वानिकी संरक्षण प्राथमिक आवश्यकता – द्विवेदी

वानिकी संरक्षण प्राथमिक आवश्यकता – द्विवेदी

   राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) . शासकीय कमला देवी राठी महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव के भूगोल एवं प्राणीशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में वानिकी दिवस विशेष व्याख्यान कार्यक्रम संस्था प्राचार्य डॉ. आलोक मिश्रा के संरक्षण में आयोजित किया गया। शैक्षिक एवं सामाजिक जागरूकता के मुख्य परिप्रेक्ष्य में आयोजित इस विशेष व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने बताया कि संपूर्ण देश-धरती में पर्यावरण पारिस्थिति की संतुलन हेतु अंत्यंत आवश्यक हो गया है कि चतुर्दिक वन-वृक्ष, बेल-लताओं का संरक्षण-संवर्धन प्रभावी रूप से किया जाये। विशेषकर सामाजिक वानिकी योजना द्वारा रिक्त पड़ी भूमि पर सघन-गहन, सफल वृक्षारोपण कर हरियाली, हरितिमा बढ़ाई जावे।

हरा चारा, खाद्यान्न, फल-फूल, रेशे एवं जैविक खाद जैसी आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति स्थानीय स्तर पर निरंतर होना ही पर्यावरण समृद्धि और संतुलन का आधार होता है। इसके लिए आवश्यक होगा कि नियमित रूप से मिट्टी संरक्षण, जल संरक्षण, फलोत्पादन को बढ़ावा दिया जावे एवं सस्ते और हरे चारे की उपलब्धता में निरंतर वृद्धि करते हुए वन-वृक्षों का संरक्षण करना अनिवार्य होगा। आगे प्राध्यापक द्विवेदी ने वानिकी संवर्धन पर विशेष जोर देते हुए वर्षा जल के पूर्ण सदुपयोग, बंजर भूमि का वैकल्पिक उपयोग करने के लिए युवा-किशोर पीढ़ी की सहभागिता सुनिश्चित की जाये।

इस अवसर पर प्रो. महेन्द्र कुमार मेश्राम ने छात्राओं को सम्बोधित करते हुए हरियाली-हरितिमा संरक्षण के लिए सदैव जागरूक रहने का आह्वान किया और बताया कि हरे-भरे वृक्षों को बचाकर ही वानिकी संरक्षण के मूल उद्देश्य को पूरा किया जा सकता है। व्याख्यान कार्यक्रम के अंतिम क्रम में कुछ प्रमुख छात्राओं ने वैचारिक सहभागिता की और वानिकी संरक्षण हेतु संकल्प लिया। वृक्ष बचाये-हरियाली बढ़ाये जैसे नारे भी लगाये गये।

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