डॉ सी एल जैन सोना की रिपोर्ट
राजनांदगांव। (अमर छत्तीसगढ़) एशिया का एक मात्र राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ में स्थित इंदिराकला संगीत विश्वविद्यालय में नई कुलपति पदमश्री डॉ. मोक्षदा चंद्राकर की पदस्थापना के साथ इनके कार्यकाल में विभागीय पदोन्नति को लेकर शिकायतों का दौर चलने के साथ ही विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के कार्यकाल में हुई निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार गड़बड़ी अनियमितताओं को लेकर शिकायतों के आधार पर कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने जांच समिति बनाकर लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को जांच के आदेश दिये हंै।
उल्लेखनीय है कि सांध्य दैनिक अमर छत्तीसगढ़ ने कलेक्टर के जांच निर्देश, निर्माण कार्यो में गड़बड़ी को लेकर 15 दिन पूर्व ही संगीत विश्वविद्यालय के शिकवा, शिकायतों को लेकर समाचार का प्रकाशन किया था। अमर छत्तीसगढ़ डॉट कॉम ने भी जारी किया था।
देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एशिया के सबसे बड़े कला-संगीत संस्थान के रूप में विख्यात इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है।दरअसल, पिछले कुछ सालों के दौरान की गई तमाम अनियमितताओं का यहां पर अब परत दर परत खुलासा होने जा रहा है। इसी कड़ी में एक ताजा मामला सामने आया है, जिसमें कलेक्टर ने पीडब्ल्यूडी के चार अफसरों की एक टीम बनाई है और विश्वविद्यालय परिसर में किए गए निर्माण कार्यों के अनियमितताओं की जांच करने के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि रूसा योजना के तहत विश्वविद्यालय में पिछले कुछ सालों के दौरान करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य कराए गए हैं। उन निर्माण कार्यों में गुणवत्ता के अलावा निर्माण में लेटलतीफी तथा अन्य वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें रही हैं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने जांच तय किया है।
जानकारी के अनुसार कलेक्टर ने पीडब्ल्यूडी के चार कार्यपालन अभियंता स्तर के अधिकारियों की एक टीम बनाकर जांच के निर्देश दिए हैं। आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों के दौरान की गई तमाम अनियमितताओं को दबाने के प्रयास भी यहां पर शुरू हो गए हैं। अनियमितताओं में शामिल विश्वविद्यालय के कई कर्मचारी इस मामले को दबाने के लिए अन्य मुद्दों पर विरोध की राजनीति कर रहे हैं, जिसके कारण विश्वविद्यालय में तनाव की स्थिति भी निर्मित हो रही है। विश्वविद्यालय के सूत्रों की मानें तो जब से कुलपति बदली है, तब से यहां जारी कई खामियों पर लगाम कसा जा रहा है। ऐसे में पूर्व कुलपति के कार्यकाल में कराए गए तमाम निर्माण कार्यों की पोल-पट्टी भी खुल रही है। जाहिर है, उन कार्यों में विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की भी लिप्तता रही है। कार्रवाई की आंच से बचने के लिए ऐसे कर्मचारी और अधिकारी अब कई हथकंडे अपना रहे हैं। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों शीघ्रलेखक कैडर को पदोन्नति देने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जो सकारात्मक संशोधन किया था, उस पर भी विरोध किया जा रहा था, जबकि परिनियम 14 में संशोधन भी कर्मचारी वर्ग की मांग पर, कर्मचारियों के हित में उठाया गया कदम है। बहरहाल, तमाम तिक?मों के बावजूद प्रशासन ने खैराग? विश्वविद्यालय के भीतर की गई तमाम गड़बड़ियों यों को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। निष्पक्ष जांच उपरांत गड़बडिय़ों से पर्दा हटसकेगा।