राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 14 अक्टूबर 2022। राजनांदगांव जिले के जिला पंचायत के सभा कक्षा में आज छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग द्वारा राजनांदगांव, मोहला- मानपुर-अंबागढ़ चौकी एवं खैरागढ़-छुईखदान -गंडई जिलों के पंचायतीराज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री सर्जियस मींज ने राज्य वित्त आयोग की स्थापना और उद्देश्य से उपस्थित जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि पंचायतों के वित्तीय अधिकार सुनिश्चित करने, सुधार करने और अध्ययन करने के साथ ही विचार आमंत्रित कर पंचायतों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के उद्देश्य से राज्य वित्त आयोग का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी का सपना था कि ग्रामों का प्रशासन ग्राम स्तर पर हो, उनका अपना प्रतिनिधित्व और वित्तिय अधिकार हो।
उन्होंने आगे कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी कल्पनाशील व्यक्ति थे। उन्होंने 73वें संविधान कर पंचायतों राज अधिनियम लागू कर संवैधानिक संस्था के रूप में पहचान दी। इसी प्रकार नगरी निकाय के मामलों में भी 74वें संविधान संशोधन कर संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया गया। संवैधानिक अधिकारों के मुताबिक पंचायत अधिनियम और नगरी निकाय अधिनियम बनाया गया, इसका उद्देश्य पंचायतों में प्रजातांत्रिक व्यवस्था सुनिश्चित करना था। जिस तरह से राज्यसभा के सदस्य लोकसभा के सदस्य को संवैधानिक अधिकार दिया गया है, उसी प्रकार जिला पंचायत, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायतों को संविधानिक दर्जा व अधिकार दिया गया।
इस प्रकार से त्रिस्तरीय पंचायत की व्यवस्था सुनिश्चित किया गया। उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि जब 1973 में पंचायत अधिनियम लागू हुआ। उस समय वे संचालक पंचायत एवं समाज समाज कल्याण विभाग में पदासिन थे। 1973 में पंचायत अधिनियम बनने के उपरांत 1974 में प्रथम पंचायत चुनाव हुआ। उन्होंने आगे कहा कि पंचायत व्यवस्था लागू होने के बाद उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत, शसक्त और सुदृढ़ करना आवश्यक था। राज्य वित्त आयोग का इस उद्देश्यों से गठन किया गया। राज्य वित्त आयोग पंचायत के कार्यों का परीक्षण और सुझाव देता है । साथ ही पंचायतों के लिए आय के स्रोत विकसित करने के उपायों का अध्ययन करता है।
उन्होंने कहा कि राज्य वित्त आयोग, पंचायत के कार्यों का, सरकार को रिपोर्ट देना और अनुसंधान करना है। उन्होंने कहा कि राज्य वित्त आयोग पंचायत को मजबूत करने, पंचायतों के कल्याण के लिए कार्य करती है। उन्होंने कहा कि पंचायत की आवश्यकता को जानने का कार्य करती है । उन्होंने बताया कि कैसे पंचायतों के आय को बढ़ाया जाए। इस संवाद कार्यक्रम के माध्यम से आए आपके सुझाव को अनुसरण व अनुसंधान करेगा।
इस अवसर पर राज्य वित्त आयोग के सचिव श्री सतीश पांडेय ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से राज्य वित्त आयोग के कार्य, उद्देश्य, दायित्व की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य वित्त आयोग के दायित्व और इसके कार्य की जानकारी से पंचायत प्रतिनिधियों को भली-भांति अवगत कराया जाना है। संवैधानिक अधिकारों के अंतर्गत पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय निकायों को स्वशासी संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए सविधान में 73वां एवं 74वां संशोधन किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 243 झ और अनुच्छेद 243 म के अनुसार प्रत्येक 5 वर्ष में राज्य वित्त आयोग का गठन किया जाता है। अब तक राज्य में तीन आयोग का गठन किया जा चुका है। वर्तमान में चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का गठन 29 जुलाई 2023 से लागू है। वित्तीय स्थिति में सुधार के क्षेत्र में सुझाव हेतु कर एवं गैर कर का युक्तियुक्तकरन करना है। कर, गैर कर, आय की नयी संभावनाओं की पहचान करना, प्रमुखता यूजऱ चार्जर के क्षेत्र में वित्तीय संस्थाओं से राशि प्राप्त करने की संभावना, वित्तीय प्रबंधन में सुधार, वित्तीय प्रदर्शन के मानिटरिंग में सुधार, अधिक राजस्व के लिए प्रोत्साहन, व्यय में कुशलता एवं मितव्ययता प्राप्त करना है। संविधान के अनुच्छेद 243 झ 3 के अनुसार प्रश्नावली के माध्यम से निकायों से जानकारी प्राप्त कर आर्थिक समीक्षा करना है। स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों से चर्चा करना है। जनप्रतिनिधियों, सांसद, विधायकगणों से चर्चा करना है। संबंधित शासकीय विभाग के साथ बैठक करना, गैर शासकीय, नागरिक संस्थाओं से सलाह मशविरा करना है। विशेषज्ञ संस्थाओं से सलाह तथा अध्ययन आयोजन करना और सामान्य जनता से संवाद स्थापित किया जाना है। इसी प्रकार स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों से चर्चा करना, वर्तमान कर आय एवं गैर आय के स्त्रोत का अनुकूलतम उपयोग, नये कर एवं गैर कर आय के स्रोत से संग्रहण में वृद्धि के संबंध में सुझाव प्राप्त करना है। वर्तमान कर एवं गैर कर आय के स्रोतों से वृद्धि के संबंध में सुझाव लेना है। ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत में कोई नई पहल स्थापित करना, केंद्रीय वित्त आयोग एवं राज्य वित्त आयोग से प्राप्त होने वाली राशि की संरचना तथा प्रक्रिया का अनुसरण करना है। साथ ही केंद्र राज्य कर, जिसका हिस्सा पंचायतों को प्राप्त हो और कर का पंचायतों को स्थानांतरण किया जाना है। इस अवसर पर अधिकारियों ने ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के जनप्रतिनिधियों से संवाद कर, पंचायतों के आय में बढ़ोतरी करने और आय के नए स्रोत विकसित करने के संबंध में आवश्यक सुझाव को सुना। संवाद कार्यक्रम के द्वितीय चरण में पंचायतों के कार्यों के लिए मोबाइल ऐप से ऑनलाइन जानकारी भरने की प्रक्रिया के संबंध में पंचायत सचिवों को प्रशिक्षण दिया गया। इस संवाद कार्यक्रम में राज्य वित्त आयोग के संयुक्त सचिव श्री जेएस विरदी, राज्य वित्त आयोग के अनुसंधान अधिकारी सुश्री पायल गुप्ता, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती गीता साहू, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री विक्रांत सिंह, जनपद पंचायतों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला एवं जनपद पंचायत के सभापति, सदस्यगण, जनपद सदस्य, विभिन्न ग्राम पंचायतों के सरपंच, कलेक्टर खैरागढ़-छुईखदान -गंडई श्री जगदीश सोनकर, जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी से संयुक्त कलेक्टर श्री भूपेंद्र साहू , जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे। सवांद कार्यशाला के समापन अवसर पर राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री सरजियस मिंज ने कहा कि यहां आकर उन्हें अपनापन का एहसास हुआ। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना प्रथम कलेक्टर के रूप में राजनांदगांव जिले में 1984, 85, 86 में सेवाएं दी है। उन्होंने कहा कि आज कार्यक्रम के माध्यम से मिले सुझावों से उन्हें काफी लाभ मिला है। रचनात्मक सुझावों को वे पंचायतों के सुदृढ़ीकरण के लिए राज्य शासन को अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि इस संवाद कार्यक्रम के जरिए बहुत से बातें सामने आई है। उन्होंने कहा कि सभी पंचायत प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों मे अपने अपने क्षेत्रों में विकास के लिए अच्छा कार्य कर रहे हैं। आगे भी सभी मिलकर पंचायतों के सुदृढ़ीकरण के लिए कार्य करेंगे।