मजदूरों की सारी योजनाएं भूपेश सरकार ने बंद की – डॉ. रमन सिंह

मजदूरों की सारी योजनाएं भूपेश सरकार ने बंद की – डॉ. रमन सिंह

मजदूर दिवस पर भामसं ने विशाल रैली निकाली
भगवान विश्वकर्मा मजदूरों के देवता है – सुनील किरवई

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 17 सितंबर। भारतीय मजदूर संघ ने आज अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रीय श्रम दिवस विश्वकर्मा जयंती पर मजदूरों की विशाल रैली निकाली, जो शहर के प्रमुख मार्गो का भ्रमण करते हुये जयस्तंभ चैक में सभा के रूप में समाप्त हुई। इसके पूर्व सीजे पटेल गोदाम जी.ई.रोड में आयोजित राष्ट्रीय श्रम दिवस समारोह को संबोधित करते हुए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर तीखे प्रहार करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में मजदूरों के लिये जन्म से लेकर मृत्यु तक की कालजयी योजनाएं तैयार की गई थी, जिसका लाभ प्रदेश के लाखों गरीब मजदूरों को मिला था, किन्तु सत्ता परिवर्तन के बाद प्रदेश के वर्तमान मुखिया भूपेश बघेल ने श्रमिक कल्याण की ज्यादातर योजनाओं को बंद कर उन्हे दर-दर भटकने पर मजबूर कर दिया है।

आज प्रदेश में चाहे वो संगठित क्षेत्र का मजदूर हो, चाहे असंगठित क्षेत्र का मजदूर हो, उनके कल्याण की योजनाओं का कोई माई-बाप नहीं है। विशेषकर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का व्यापक पैमाने पर शोषण हो रहा है। उनके सामाजिक कल्याण के उत्तरदायित्व से वर्तमान सरकार विमुख हो गई है। उन्होनें भूपेश बघेल की सरकार को मजदूर विरोधी सरकार करार देते हुए इसके समूल नष्ट करने का आह्वान किया।
समारोह को संबोधित करते हुए भारतीय मजदूर संघ के मध्य क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री सुनील किरवई ने कहा कि देश के मजदूरों के लिये भगवान विश्वकर्मा उनके आराध्य है। वे विश्व के ऐसे व्यक्तित्व है जिन्होनें त्याग-तपस्या बलिदान का उदाहरण देते हुये अपने पुत्र के वध के लिये महर्षि दधिचि की हड्डियों से हथियार किया था। वे निर्माण के देवता है, उनकी उपासना ही मजदूरों के कल्याण का मार्ग है।

उन्होने राष्ट्रीय श्रम दिवस की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि भारतीय मजदूर संघ ने प्रारंभ से ही 1 मई के बजाय 17 सितंबर को मजदूरों का उनका वास्तविक दिवस मानता आ रहा है। 1 मई को उद्योगपतियों के षड्यंत्र से कुछ मजदूरों की मृत्यु हुई थी, 1 मई मजदूरों का शहादत दिवस है न कि मजदूरों का मजदूर दिवस। किन्तु वैचारिक दिवालियापन के चलते विदेशी सोच के वामपंथियों ने 1 मई को मजदूर दिवस माना, जबकि इसके उलट भारतीय मजदूर संघ ने भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन 17 सितंबर को ही देश के मजदूरों का वास्तविक श्रम दिवस मानता आ रहा हैं। यही कारणहै कि आज जिले भर के सैकड़ो-हजारों कामगार मजदूर दिवस मनाने के लिये यहाॅ एकत्र हुये है और रैली के रूप में शहर भ्रमण करेंगे। उन्होनंें मजदूरों से लोक कल्याण का आव्हान करते हुये कहा कि देश में कथिपय तत्व सनातन संस्कृति को समूल नष्ट करने की बात कर रहे है। ऐसी राजनीतिक सोच और विचारधारा से हमें सावधान रहना चाहिये। क्योंकि सनातन संस्कृति ही भारतीय जीवन मूल्यों का आधार हैं और मजदूरों के कार्य भी सनातन संस्कृति में भगवान विश्वकर्मा के बताये मार्ग पर चलता है। देश के वातावरण को देखकर ऐसा लग रहा है कि कतिपय लोग भारतीय सनातन आस्था के केन्द्रों को, विचारों और सिद्धांतों को नष्ट करने में तुल गये है, हमें ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिये आगे आना होगा।
समारोह का संचालन भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश संगठन मंत्री योगेशदत्त मिश्रा ने किया और कहा कि डाॅ. रमन सिंह छत्तीसगढ़ के इतिहास केें ऐसे मुख्यमंत्री है जिन्होनंे अपने प्रदेश के एक-एक नागरिक के लिये योजना बनाकर उसका उनको लाभ दिया इसमें मजदूरों के लिये बनाई गई उनकी योजना चिर-स्थायी रह गई है।

समारोह में प्रमुख रूप से सुदर्शनदास मानिकपुरी, गजानंद मिश्रा, हमाल संघ के अध्यक्ष बहल राम, महासचिव केशव राम सिन्हा, ठाकुर राम, भामसं के जिला संयोजक नरेश राम साहू, बिजली कर्मचारी महासंघ के लाखन सिंह कुशवाहा, निर्वाणी, आंगनबाड़ी व मितानिन संघ से अल्का बारसागढ़े, संध्यादेवी, तेंदूपत्ता गोदाम सुरक्षा श्रमिक संघ सोमन राव, सुमरन दास बंजारे, कुशल राम यादव, कमल सिन्हा, मुकुट राम साहू, गुमान ठाकुर, संतोष जांगड़े, रामखिलावन जांगड़े, गोपीराम जांगड़े, भोलाराम सिन्हा,यशवंत ठाकुर, सूबेदासचंदेल, गैंदा खरे, जितेन्द्र साहू, पल्टन पटेल, बलदाऊ साहू, शत्रुराम साहू, दयालुराम कौशिक , गोपीराम बंजारे सहित बड़ी तदाद में मजदूर संघ के नेता व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
समारोह में जिला भाजपा अध्यक्ष रमेश पटेल, तेंदूपत्ता व्यापारी संघ के विजय कोटड़िया की उपस्थिति विशेष रही।

Chhattisgarh