रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 17 अगस्त।
तप करना कर्म निरर्जरा का एक माध्यम है जिससे व्यक्ति मोक्ष मार्ग का वमन कर सकता है। भूखा रहना तपस्या नहीं हर कोई भूखा नहीं रह सकता। तपस्वी खाने में समता रखते हुए परम आनंद को पाता है आत्मावलोकन करता हुआ कर्मो को तोड़ता है। उक्त प्रेरणा पाथेय रायपुर, सदर बाजार स्थित तेरापंथ अमोलक भवन में गतिमान प्रवास अंतर्गत आयोजित तपमय प्रवचन श्रृंखला में आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्देशिका डॉ. ज्योतिप्रज्ञा जी ने प्रदान किया। समणी डॉ. मानसप्रज्ञा जी ने तपस्वी के तप की अनुमोदना में कहा की उच्च मनोबल धारण कर सम भाव रखते हुए ही हम तप रुपी गंगा में डुबकी लगा सकते है।
आज दिनांक 17/08/2023 को समणी वृंद के सान्निध्य में तपस्वी सूर्य प्रकाश बैद – 9 व यश बोथरा – 8 की तपस्या प्रत्याखान के साथ उपस्थित हुए। तप अभिनंदन समारोह में तपस्वीयों ने भी अपने उदगार में तप को समता का मार्ग बताते हुए भूख पर सम भाव से नियंत्रण रखने को परम आनंद बताया।
तेरापंथ युवक परिषद्, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, प्रातः कालीन प्रार्थना ग्रुप, परिजनों ने तप अनुमोदना गीत व गौतम गोलछा, वीरेंद्र डागा, गौरव दुगड़, कमल बैद, कुशल बोथरा, संपतराज डागा, संजल बैद ने भाव अभिव्यक्ति के द्वार तप अनुमोदना की। तपस्वीयों का अभिनंदन तप के द्वार अरुण सिपानी, अनिता नाहर, सारिका झाबक, संतोष झाबक ने किया।