कोमाखान चातुर्मास में जैन महातीर्थ गिरनार की भावयात्रा का हुआ भव्य आयोजन

कोमाखान चातुर्मास में जैन महातीर्थ गिरनार की भावयात्रा का हुआ भव्य आयोजन

कोमाखान (अमर छत्तीसगढ ) 19 जुलाई।

मनोहर शिशु प.पू.साध्वी संघमित्रा श्रीजी म.सा.आकिदि ठाणा 3 के सानिध्य में जैन समाज के द्वारा कोमाखान चातुर्मास कि श्रृंखला गतिमान है कि चातुर्मास के कड़ी में इस रविवार गुजरात से आए परम गुरुभक्त भाई दिनेश शाह के सौजन्य से जैन समाज के अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विधिकारक भाई दीपक शाह एवं संगीतकार भाई निकेश देठिया के द्वारा जैन समाज के श्रद्धा एवं आस्था के केंद्र गिरनार महातीर्थ की भाव यात्रा करायी गयी।
इस कार्यक्रम में खरियार रोड, नुआपाड़ा, धरमबांधा, छुरा, गरियाबंद, बागबाहरा, महासमुंद, रायपुर, दुर्ग, धमतरी, सहसपुर लोहारा आदि अनेक स्थानों से सैकड़ों की संख्या में जैन समाज के लोगों ने उपस्थिति दर्ज कराई,इस भव्य यात्रा के माध्यम से विधिकारक के द्वारा गिरनार महातीर्थ के महत्व एवं विशेषताओं का क्रम से वर्णन किया गया,गिरनार पहाड़ से मोक्ष पधारे भव्य आत्माओं को भावयात्रा के माध्यम से वंदन नमस्कार किया गया,गिरनार पहाड़ वर्तमान चौबीसी के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान की मोक्ष,दीक्षा एवं केवल कल्याणक भूमि है,आने वाली चौबीसी के समस्त 24 तीर्थंकर इसी पहाड़ एवं तीर्थ से मोक्ष को प्राप्त करेंगे इस कारण जैन धर्म में इस पहाड़ एवं तीर्थ की अटूट श्रद्धा एवं आस्था जुड़ी हुई है,इस पहाड़ पर स्थित भगवान नेमिनाथ की प्रतिमा संपूर्ण विश्व की सबसे प्राचीन प्रतिमा है जिसका निर्माण अनंत वर्ष पूर्व पिछली चौबीसी के तीसरे तीर्थंकर परमात्मा के काल में किया गया था,विधिकारक दीपक कोठारी एवं संगीतकार निकेश देठिया ने अपनी प्रस्तुति से सभी को भावविभोर एवं मंत्रमुग्ध कर दिया,पंडित दीपक कोठारी के द्वारा भगवान महावीर के दिव्य सिद्धांत विषय पर अंहिसावाद,अनेकान्तवाद,कर्मवाद एवं परिग्रहवाद पर दोपहर की कक्षा में सूक्ष्मता से व्याख्यान प्रस्तुत किया गया,साध्वी संघमित्रा ने इस तीर्थ के महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला एवं कार्यक्रम के पश्चात तपस्वीयों को पच्चखान देते हुए सभी को मांगलिक श्रवण कराया।


गुजरात टीम के द्वारा रात्रिकालीन भाव भक्ति की भी प्रस्तुति दी गई जिसमें बागबाहरा एवं खरियार रोड से पधारे श्रद्धालुओं भी देर रात तक झूमते रहे,गुजरात से आयी टीम एवं बाहर से आये अतिथियों का स्थानीय जैन समाज के द्वारा स्मृति चिन्ह,शाल,श्रीफल के साथ अभिनंदन किया गया।

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