राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़)21 मई:-
संस्कारधानी के वर्धमान नगर में अल्प प्रवास में पधारे श्रमण संघीय उपाध्याय प्रवर श्री प्रवीण ऋषि जी म.सा., मधुर गायक प.पू.श्री तीर्थस ऋषि जी म.सा., प.पू.महासती श्री विजय श्री जी म.सा., प.पू. महासती श्री प्रियदर्शना श्रीजी म.सा. आदि ठाणा का प्रवचन कार्यक्रम वर्धमान नगर कम्युनिटी हॉल में संपन्न हुआ पूज्य उपाध्याय प्रवर ने प्रवचन में एक नई परंपरा का निर्वहन करते हुए कहा कि हम हमेशा अपने चुने हुए विषय पर प्रवचन करते हैं लेकिन आज सभा में से कोई श्रद्धालु तय करें कि हम कौन से विषय पर प्रवचन दें, तब सभा में उपस्थित रेखचंद जैन ने जिज्ञासा व्यक्त की कि घर परिवार समाज में विपरीत स्वभाव वालों से तालमेल कैसे बिठाएँ समाधान देते हुए पूज्य उपाध्याय प्रवर ने फरमाया कि “सत्वेषु मैत्रिं गुणिषु प्रमोदं, क्लिष्टेषु जीवेषु कृपापरत्वम्।
माध्यस्थ्यभावं विपरीतवृतौ,सदा ममात्मा विदधातु देवः॥
जीवन में केवल विपरीत व्यक्ति ही नहीं आते हमारे जीवन विभिन्न प्रकार के प्रसंग,संयोग या व्यक्ति आते हैं कभी कुछ लोगों से मिलकर लगे कि मेरे दिल का व्यक्ति मिला है उसे मित्र कहते हैं और विचार मिलते हैं तो वहां दोस्ती हो जाती है, जिसका आप स्वागत कर सकें जिसको देखकर आपका दिल खुश हो जाए वह मित्र है मित्र बनाना आसान है मित्रता बनाए रखना कठिन होता है जब कभी जीवन में ऐसे व्यक्ति मिले जो कोई काम आप नहीं कर सके और उसने कर दिया है ऐसे समय में उसको देखकर खुश होना चाहिए और उससे पॉजिटिव ऊर्जा लेना चाहिए, पड़ोसी की दुकान अच्छी चलती देखकर जब आप खुश होंगे तो आपकी दुकान अच्छी चलने के सूत्र आपके पास आ जाएंगे ऐसे समय में दुखी होने से वहां की निगेटिव ऊर्जा आपके पास आती है और आप और दुखी होंगे ,दुखी व्यक्ति कहीं से भी सकारात्मक ऊर्जा नहीं ले पाता अतः हर परिस्थिति में खुश रहना सीखें आप से दुखी या परेशान कोई मिले उसके लिए भगवान बन जाना अर्थात उस पर कृपा बरसाना चाहिए जो कृपा बरसाता है वह भगवान बनने के रास्ते में जाता है बॉडी के टेंपरेचर का ट्रीटमेंट करते हो तो दिमाग में आए टेंपरेचर का भी इलाज करिए उसे बढ़ने मत दीजिए।
महाभारत में श्री कृष्ण को चुनने वाला अर्जुन विजेता बनता है जो मैं चुनूँगा वह मैं बनूंगा के सूत्र को याद रखें मतलब आज मैं जो कुछ हूं उसे मैंने ही चुना है किसान गन्ने को,मिर्ची को, करेले को पानी, जमीन, प्रकाश एक जैसा देता है लेकिन तीनों अपने स्वभाव के अनुरूप अलग-अलग चीज ग्रहण करते हैं करेला उससे कड़वाहट, गन्ना मिठास और मिर्ची तीखापन ग्रहण करते हैं जो उनका स्वभाव बन गया हमारे समक्ष भी विभिन्न स्वभाव से युक्त लोग मिलते हैं यह हम पर निर्भर है कि हम कौन सा स्वभाव ग्रहण कर रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि कभी भी हमारे जीवन में विपरीत परिस्थिति आए तो ध्यान में चले जाएं सेठ सुदर्शन के सामने हत्यारा अर्जुन माली आया तब सुदर्शन ना अर्जुन से लड़े, ना अर्जुन पर कृपा बरसाए, ना अर्जुन माली से दोस्ती की, वह ध्यान में चले गए जैसे ही तुम ध्यान में पहुँचोगे सामने वाला चेंज होगा उसके साथ ना मैत्री करना है, ना भक्ति करना है, ना उसका भगवान बनना है।
पूज्य उपाध्याय प्रवर ने रायपुर में विराजित तपस्वी रत्न पूज्य विराग मुनि जी म.सा. के लंबी तपस्या का अनुमोदन करते हुए सभा को तपस्या हेतु प्रेरित किया।
मधुर गायक पूज्य तीर्थस ऋषि जी म.सा. ने भजन की पंक्तियां गुरु की छांव तले , जीवन का बोध मिले के माध्यम से उपस्थित जनसमुदाय को भाव विभोर कर दिया।
प्रवचन के प्रारंभ में पूज्य महासती श्री तरुलता जी म.सा. ने फरमाया कि अनुकूलता होने के बाद भी धर्म न रूचे तो पाप का उदय, व प्रतिकूलता में धर्म न छूटे तो पुण्य का उदय समझना चाहिए, प.पू. महासती जी श्री प्रियदर्शना श्री जी म.सा. ने आचार्य सम्राट 1008 श्री आनंद ऋषि जी म.सा. के हस्तलिखित उत्तराध्ययन सूत्र का उल्लेख किया जो कि अहमदनगर में आज भी संरक्षित है,साथ ही उन्होंने पूज्य आचार्य भगवन के गुण दृष्टि पर प्रकाश डाला ।
वर्धमान नगर संघ की ओर से गौतम बाफना ने संत-सतियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उपस्थित जन समुदाय का स्वागत किया ।
सकल जैन संघ के अध्यक्ष मनोज बैद ने जानकारी दी कि पूज्य उपाध्याय प्रवर ठाणा 2 का विहार डोंगरगांव की दिशा में हो गया है तथा साध्वी वृंद परम पूज्य महासती श्री विजय श्री जी म.सा, प.पू .महासती श्री प्रियदर्शना जी (प्रियदा) म.सा. आदि ठाणा 6 21 मई रविवार को प्रातः वर्धमान नगर से विहार करके जैन बगीचा सदर बाजार में पधार चुके हैं व श्री ज्ञान वल्लभ उपाश्रय में प्रातः 08:45 बजे से 09:45 बजे तक प्रवचन हो रहा है , आज 22 मई व कल 23 मई को दो प्रवचन और होगा, उन्होंने सभी धर्मप्रिय श्रद्धालुओं से प्रवचन में उपस्थित होकर लाभ लेने की अपील की है।