वाणी के विवेक से विश्राम और शांति मिलती है – उपासक दिनेश कोठारी एवं जयंतीला (वैशाली नगर )…. पाप, इर्षा, अपमान, धोखा करने वाले व्यक्ति को तो पशु अथवा कीड़े मकोडिया योनि में जन्म- उपासिका स्मिताबेन, लीनाबेन ( टिकरापारा )

वाणी के विवेक से विश्राम और शांति मिलती है – उपासक दिनेश कोठारी एवं जयंतीला (वैशाली नगर )…. पाप, इर्षा, अपमान, धोखा करने वाले व्यक्ति को तो पशु अथवा कीड़े मकोडिया योनि में जन्म- उपासिका स्मिताबेन, लीनाबेन ( टिकरापारा )

पर्युषण महापर्व के चौथे दिन वाणी संयम दिवस

बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 15 सितंबर। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ समाज द्वारा वैशाली नगर निवासी हुल्लास चंद गोलछा के निवास में प्रतिदिन प्रवचन एवं अन्य धार्मिक कार्यक्रम हो रहे हैं। जिसमें पर्युषण महापर्व के चौथे दिन वाणी संयम दिवस पर नवकार जाप और प्रेक्षा ध्यान के प्रयोग अंतर्यात्रा के बाद उपासक जयंतीलाल जी ने वाणी संयम का महत्त्व विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से बताया। द्रौपदी के हास्य से महाभारत हो गया। वाणी के विवेक से विश्राम और शांति मिलती है। प्रवक्ता उपासक दिनेश कोठारी ने सम्यक्त्व के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि हमारे भीतर क्रोध, मान, माया, लोभ कितना है, उसके आधार पर यह पता चल जाता है कि हमारा आध्यात्मिक विकास कितना हुआ है।
सम्यक्त्व को पुष्ट करते रहने के लिए और मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए कषाय ( क्रोध, मान, माया, लोभ ) को कम करना अति आवश्यक है। वाणी संयम के विषय पर प्रेरणा दी कि हमारा मौन ऐसा हो जिसमें बोलना तो वर्जित हो ही, शरीर से कोई इशारा न किया जाए और मन में विचार भी न आए (आए तो उसे सिर्फ देखें), यह मौन की उत्कृष्ट साधना होगी।

बड़ी संख्या में तपस्या
आज श्रीमती अर्चना नाहर के 13 की तपस्या गतिमान है, श्रीमती ललिका मालू,सोनिका नाहर एवं सुमित बोथरा के 4 की तपस्या है, ललिका मालू जैन 4 दिन से मौन रह कर तप कर रही है। वही सुमित बोथरा द्वारा चोविहार तप जिसमें 4 दिन से न कुछ खाया न ही पानी तक लिया, निकिता गोलछा के आज बेला की तपस्या है और भी छोटे छोटे तप गतिमान है।
इस अवसर पर भीखम दुग्गड़, रमेश नाहर, चंद्र प्रकाश बोथरा, अमित बोथरा, इंदर चंद बैद, मनोज धारीवाल, पुनीत दुग्गड़, कन्हैयालाल बोथरा, मेहुल छल्लानी, बिनोद लूनिया, शीला छल्लानी, नीतू जैन, कमला दुग्गड़, भारती भंसाली, सारिका नाहर, भावना जैन, ललिका जैन, संगीता जैन, कांवरी जैन, कुसुम लूनिया, अर्चना नाहर, सोनम नाहर, अंजू गोलछा, निकिता गोलछा सहित समाज के लोग उपस्थित थे।

टिकरापारा जैन भवन
श्री दशा श्रीमाली स्थानकवासी जैन संघ टिकरापारा में पर्युषण महापर्व का चौथा दिन चल रहा है। समाज में जैन धर्म के सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक तप को बताने के लिए स्मिताबेन सुरेंद्रनगर से और लीना बेन नवसारी गुजरात से बिलासपुर पधारे हैं।
बहनो के द्वारा प्रवचन में कहा गया के 84 लाख योनियों में से मनुष्य भव मिलना बहुत ही कठिन है और मनुष्य भव में ही तप और तपस्या, साधना करके मोक्ष प्राप्त करना संभव है जो आत्मा अच्छे कर्म करके पुण्य कमाती है उसे ही मनुष्य भव मिलता है पाप, इर्षा, अपमान, धोखा करने वाले व्यक्ति को तो पशु अथवा कीड़े मकोडिया योनि में जन्म होता है, मनुष्य को हमेशा पुण्य कमाने के लिए अन्य लोगों की छोटी-छोटी मदद करते रहना चाहिए। थोड़ा-थोड़ा पुण्य करने से ही पुण्य का घड़ा भरेगा, इसलिए हर मनुष्य को एक वचन खुद से लेना चाहिए की प्राण जाए पर सदाचार ना जाए।
इस वर्ष पर्यूषण पर्व में सबसे बड़ी तपस्या हो रही है जिसमें श्रीमती भाविका तेजणी का आज 12वां उपवास है, हीर कपाड़िया का आज 7वां उपवास है, श्रीमति श्रुति कोठारी का आज 5वां उपवास है, श्री सौरभ कोठारी का आज चौथा उपवास है, श्रीमती वीणा तेजाणी का आज चौथा उपवास है जैन धर्म में उपवास सबसे कठिन तप माना जाता है क्योंकि इस उपवास तप में सूर्योदय से सूर्यास्त होने तक सिर्फ उबला हुआ पानी पिया जाता है इसके अलावा अन्न, फल, फलाहार आदि किसी भी प्रकार का सेवन नहीं किया जाता है। यह तप बहुत ही कठिन होता है। सभी तपस्वियों को समाज की ओर से खूब-खूब अनुमोदना करते हैं।

आज के प्रवचन में भगवान दास भाई सुतारिया, प्रवीण दामाणी, सौरभ कोठारी,हितेश सुतारिया, गोपाल वेलाणी,नरेंद्र तेजाणी, राजू तेजाणी, पारुल सुतारिया, भावना गांधी, तरुणा देसाई,खुशबू देसाई,दीपिका गांधी, कल्पा तेजाणी, सुधा गांधी, बेला तेजाणी, वीणा तेजाणी, ज्योत्सना तेजाणी, वात्सला कोठारी और भी अधिक मात्रा में समाज के सभी सदस्य मौजूद थे।

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