रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 3 मार्च। शहर के एक होटेल में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के आयुर्वेदिक ड्रग इंस्पेक्टर के लिये एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन छत्तीसगढ़ के ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेट्री एवं अनुसंधान केन्द्र द्वारा किया गया। इस केन्द्र के कन्ट्रोलर प्रो.डॉ. हरीन्द्र मोहन शुक्ला ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी है। कार्यशाला का विषय था “आयुर्वेदिक औषधियों की गुणवत्ता नियंत्रण एवं महत्व”। कार्यक्रम का शुभारंभ आयुष के डायरेक्टर एवं नियंत्रक प्राधिकारी पी. दयानंद, आई.ए.एस. ने भगवान धन्वन्तरि पूजन एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
शुभारंभ समारोह में आयुष विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. सुनील कुमार दास, शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जी. एस. बघेल, लैबोरेटरी के डॉ नागेन्द्र चौहान, अरुण परिहार, चन्दन साहू, हरेकृष्ण सिन्हा, मिलिंद घोरे, सुषमा मिंज, आराधना तिवारी सहित पूरे प्रदेश के आयुर्वेदिक ड्रग इंस्पेक्टर अपने सहयोगियों के साथ उपस्थित थे। लेबोरेट्री के कंट्रोलर डॉ हरीन्द्र मोहन शुक्ला ने ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेट्री द्वारा किये जा रहे परीक्षणों एवं अन्य गतिविधियों सहित लैब में उपलब्ध सुविधाओं से अवगत कराया।
आयुष के संचालक पी. दयानंद, आई.ए.एस. ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए सभी ड्रग इंस्पेक्टर से कहा की समाज के हर व्यक्ति विशेषकर रोगियों को तथा कच्ची औषधि प्राप्त करने वाले औषधि निर्माताओं को गुणवत्ता युक्त औषधि प्राप्त करने का अधिकार है। इस हेतु ड्रग इंस्पेक्टर्स सजगता के साथ खाद्य एवं औषधि प्रशासन अधिनियम 1940 द्वारा प्राप्त अधिकारों के तहत कार्यवाही सुनिश्चित करें। कोरोना रोकथाम में आयुर्वेदिक काढ़ा की उपयोगिता एवं प्रभाव के स्वानुभूत अनुभव को भी साझा किये। दिन भर चले इस कार्यशाला में श्री ए.के. पाण्डे, अधिवक्ता एवं सेवा निवृत्त विधि अधिकारी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, डॉ टेकचंद धिरहे, ड्रग इंस्पेक्टर एलोपैथी, डॉ.ए. के. कुलश्रेष्ठ सेवा निवृत्त अनुज्ञापन अधिकारी आयुष, राज्य औषधि विश्लेषक डॉ श्रीकांत इन्चुलकर एवं डॉ. के.एस. करभाल,ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। ए के पांडे, विधि अधिकारी ( सेवानिवृत्त) ने अपने व्याख्यान में बताया कि अमानक औषधि हेतु निर्माता तभी दोषी होगा जब उनके निरीक्षण में औषधि का निर्माण हुआ हो अन्यथा दवा फैक्ट्री में नियुक्त मैनेजर जिसकी देख रेख में औषधि का निर्माण हुआ है,वह दोषी होगा ।
संयुक्त संचालक डॉ सुनील कुमार दास ने ड्रग इंस्पेक्टर के अधिकार क्षेत्र एवं शक्तियों के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में आयुर्वेदिक औषधियों में एलोपैथिक दवा के मिलावट की रोकथाम के लिए कार्ययोजना तैयार की गई, इस हेतु ड्रग इंस्पेक्टर्स को संदिग्ध औषधियों को जब्त करनें एवं निर्धारित दस्तावेजी कार्यवाहियों से अवगत कराया गया। दस्तावेजी कार्यवाहियों में त्रुटि के कारण दोषी निर्माताओं के बच निकलने की जानकारी प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ कमलिनी त्रिपाठी ने किया।