साध्वी सम्यक दर्शना ने कहा-तीन सिहों के प्रवेश द्वार से तीन सिहों का प्रवेश राजनांदगांव के धार्मिक भावो को दर्शाता है
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 10 फरवरी। खरत्तरगच्छाधिपति मणि प्रभ सुरीश्वर जी ने कहा कि गौतम स्वामी का जाप करना आसान है किंतु गौतम स्वामी बनना आसान नहीं है । इसके लिए सब कुछ त्याग करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमारे पास दो आंखें हैं और दोनों आंखें सिर्फ एक ही दिशा में देख सकती है। वेद बाकी तीन दिशाओ को नहीं देख सकती। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के मन में यदि शंका होती है तो उसे स्थिर नहीं रखना चाहिए उसे प्रकट कर देना चाहिए वरना यही संघ का कैंसर का रूप धारण कर लेती है।
मणिप्रभ सुरीश्वर जी ने कहा कि मर्यादा की सुरक्षा जहां होती है वहां शासन की उन्नति होती है। विनय तारण है और समर्पण उसका परिणाम है। विनय आसान है किंतु समर्पण करना कठिन है। उन्होंने कहा कि ट्रस्टी आते रहेंगे जाते रहेंगे किंतु संघ को एकता के साथ, मजबूती के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक और एक के बीच प्लस ,माइनस, गुना या भाग का चिन्ह आता है तो उसका स्वरूप ही बदल जाता है। इनके बीच प्लस और गुना आ जाए तो चल जाता है किंतु भाग और ऋण का निशान आ जाए तो सब गड़बड़ हो जाता है। परिवार में कभी भी दिन या भाग का निशान मत आने दो। यदि इनके बीच कोई निशान ही ना रहे तो यह 11 हो जाता है। परिवार के बीच में भी आप कोई चिन्ह ना आने दे। एक दूसरे की टांग खींचने की प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए और एक-दूसरे को सहयोग के भाव को बढ़ावा मिलना चाहिए तभी संघ प्रगति करेगा।
इससे पूर्व साध्वी सुमित्रा श्री जी ने कहा कि वैसे तो छत्तीसगढ़ का प्रवेश द्वार बाघ नदी के पास का क्षेत्र है किंतु वास्तविक प्रवेश द्वार राजनांदगांव है और राजनांदगांव का प्रवेश द्वार तीन सिहों वाला है। इस प्रवेश द्वार से तीन सिहों का प्रवेश होना ,राजनांदगांव के धार्मिक भावो को दर्शाता है। आज का माहौल देखकर लगा कि छत्तीसगढ़ में धार्मिक माहौल है। जहां तीन नदियों या तीन सिहों का संगम होता है वह स्थान तीर्थ कहलाता है। राजनांदगांव भी ऐसा ही तीर्थ है। उन्होंने कहा कि आप अपने भावों को इन्वेस्ट करें साथ ही इसमें आपका इन्वायरमेंट भी होना चाहिए। इसके बाद आप अपना एक इंप्रूवमेंट देखें। साध्वी सम्यक दर्शना श्री जी ने कहा कि हमें साध्य को पाना है और साध्य पाने के लिए हमें इतने साधनों की जरूरत नहीं है केवल समर्पण और विनय की हमें जरूरत है। हमारा भाव गुरु और परमात्मा के प्रति समर्पण और विनय का होना चाहिए। समर्पण का भाव जीवन में आएगा तभी हम मोक्ष प्राप्त कर पाएंगे। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।