गौतम लब्धि कलश से बरसा धन, इन पैसोंसे जरूरतमंदों की शिक्षा और इलाज में मदद

गौतम लब्धि कलश से बरसा धन, इन पैसोंसे जरूरतमंदों की शिक्षा और इलाज में मदद

टैगोर नगर के लालगंगा पटवा भवन में जुटे सैकड़ों

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 30 जुलाई. टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में रविवार को धन वर्षा हुई थी। मौका था सैकड़ों गौतम लब्धि कलश में बीते डेढ़ साल से जमा हो रही दान की रकम को इकट्ठा करने का। इन पैसों से अब समाज के जरूरतमंदों की शिक्षा, इलाज, रोजगार में मदद की जाएगी। दान का ये महानुष्ठान उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने संपन्न कराया।
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने कार्यक्रम में बोलियां लगवाईं। इस दौरान पूर्व मंत्री राजेश मूणत बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। श्री पटवा ने बताया कि डेढ़ साल पहले प्रवीण ऋषि जब रायपुर आए थे, उन्होंने तभी समाज के घरों में गौतम लब्धि कलश की स्थापना कराई थी। अब जब वे चातुर्मास के लिए रायपुर आए हैं तो रविवार को उनकी मौजूदगी में ही कलश खोले गए। इनसे बड़ी धन राशि इकट्ठी हो गई है। इसे अब समाज के लोगों की भलाई में खर्च किया जाएगा। कार्यक्रम में रायपुर के अलावा आसपास के शहरों से भी बड़ी संख्या में लोग कलश लेकर पहुंचे थे। गुरुदेव की आज्ञा से इन्हें खोला गया। कार्यक्रम के बाद लोग कलशों को अपने घर ले गए हैं। अब इनमें एक बार फिर नियमित रूप से दान इकट्ठा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अर्हम विज्जा के अंतर्गत 10 अगस्त से लगने वाले शिविरों की तैयारियां व्यापक रूप से शुरू हो गईं हैं।



2 चेहरा लेकर जीएंगे तो
समस्याएं आती रहेंगी
प्रवचन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा, साधक की पहचान क्या है? जैसा अंदर है, वैसा ही बाहर रहे। जैसा बाहर है, वैसा अंदर रहे। जिसके पास दो चेहरे न हों। सिंगल फेस। सिंगल कैरेक्टर। प्रॉब्लर्म कहां से शुरू होती है? परिस्थिति से नहीं। हमारे डबल कैरेक्टर से। ये प्रसिद्ध है कि रावण के पास 10 सिर थे। राम के पास एक ही सिर था। जीता कौन? सिंगल ब्रेन या दस माइंड वाला? भगवान महावीर का चरण चिन्ह शेर है। शेर सिंगल माइंड का होता है। उसके दो चेहरे नहीं होते। जब डबल कैरेक्टर नहीं होता है तो जीना आसान हो जाता है। बच्चा आराम से जीता है क्योंकि वह जैसा है, वैसे ही जीता है। निर्मलता उसी के जीवन में आती है जो सरल है। धर्म वही टिकता है जो सरल होता है। शकुनि के पास जुआ खेलने की कला है। वह किसी को हरा सकता है। लेकिन, शकुनि जिंदगी की बाजी कभी नहीं जीत सकता। रिश्तों में पारदर्शिता होनी चाहिए। सच को कितना भी छिपा लो, पता चल ही जाता है। जब सच किसी और से पता चलता है तो भरोसे के साथ रिश्ता भी टूट जाता है।



छिपाने का गणित लोगाें
को सियार बना सकता है
छिपाने का गणित ही किसी व्यक्ति को सियार बनने पर मजबूर करता है। बिना छिपाए राजनीति नहीं चलती। छुपाकर धर्म नहीं चलता। गांधीजी और दूसरे क्रांतिकारियों में कोई फंडामेंटल फर्क था तो दूसरे क्रांतिकारी बातें छिपाकर रखते थे। गांधीजी सब ओपन रखते थे। चर्चिल ने भी खुद कहा था, मुझे किसी से डर लगता है तो वह पतला-दुबला आदमी है। वो गांधी है।

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