0 टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन से धूमधाम से निकाली गई यात्रा
रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 31 जुलाई। . उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि जी महाराज साहब चातुर्मास के लिए रायपुर पधारे हैं। नित्य प्रवचन में वे महावीर गाथा के जरिए समाज को सार्थक जीवन जीने की राह दिखा रहे हैं। अर्हम विज्जा शिविर में लोगों को ध्यान और साधना के जरिए पर्सनल, सोशल और प्रोफेशनल लाइफ का मैनेजमेंट भी सीखा रहे हैं। इन शिविर से लोगों को जोड़ने के लिए सोमवार दोपहर 2 बजे टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन से ध्यान मंगल यात्रा निकाली गई।
धार्मिक प्रतीक चिन्ह साथ लेकर चल रही समाज की सैकड़ों महिलाएं और पुरुष लोगों से आह्वान कर रहे थे कि जीवन को बेहतर बनाने अर्हम विज्जा के तहत आयोजित शिविर में हिस्सा लें। रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि अर्हम विज्जा का मतलब है परम शक्ति का जागरण। गुरुदेव इन शिविर के जरिए लोगों के भीतर छिपी प्रतिभा को निखारने का काम करते हैं। आगामी शिविर के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, 7, 8, 9 अगस्त को अर्हम योग शिविर, 2 और 3 सितंबर को ब्लेसफुल कपल शिविर, 9 और 10 सितंबर को अर्हम गर्भ साधना शिविर, 23, 24 सितंबर को अर्हम मृत्युंजय शिविर, 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को अर्हम पैरेंटिंग शिविर, 3 से 5 अक्टूबर को अर्हम डिस्कवर योर सेल्फ शिविर का आयोजन किया गया है।
गलतियां लम्हों में होती हैं, सजा
सदियों तक भुगतनी पड़ती है
प्रवचन सभा में प्रवीण ऋषि ने कहा, गलतियां लम्हों में होती हैं। सजा सदियों तक भुगतनी पड़ती है। एक पैर फिसलता है और एवरेस्ट पर चढ़ने वाला व्यक्ति खाई में गिर जाता है। 999 कदम गलत हैं जब एक कदम गलत हो जाता है। 999 गलत कदम सही हो जाते हैं जब टर्निंग प्वाइंट पर उठाया एक कदम सही हो जाता है। जिंदगी में टर्निंग प्वाइंट आते रहते हैं। इन टर्निंग प्वाइंट्स में ट्रेजडी से बचना हो तो परमात्मा महावीर ने एक छोटा सा सूत्र सुझाया है, जिंदगी अपनी है। निर्णय गुरु और भगवान का है। इन दोनों को भूलकर खुद निर्णय लेना ट्रेजडी को आमंत्रण देना है। मरीचि का उदाहरण ले लीजिए। प्रभु भक्ति में डूबे मरीचि की अजीबोगरीब जिंदगी थी। कहां चक्रवर्ती का बेटा और तीर्थंकर का पोता!
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सवाल ऐसा पूछो जो लाजवाब हो
सवाल पूछो तो ऐसा जो लाजवाब हो। पहले समवशरण में मरीचि ने अपने दादा पहले तीर्थंकर ऋषभदेव से ऐसा ही सवाल पूछा था। अपने दादा से उन्होंने पूछा था कि आपकी तरह ऐश्वर्य मुझे कैसे मिल सकता है? जैसा जवाब मिला, उसी तरह जीना शुरू कर दिया। भक्ति भी ऐसी कि जो-जो मरीचि के पास आया, वह ऋषभदेव का हो गया। मरीचि ने कभी किसी को अपना नहीं बनाया। उसने केवल एक सपने को अपना बनाया था। तीर्थंकर का ऐश्वर्य प्राप्त करना है। महावीर स्वामी के रूप में जन्म लेकर उन्होंने इस ऐश्वर्य को प्राप्त किया।