रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 19 अगस्त। जैन धर्म के अनुसार जम्बूस्वामी इस अवसर्पनी काल के अंतिम केवली हुए । केवली का अर्थ वो आत्मा जिसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। जम्बूस्वामी बालपन से ही शस्त्र और शास्त्र में निपूण थे। चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के गणधर श्री सुधर्मा स्वामी से उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिली और उन्हें दीक्षा के भाव उत्पन्न हुए। जम्बूस्वामी अपने माता पिता से दीक्षा के लिए आज्ञा मांगने गए तब उनके माता पिता ने उन्हें दीक्षा से पूर्व विवाह करने के लिए कहाँ। उनका विवाह 8 सुंदर कन्याओं के साथ संपन्न हुआ।विवाह की प्रथम रात्रि जम्बूस्वामी अपनी 8 पत्नियों को संयम के मार्ग पर चलने का उपदेश देते है। और यह सारा प्रसंग वहाँ चोरी करने आया प्रभव भी सुनता है और उसे भी वैराग्य आ जाता है। इस प्रकार जम्बूस्वामी उनकी 8 पत्नियां , और उन सबके माता पिता संग प्रभव चोर और उसके 500 साथी भी दीक्षा लेते है।
इस प्रकार 527 पुण्य आत्माओँ ने एक साथ सुधर्मा स्वामी की निश्रा में दीक्षा ली। जम्बूस्वामी का किरदार निभाया कीर्ती निम्मानी, 8 पत्नियों का आस्था धाड़ीवाल,अनुषा गोलछा, शेवि बाफना, गरिमा चोपड़ा, नम्रता लुनिया, प्रभव चोर का दिव्या जैन इन सबके संयम जीवन का परिचय छोटे छोटे बच्चों ने दिया आदित्य वढेर, चिन्नी तटीय,सोहम सांखला, रानी जैन। इस जीवित झांकी की सूत्र धारक प्रेरणा कोचर थी।
यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ रत्न शिरोमणि महत्तरा पद विभूषिता श्री मनोहर श्री जी म.सा. की सु शिष्या प.पू. श्री शुभंकरा श्री जी म. सा . की निश्रा में पर्युषण महापर्व के अवसर पर रात्रि में जैन दादाबाड़ी के प्रांगण में सम्पन्न हुआ ।