रायपुर (अमर छत्तीसगढ़)। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि लेश्या का विज्ञान प्रभु महावीर ने प्रदान किया है, लेकिन अज्ञानता वश हम कृष्ण लेश्या, नील लेश्या और कपोत लेश्या के चक्कर में उलझते रहते हैं। अगर इसका ज्ञान हमें मिल जाये तो जीवन में तेजो लेश्या, पद्म लेश्या और शुक्ल लेश्या की वर्षा शुरू हो जायेगी। उपाध्याय प्रवर बुधवार को टैगोर नगर स्थित लालगंगा पटवा भवन में आयोजित प्रवचन माला में लेश्या का वर्णन कर रहे थे। 15 दिवसीय इस विशेष प्रवचन माला में उपाध्याय प्रवर लेश्या और इसके हमारे जीवन में प्रभाव व इससे बचने के उपाय बता रहे हैं। आज की प्रवचन माला में उन्होंने नील लेश्या के विषय में आगे बताया। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।
उपाध्याय प्रवर ने कहा कि प्रभु महावीर ने नील लेश्या से बचने के लिए संत जीवन में कई छोटी-छोटी बातें बताई हैं, जिनका आप लोग भी अनुसरण कर सकते हैं। इसमें सबसे पहला है विराम। जैसे कोई मशीन आप 24 घंटे चलाएंगे हो वह खऱाब हो जाती है। मशीन को कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता है, फिर काम शुरू करते हैं। वैसे ही हम भी जब कोई काम करते है, तो दूसरा काम शुरू करने से पहले थोड़ा विराम जरुरी है। एक प्रवृत्ति के बाद तुरंत दूसरी प्रवृत्ति शुरू मत करें, थोड़ा विराम दें। नील लेश्या वाला व्यक्ति लगातार उधेड़बुन में लगा रहता है। उनकी प्रवृत्ति निरंतर है। नील लेश्या का चरित्र है हाइपर एक्टिव। लोग सोने से पहले घंटों फोन पर लगे रहते हैं, और सोने के बाद उनके दिमाग को आराम नहीं मिलता है। ऐसे लोग अपने अंदर नील लेश्या की फैक्ट्री खोल लेते हैं। बड़ी बड़ी कंपनियों के अधिकारियों-कर्मचारियों को आराम करना सिखाया जाता है। यहां तक कि महात्मा गांधी भी जब समय मिलता था तो एक झपकी ले लेते थे। इसका मतलब यह है कि जब आप कोई काम ख़त्म कर दूसरा काम शुरू करने जाते हैं, तो उस काम को शुरू करने से पहले थोड़ा रुकें, फिर काम शुरू करें।
उपाध्याय प्रवर ने आगे बताया कि नील लेश्या की जीवन शैली बन्दर की तरह रहती है। बन्दर की तरह सोचते हैं, और वैसा ही करते हैं। न तो ये चुपचाप बैठते हैं, और न ही किसी को शांति से रहने देते हैं। ये व्यक्ति अपने अंतिम समय में भी उधेड़बुन में रहते हैं। जो चक्रवर्ती आराम करना जनते हैं, मोक्ष में जाते हैं। जो निरंतर उद्योग में लगे रहते हैं, क्या अच्छा काम पर पाते हैं? अच्छा काम करने के लिए निरंतर लगे रहने जरूरी है कि थोड़ा आराम जरुरी है? परमात्मा ने कहा कि आराम जरुरी है। 48 मिनट तक सारे काम छोडक़र अपने आप से जुडिय़े, परिवार से जुडिय़े। जुड़े रहेंगे तो ऑब्जर्व कर सकेंगे। जो प्रवृति से निवृत्त नहीं हो पाता है वो क्षुद्र बनता है। प्रवृत्ति और निवृत्ति का संतुलन जरुरी है। विश्राम का तरीका आना चाहिए। नींद-शवासन शरीर का विश्राम है तो ध्यान दिमाग का। मन-वचन-काया की मशीन को आराम देना जरुरी है, एडिक्शन से निकलना है तो ब्रेक जरुरी है।
रायपुर श्रमण के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि 1 अक्टूबर से उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि आदि ठाना 2 के सानिध्य में लालगंगा पटवा भवन नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान शुरू होने जा रहा है। 1 अक्टूबर को 24 घंटों का नवकार महामंत्र जाप होगा। इसके बाद 2 अक्टूबर को नवकार कलश अनुष्ठान होगा। उन्होंने बताया कि रायपुर समेत छत्तीसगढ़ और देशभर से जैन परिवारों के नाम इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए आ रहे हैं। इस कलश अनुष्ठान में जुडऩे के लिए लंदन, सिंगापूर, दुबई, अमेरिका में रहने वाले जैन परिवारों के नाम भी आ रहे हैं। उन परिवारों के लिए इस अनुष्ठान से जुडऩे के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी की गई है।