राजनंदगांव(अमर छत्तीसगढ ) 13 अगस्त। हिंदी अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र में संरक्षक एवं प्राचार्य डॉक्टर के. एल. टांडेकर के मार्गदर्शन में हिंदी विभाग के शोधार्थियों की डीआरसी की बैठक संपन्न हुई। इस अवसर पर प्राचार्य ने कहा कि शोध कार्य में गंभीरता आवश्यक है। शोध सामाजिक विकास में सहायक होते हैं ।आजकल तकनीकी सुविधा बढ़ गई है, परंतु एक अच्छे शोधार्थी को विषय से संबंधित सर्वे, साक्षात्कार एवं मूल स्थान में जाकर अपने शोध को प्रूफ करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुक्तिबोध का साहित्य वैश्विक स्तर पर ख्यात है ,उनकी महाविद्यालय से संबद्धता हमारे लिए गर्व और गौरव की बात है। इस बैठक में शोधार्थियों ने अपने शोध प्रारूप की प्रस्तुति दी जिस पर शोध समिति के सदस्य डॉ. श्रद्धा चंद्राकर, पूर्व प्राचार्य शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बालोद डॉ. बी एन जागृत विभाग अध्यक्ष, हिंदी विभाग ,डॉक्टर आस्था दीवान_ सहायक प्राध्यापक समाधान महाविद्यालय, बेमेतरा द्वारा शोधार्थियों की शोध रूपरेखा की समीक्षा करते हुए आवश्यक सुधार के निर्देश दिए गए।
कार्यक्रम का संचालन विभाग की एस आर एफ शोधार्थी बिंदु डनसेना ने किया। आभार ज्ञापन प्राध्यापक डॉ. प्रवीण साहू ने किया। बैठक में शोधार्थी श्रीमती रेखा साहू, अनिल पटेल, जीवंतिका ठाकुर एवं विभाग के प्राध्यापक डॉ. नीलम तिवारी, डॉ. गायत्री साहू, डॉ. स्वाति दुबे, कौशिक बीसी एवं पत्रकारिता विभाग के सहायक प्राध्यापक अमितेश सोनकर तथा स्नातकोत्तर हिंदी के विद्यार्थी गण उपस्थित रहे।