रायपुर (वीएनएस)। टैगोर नगर स्थित लालगंगा पटवा भवन में चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान सोमवार की धर्मसभा जैन संत प्रवीण ऋषि ने कहा कि हम अपने दुश्मन से तो लड़ सकते है, लेकिन खुद से लड़ना सीखो। अपने ऊपर विश्वास करना सीखो। जीवन में समस्या आती है, उस समस्या से निपटने विवेक से काम लो। जहां आप विवेक का पल्ला छोड़ेंगे, समस्या आपके पीछे पड़ जायेगी। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।
महावीर कथा के दौरान प्रवीण ऋषि ने सुरसा और कंस का उदाहरण देते देते हुए कहा कि सुरसा और कंस दोनों को उनकी मृत्यु का पता चल गया था। भविष्यवाणी ने उन्हें बता दिया था कि उनकी मृत्यु कैसे होगी, और कौन उनकी मृत्यु का कारण बनेगा। भविष्यवाणी सुनकर कंस ने हिंसा का रास्ता अपनाया और सुरसा ने सहयोग का। कंस ने अपनी सगी बहन को बंदी बना लिया और उनके बच्चों को मारने लगा। वहीं सुरसा ने अहिंसा का मार्ग चुना और वह सफल हुई। मुसीबत के समय हम कौन सा रास्ता अपनाते हैं, यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है। कोई आपकी हत्या कब करेगा? जब आप उसके दुश्मन बनेंगे तभी वह आपकी हत्या के बारे में सोच सकता है। अगर आप उसे अपना दोस्त बना लेंगे तो क्या वो आपकी हत्या करेगा? कंस ने ऐसा नहीं किया। श्रीकृष्ण के जन्म से पहले ही कंस ने उन्हें अपना दुश्मन बना लिया। जो दुश्मनी का रास्ता चुनते हैं, पर्युषण पर्व उनके लिए नहीं है। कंस ने अपने विवेक खो दिया था, हताश हो गया था। लेकिन सुरसा ने अपने विवेक नहीं खोया, हताश नहीं हुई। उसने भक्ति का रास्ता अपनाया और वह सफल हुई। रास्ता उन्ही को मिलता है जो उसे खोजने की कोशिश करते हैं। धर्मधान कहते हैं कि समाधान खोज लें। हिंसा से समस्या का समाधान खोजेंगे तो समस्या ही प्राप्त होगी। अहिंसा और विवेक से समाधान खोजने से सफलता मिलती है। पर्युषण पर्व समाधान का पर्व है, जो समाधान की यात्रा पर चलते हैं, उन्हें साधना की प्राप्ति होती है।
प्रवीण ऋषि ने महावीर की कथा आगे बढ़ाते हुए कहा कि विश्वभूति संभूति विजय की गोद में अपने सर रखकर रो रहे हैं, सोच रहे हैं, कोई रिश्ता नहीं बचा, अंतर्मन में द्वंद्व चल रहा था। इस लड़ाई से तो भागने अच्छा है। विश्वभूति ने यही सोचा और चल पड़ा। लेकिन मन में शांति नहीं है। संभूति विजय विश्वभूति की बात सुन रहे हैं। विश्वभूति ने कह कि मैंने कहां भूल की, मेरी क्या गलती है? मुझे किस अपराध की सजा दी जा रही है। मैंने अपनों पर हमला नहीं किया, क्या यही मेरा गुनाह है?
विजय संभूति ने कहा कि युद्ध में जाने से पहले तुमने मंत्री की बात सुनी, आवेश में आ गए, विवेक से निर्णय नहीं लिया। तुमने विवेक का पल्ला छोड़ा और समस्या तुम्हारे पल्ले पड़ गई। तुमने अपना संयम खो दिया था। तुम अविवेक से बात करना छोड़ दो। विवेक से काम लो।
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि 15 अगस्त की दोपहर प्रवीण ऋषि विहार कर ललित महल पहुंचेंगे, जहां वे 16-18 अगस्त तक चलने वाले को आनंद जन्मोत्सव की तैयारियों को मूर्त रूप देंगे। कैसे प्रवचन होगा, कब दूसरे कार्यक्रम होंगे, इन सभी चीजों की तैयारियां गुरुदेव करेंगे। प्रवीण ऋषि ललित महल में 16 से 18 अगस्त तक रुकेंगे। 18 अगस्त की दोपहर वे ललित महल से विहार करते हुए लालगंगा पटवा भवन, टैगोर नगर पहुंचेंगे। रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने ज्यादा से ज्याद श्रद्धालुओं को आने की अपील की है।
ऐतहासिक होगा आनंद जन्मोत्सव
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि राष्ट्रसंत आचार्य आनंदऋषि मासा के 124वें जन्मोत्सव ऐतहासिक होगा। ललित महल के बॉल रूम में वृहद धार्मिक वातावरण निर्मित होने वाला है। 17अगस्त को हजारों की संख्या में रायपुर सहित बाहर से श्रद्धालु ललित महल पहुंचेंगे। ललित पटवा ने रायपुर सकल जैन समाज के सभी सदस्यों से इस महोत्सव में शामिल होने की अपील की है।
एक साथ होगी 1008 अट्ठाई
इस बार अट्ठाई महोत्सव के 15वें वर्ष के उपलक्ष्य में आचार्य प्रवीण ऋषि के सानिध्य में ललित महल में आनंद जन्मोत्सव का आयोजन होगा। इस दौरान पहली बार एक साथ 1008 अट्ठाई होगी।
कार्यक्रम की रूप रेखा
16 अगस्त को आनंद चालीसा, प्रवचन होगा। प्रातः 7-8 बजे नवकारसी, 8.30 बजे आनंद चालीसा, 9 बजे से प्रवचन, दोपहर 12-1 बजे गौतम प्रसादी, 2 बजे तपस्वी चौवीसी, शाम 5-6 बजे चौविहार, रात्रि 8-9 बजे आनंद गाथा और रात्रि 9 बजे से भक्ति।
17 अगस्त को आयम्बिल दिवस व गुणानुवाद सभा का आयोजन होगा। प्रातः 7-8 बजे नवकारसी, 8.30 बजे आनंद चालीसा, 9 बजे से गुणानुवाद सभा व 1008 अट्ठाई पचरक्खाण, दोपहर 12-1 बजे गौतम प्रसादी, शाम 5-6 बजे चौविहार, रात्रि 8-9 बजे आनंद गाथा और रात्रि 9 बजे से भक्ति।
18 को परायण महोत्सव मनाया जाएगा। प्रातः 8.30-9.30 बजे पारणा, 9.30 से 10.30 प्रवचन, 12-1 बजे गौतम प्रसादी, दोपहर 2 बजे विहार।
कार्यक्रम के संयोजक अशोक पटवा ने बताया कि इस महोत्सव के लाभार्थी राजेश मूणत परिवार, जी सी जैन परिवार व हुकमचंदजी पटवा परिवार हैं।