प्रकृति का सिद्धांत है भारी वस्तु नीचे ही जाता है,आत्मा का भारीपन हल्का कीजिए
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ)29 अक्टूबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि कर्म हमारे दिखते नहीं है किंतु इसका असर जरूर होता है। धर्म का कर्म करें और आत्मा को हल्का करें। प्रकृति का सिद्धांत है कि भारी वस्तु नीचे ही जाता है। इसलिए आत्मा का भारीपन हल्का करें और स्वयं भी हल्का होवे।
समता भवन में आज जैन संत श्री हर्षित मुनि ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि हमारे कर्म ही हमें भारी करते हैं। जितना पाप करने में हमने आनंद लिया, पुरुषार्थ किया है , उतना समय और पुरुषार्थ हमें धर्म के कामों में भी लगाना होगा तभी हम हल्के हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोग किसी की तारीफ करते हैं, किसी को अच्छा कहते हैं तो यह बात हमें चुभती है। इतना सारा भारीपन लिए हम कैसे जी रहे हैं! भार कम करने के लिए हमें डाइटिंग करना होता है। डाइटिंग करने के लिए बताने वाले भी 70 फ़ीसदी हिस्सा जैन दर्शन का ही पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति खुद पर चिंतन करें कि मैं पहले कैसा था और मेरी आत्मा वर्तमान में हल्की हुई है या भारी। भूल होती रहे और कोई मुझे कुछ ना कहे, यह भावना है तो यह भारीपन का लक्षण है। जो पास की चीज है उसकी चिंता करना छोड़ हम दूर की चिंता करते हैं, यह भारीपन का लक्षण है। गुरु ने हमें जो बताया, उसे करना छोड़, हम दूसरा कोई कार्य करते हैं तो यह भारीपन का लक्षण है। बड़े से बड़ा प्रति बोधक हमें बोध देने के लिए आ जाएं फिर भी प्रतिबोध नहीं लगता तो यह भारीपन का लक्षण है। धर्म के प्रति ध्यान ना देकर दूसरे को देखकर ,उसे ही संपन्न मानकर कोई कार्य करते हैं तो यह भारीपन का लक्षण है।
जैन संत श्री हर्षित मुनि ने फरमाया कि हमारा मन अभी भी अगर छोटी-छोटी आराधना पर, संयमी पथ पर नहीं लगता तो यह भारीपन है। उन्होंने कहा कि कर्म दिखते नहीं है किंतु असर जरूर दिखाते हैं। लक्षणों से बीमारी को पहचाने और उसका इलाज करें। मन को मनाने में बहुत समय लगता है। प्रकृति का सिद्धांत है कि भारी वस्तु नीचे ही जाता है। उन्होंने कहा कि हमसे तो बच्चे ज्यादा समझदार हैं क्योंकि वो झगड़ा करते हैं और फिर राग द्वेष भूलकर मिल जाते हैं किंतु बड़े उसे दुश्मनी का रूप लेकर सालों तक पाले रहते हैं। इन सब भारीपन से दूर निकल कर हम धर्म के प्रति कर्म करें तो हम स्व को जानने की ओर बढ़ेंगे। दूसरों के अहित होने पर कभी खुश ना हो और स्व को जानने का प्रयास करें। आत्मा का भारीपन हल्का कर आराधना की ओर ध्यान दें तो जीवन धन्य हो जाएगा। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।