बुरी परिस्थितियों में हम मजबूर होते हैं या मजबूत बनते हैं ? यह सब हमारे ऊपर है -संत ऋषि प्रवीण

बुरी परिस्थितियों में हम मजबूर होते हैं या मजबूत बनते हैं ? यह सब हमारे ऊपर है -संत ऋषि प्रवीण

आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला
रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 18 जुलाई। हर व्यक्ति के जीवन में ऐसा टर्निंग प्वाइंट आता है जो उसे पूरी तरह से बदलकर रख देता है। टर्निंग प्वाइंट किसे कहते हैं? ऐसा क्षण जब व्यक्ति के भीतर अपने सारे कषायों से मुक्त होने की प्रबलतम इच्छा जागृत होती है। वह तय करता है कि मुझे इस तरह नहीं जीना है, जैसे मैं जीते आया हूं। ऐसा विषम परिस्थितियों की वजह से होता है। कई बार लोग इस स्थिति में सुसाइड का रास्ता चुन लेते हैं। ऐसे लोगों को यही कहूंगा कि बुरी परिस्थितियों में हमें मजबूर होना है या मजबूत बनना है,ये केवल हम पर तय करता है।

टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने ये बातें कही। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों में मजबूत होने का एक छोटा सा सूत्र है। एक छोटा सा कदम उठाने की जरूरत है। मकान बड़ा है या छोटा, ये मायने नहीं रखता। अगर लीकेज हो गया तो मकान कितना भी बड़ा हाे, उसका मतलब नहीं रह जाता। निस्वार्थ जिंदगी जिएं। इसका एक छोटा सा नियम है। खुशियां बांटते चलिए। बिना खिलाए नहीं खाऊंगा। जब आप किसी को खाना खिलाएं तो ये ध्यान रखें कि आप उसे क्या समझकर खिला रहे हैं। अगर आप किसी को जरूरतमंद मानकर भोजन कराते हैं तो जान लीजिए कि आपको भी कोई भोजन तभी देगा जब आपका बुरा वक्त चल रहा होगा। ऐसे में जरूरी है कि जब आप किसी को कुछ खिलाएं तो प्रभु मानकर खिलाएं। मतलब मैं ईश्वर को भोजन करा रहा हूं। इसका फायदा ये होगा कि जब कोई आपको भोजन कराएगा तो ईश्वर मानकर भोग के रूप में अर्पित करेगा। कहने का तात्पर्य है कि किसी काम करते वक्त आपके मन में क्या भावना है, वही भावना आपकी नियती तय
जीवन में हर समस्या का समाधान है

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