अच्छा तो जरूर लगता है लेकिन इसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ नौकरी ही है। जब कभी आप ऑफिस जाने कुछ 5-10 मिनट देर हो जाए या 1 दिन नहीं जा पाए 2 दिन की छुट्टी ले ली या फिर आपकी तबीयत खराब हो जाती है तो आपके पैसे कट जाते हैं। अटेंडेंस लगाने के लिए आपको मैनेजर से अच्छे संबंध बनाने पड़ते हैं और अच्छे संबंध होने से वह मैनेजर आपकी छोटी-मोटी गलतियों को, 5-10 मिनट लेट होने या 1 दिन की छुट्टी लेने पर भी आपका अटेंडेंस लगा देता है। यह भी एक छोरी के समान है। जब तक आप दास रहेंगे तब तक आप को सुनना पड़ेगा और जैसे मालिक बोलेंगे वैसा करना पड़ेगा। भगवान कृष्ण के जीवन में जितनी भी लड़कियां आई, वह उनसे पूछते थे कि तुम्हें रानी बनना है या दासी। आप जहां जॉब कर रहे हो वहां के मालिक आप कभी नहीं बन सकते हो। हमारी इंद्रियां भी हमसे दासत्व कराती है। आंख टिमटिमाती है और कान सतर्क रहते हैं। इन इंद्रियों को आप को रोक नहीं सकते वास्तविकता यह है कि एक भी इंद्रियां हमारे वश में नहीं है।

वहीं, न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय में 3 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक हर रात 8.30 बजे अद्भुत अक्टूबर का आयोजन किया गया और समापन रविवार को हुआ। साध्वी स्नेहयशाश्रीजी की पावन निश्रा में बेमिसाल तोहफों से सजी खूबसूरत सी संध्या कार्यक्रम किया जा रहा है। वहीं, रविवार को कौन बनेगा महाज्ञानी हुआ, जिसकी संयोजक डौंडी लोहारा ग्रुप की निशा लोढ़ा है।

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