गौतम लब्धि कलश में समाज के लिए जुटाया धन, अब मदद में करेंगे खर्च

गौतम लब्धि कलश में समाज के लिए जुटाया धन, अब मदद में करेंगे खर्च

टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में आज महानुष्ठान

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 29 जुलाई। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि महाराज तकरीबन डेढ़ साल पहले राजधानी आए थे। तब उन्होंने धर्म और समाजहित के उद्देश्य से जैन समाज के घरों-घर गौतम लब्धि कलश की स्थापना कराई थी। शनिवार को सभी लोग अपने साथ कलश लेकर गुरुदेव के पास टैगोर नगर स्थित श्री लालगंगा पटवा भवन पहुंचेंगे। इन पैसों को अब समाजहित में खर्च किया जाएगा।
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि गौतम लब्धि कलश अनुष्ठान अपने आप में एक बड़ा मिशन है। देशभर में इसके जरिए समाज के लोगों की मदद हो रही है। सेवा की इस योजना में तेजी से लोग जुड़ रहे हैं। रविवार को होने वाले आयोजन में रायपुर और आसपास के इलाकों के लोग हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम सुबह 9 बजे टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन से शिखर यात्रा निकालने के साथ शुरू होगा। इधर, प्रवचन में शनिवार को प्रवीण ऋषि ने कहा कि महावीर बनने की यात्रा में बहुत से टर्निंग प्वाइंट हैं।

इन टर्निंग प्वाइंट्स पर ठोस निर्णय नहीं ले पाए तो सीधा रास्ता भी उल्टा हो जाता है। मरीचि एक लक्ष्य के साथ के साथ आगे बढ़े कि मुझे तीर्थंकर जैसा ऐश्वर्य चाहिए। ये तभी होगा जब तीर्थंकर बनूंगा। ईश्वर ने उन्हें 20 मार्ग बताए। वे एक पर चले। महावीर के रूप में पुनर्जन्म हुआ और वे तीर्थंकर बने। अब आप बताइए, ऑप्शन होना बैटर है या बीटर है!
उन्होंने कहा, कई बार लोग कहते हैं कि परिस्थितियां ऐसी थीं कि मैंने वैसा निर्णय ले लिया। एक बात बताइए। गाड़ी खुद ब खुद चलती है या ड्राइवर उसे चलाता है? परिस्थितियां गाड़ी हैं और आप ड्राइवर। कंट्रोलिंग पावर आपके हाथों में होनी चाहिए।

परिस्थितियों के हिसाब से चलेंगे तो परिस्थितियां जैसा नाच नचाएंगी, आपको नाचना पड़ेगा। परिस्थितियों का जन्म कर्मों से होता है। निर्णय अपनी सोच से होता है। निर्णय की जिम्मेदारी परिस्थिति पर नहीं है। मान लीजिए आपको भूख लगी है। भोजन उपलब्ध है। लेकिन, रसोई में सिर्फ वही भोजन है जिसका आपने त्याग कर दिया है। क्या करेंगे? परिस्थिति के हिसाब से फैसला लेंगे तो आपकी भूख मिट सकती है। साथ में संकल्प भी टूटेगा। जब आप परिस्थितियों के हिसाब से फैसला लेते हैं, समाधान के साथ नई समस्या का भी जन्म होता है। मन:स्थिति पर सोच-विचार कर फैसला लेंगे तो समस्या से समाधान का जन्म होगा।

परिस्थितियों के आगे झुकने
की बजाय जूझना सीखिए
अटल बिहारी वाजपेयी के शासन में पोखरण में परमाणु हथियारों का परीक्षण किया गया। भारतीय वैज्ञानिकों ने इस तरह काम किया कि सारे सैटेलाइट धरे के धरे रह गए। विश्व को विस्फोट होने के बाद परीक्षण का पता चला। यूएसए को अगर सैटेलाइट के कैमरों से पता चल जाता तो परमाणु परीक्षण हो ही नहीं पाता। यह बड़ी कसौटी थी जिस पर हमारे वैज्ञानिक खरे उतरे। इस घटना के बारे भारत के ऊपर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पाबंदियां लगीं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में टेक्नालॉजी के आदान-प्रदान पर रोक लग गई। ऐसी स्थिति में दो ही रास्ते बचते हैं। पहला आत्मसम्मान गिरवी रखकर माफी मांग लो। दूसरा रास्ता जो वाजपेयी ने अपनाया था। उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम को बुलाकर पूछा कि विदेशी जो टेक्नालॉजी देने से मना कर रहे हैं, वो तुम यहीं तैयार कर सकते हो क्या? कलाम ने कहा- हां। पूरी तैयारी की गई। पहला प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग फेल हो गई। लाखों करोड़ रुपए पानी में डूब गए। इज्जत दांव पर लग गई। लेकिन, तब के प्रयासों के नतीजे आज देखिए। आज इसरो कहां है! भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम की आज दुनियाभर में तारीफ हो रही है। तब वाजपेयी झुक जाते तो आज हम यहां होते? संदेश यही है कि परिस्थितयों के आगे झुकने की बजाय जूझना सीखिए।
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9 अगस्त को आनंद ऋषि पर प्रवचन
आनंद ऋषि जी महाराज साहब ने जीवनभर संप्रदाय से ऊपर जिनशासन को महान बनाने के लिए काम किया। उनकी स्मृति में 9 अगस्त को श्री लालगंगा पटवा भवन में विशेष प्रवचन होगा। इसमें प्रवीण ऋषि जी महाराज साहब रात 9 से 10 बजे तक आनंद ऋषि की जीवनगाथा के जरिए समाजजनों को उन जैसा बनने की ट्रेनिंग देंगे।

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