रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 30 अगस्त। सदर बाजार स्थित तेरापंथ अमोलक भवन में गतिमान तपोभिनंदन श्रृंखला अंतर्गत आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्देशिका डॉ. ज्योतिप्रज्ञा जी, समणी डॉ. मानसप्रज्ञा जी के सान्निध्य में आज दिनांक 30/08/2023 को तपस्वीनी कन्या सुश्री एकता छाजेड़ तपस्या के प्रत्याखान लेकर पधारी। तपस्या अनुमोदनार्थ समणी वृंद द्वारा सुमधुर गीतिका ‘तप का आलंबन कर तुमने की है तप कमाई…’ प्रस्तुत करते हुए कहा कि तप हमारे मन की सफाई करने वाला होता है।
समणी वृंद ने कहा हम घर में रहते हैं, कपड़े पहनते हैं के साथ ही शरीर भी अनेक प्रकार की गंदगियों से मैला हो जाता है जिसे हम सफाई कर साफ़ करते हैं। उसी प्रकार हमारा मन भी अनेक प्रकार की व्याधियों/विचारों से मैला हो जाता है जो हमें दिखाई नहीं देता फिर भी उसे साफ पवित्र बनाने की आवश्यकता होती है। मन को साफ करने का उत्तम मार्ग है तपस्या। तप करता तपस्वी सम भाव से मन की गहराई में उतर कर चिंतन करते हुए मन की गांठों को खोलता रहता है जिसका परिणाम यह होता है कि उसका मन सभी के प्रति करुणा और दया के भाव से द्रवित हो पवित्र बन जाता है। मन दो प्रकार का होता है रोगी और निरोगी। हमारा मन दोनों तरह का होता है जिसे हम तप के माध्यम से निरोगी बना सकते है। तपस्वीनी का अभिनंदन तप के द्वार अरुण सिपानी ने किया। तपस्वीनी को योगिता छाजेड़ व नीलम छाजेड़ ने नृत्य प्रस्तुति व नेहा छाजेड़, अरुण सिपानी, रश्मि डागा ने भाव अभिव्यक्ति द्वारा शुभकामनाएं दी। विशेष सहयोग हेतु सुनील पटेल का आभार व्यक्त किया गया।