महासमुन्द(अमर छत्तीसगढ़) 17 जुलाई–/ अत्यंत हर्षोल्लास के साथ बच्चो की टोलियों ने पूजा के वस्त्र धारण करके प्रभु की प्रतिमा को जैन समाज के उन श्रावक श्राविकाओं के घर लेकर गए जिनकी अनुकूलता मंदिर आने की नही है और उनको दर्शन, वंदन, पूजन कराया । प्रात: कालीन बच्चों को जाते हुए देखकर ऐसा लग रहा था जैसे प्रभात फेरी निकल रही है । जब बच्चे प्रभु को लेकर बुजुर्गों के घर पहुंचे तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था और उन्होंने भाव विभोर होकर प्रभु का अपने घर में स्वागत किया और दर्शन वंदन पूजन का लाभ लिया ।
महासमुंद नगर में ऐसा पहली बार हो रहा है जब परमात्मा स्वयं भक्तों के घर जाकर दर्शन वंदन पूजन का लाभ दे रहे हैं ।
जैन मंदिर में साध्वियों ने पापों का प्रायश्चित कराया
चतुर्मासिक प्रवचन के दौरान रविवार स्पेशल के अंतर्गत साध्वी संवरबोधि जी मसा साध्वी शुद्धबोधि जी मसा एवम साध्वी शौर्यबोधि जी मसा ने जैन मंदिर में प्रभु की साक्षी में अनेकों भवों में किए गए पापों का प्रक्षालन अर्थात पश्चाताप करवाया और इस भव में हमारे द्वारा किए जा रहे पापों का संज्ञान कराते हुवे पाप कर्म को कम से कम करने की शिक्षा दी। इस कार्यक्रम में प्रभु की अदालत में सभी की आंखों में रुमाल बांधकर पूर्व भवों का भावभ्रमण कराया गया।
पूज्य मसा ने बताया की पूर्व जन्म में हमने नमक, पत्थर, चांदी, सोना, फफूंद, कुत्ते, बिल्ली, पेड़, बिच्छू, चूहा, मच्छर, इल्ली, चींटी आदि चौंरासी लाख योनियों में जन्म पाकर अनेक पाप किए हैं। इन सभी किए गए पापों के लिए प्रभु की अदालत में सबसे क्षमा याचना की गई। श्रीमती नम्रता बरडिया ने प्रभु की शानदार अदालत तैयार की । शरद मालू ने इस कार्यक्रम को संगीतमय बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया। ये जानकारी जैन श्री संघ के सचिव सीए रितेश गोलछा ने दी ।