रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) कल शहर के एक होटेल में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के आयुर्वेदिक ड्रग इंस्पेक्टर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के लिए जुटेंगे। इस कार्यशाला का आयोजन छत्तीसगढ़ के ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेट्री एवं अनुसंधान केन्द्र द्वारा किया जा रहा है। इस केन्द्र के कन्ट्रोलर प्रो.डॉ. हरीन्द्र मोहन शुक्ला ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी है। कार्यशाला का विषय है “आयुर्वेदिक औषधियों की गुणवत्ता नियंत्रण एवं महत्व”। कार्यक्रम का शुभारंभ आयुष के डायरेक्टर पी. दयानंद, आई.ए.एस. की गरिमामय उपस्थिति में प्रातः 10 बजे होगा।
कार्यशाला में प्रदेश के सभी जिलों के आयुर्वेदिक ड्रग इंस्पेक्टर एवं उनके एक सहयोगी भाग लेंगे। दिन भर चलने वाले इस कार्यशाला में श्री ए.के. पाण्डे, अधिवक्ता एवं सेवा निवृत्त विधि अधिकारी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, डॉ टेकचंद धिरहे, ड्रग इंस्पेक्टर एलोपैथी, डॉ ए. के. कुलश्रेष्ठ , सेवा निवृत्त अनुज्ञापन अधिकारी, आयुष, डॉ श्रीकांत इन्चुलकर, राज्य औषधि विश्लेषक, डॉ. के.एस. करभाल, राज्य औषधि विश्लेषक अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। वर्तमान में छत्तीसगढ़ प्रदेश में कुल 23 जिला में जिला आयुर्वेद अधिकारी का कार्यालय संचालित है, तथा जिला आयुर्वेद अधिकारी ही अपने जिले के आयुर्वेदिक, यूनानी एवं सिद्धा औषधियों के ड्रग इंस्पेक्टर घोषित किये गये हैं।
ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के अनुसार भारत सरकार द्वारा औषधियों की गुणवत्ता नियंत्रण हेतु औषधि मानक बनाये गए हैं, इसी मानक के अनुरूप चूर्ण, क्वाथ, भस्म, वटी, आसव,अरिष्ट , तेल आदि का परीक्षण किया जाता है। ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा भेजी गई औषधियों का परीक्षण ड्रग्स टेस्टिंग लैबोरेट्री में किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया का व्यवहारिक ज्ञान कराने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।