ललित पटवा ने सर्व समाज का जताया आभार, दिया धन्यवाद
रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 2 अक्टूबर। नवकार महामंत्र जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूल मंत्र है। इसमें किसी व्यक्ति का नहीं, किंतु संपूर्ण रूप से विकसित और विकासमान विशुद्ध आत्मस्वरूप का ही दर्शन, स्मरण, चिंतन, ध्यान एवं अनुभव किया जाता है। इसलिए यह अनादि और अक्षयस्वरूपी मंत्र है। लौकिक मंत्र आदि सिर्फ लौकिक लाभ पहुँचाते हैं, किंतु लोकोत्तर मंत्र लौकिक और लोकोत्तर दोनों कार्य सिद्ध करते हैं। इसलिए नवकार मंत्र सर्वकार्य सिद्धिकारक लोकोत्तर मंत्र माना जाता है। नवकार मंत्र हमेशा मानवता के हित का काम करता है, इसमें किसी भगवान का नाम नहीं पर दुनिया में ऐसी कोई ईश्वरीय शक्ति भी शेष नहीं जो इसमें न आयी हो, क्योंकि यह व्यक्तिवाचक नहीं यह महामंत्र गुणवाचक है। यह गुणों की पूजा करता है, कोई भी व्यक्ति इसका जाप करे, यह हर धर्म का-हर व्यक्ति का मंत्र है। इस धरती पर आज तक किसी में भी यह हिम्मत नहीं कि वह महामंत्र में भेद कर सके, क्योंकि यह अभेद्य है। और अगर इस महामंत्र से अभिमंत्रित कलश किसी घर में स्थापित हो जाता है तो उस घर में महापुरुषों की कृपा बरसती है।
2 अक्टूबर का दिन सकल जैन समाज के लिए ऐतिहासिक हो गया है। देश में पहली बार अर्हम विज्जा प्रणेता उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि आदि ठाना-2 की पावन निश्रा में लालगंगा पटवा भवन में भव्य 1008 नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान संपन्न हुआ। इस अनुष्ठान के लिए लालगंगा पटवा भवन को भव्य रूप से सजाया गया था। ऐसा लग रहा था मानो 90 महापुरुषों की कृपा बरस रही हो इस अनुष्ठान के लिए। प्रवीण ऋषि और तीर्थेश मुनि ने अनुष्ठान संपन्न कराया। इस अनुष्ठान में 1008 नवकार कलश को अभिमंत्रित किया गया। इस अनुष्ठान में रायपुर, भिलाई, दुर्ग सहित मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक के भी जैन परिवार शामिल हुए। विदेश में भी बसे जैन परिवारों को इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए ऑनलाइन लिंक उपलब्ध कराया गया था।
इस भव्य अनुष्ठान के आयोजन से रायपुर श्रमण संघ को एक बार फिर कीर्तिमान बनाने का अवसर मिला। एक कीर्तिमान बना था 17-18 अगस्त को ललित महल में 1008 अट्ठाई का, मौका था राष्ट्र संत आनंदऋषि मासा के जन्मोत्सव आनंद महोत्सव का। और दूसरा अवसर आज, 2 अक्टूबर को लालगंगा पटवा भवन में, जहां पहली बार 1008 नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान संपन्न हुआ। यह अनुष्ठान अब तक का सबसे अनूठा अनुष्ठान है, जिसमे बड़ी संख्या में जैन समाज के लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जो परिवार नहीं आ सकते थे, उनके लिए भी उत्तम व्यवस्था थी। इस अनुष्ठान के लिए उपाध्याय प्रवर ने रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा और उनकी धर्मपत्नी एकता पटवा का अभिनन्दन किया।
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने इस अनुष्ठान के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उपाध्याय प्रवर की महिमा और उनका रायपुर के प्रति स्नेह है जिसने हमें शक्ति और उत्साह प्रदान किया जिससे यह अनुष्ठान एक ऐतहासिक अनुष्ठान बन गया। उनका ही आशीर्वाद और उनका प्रयास है जिससे रायपुर में अलौकिक शक्ति की स्थापना हुई है। उन्होंने तीर्थेश मुनि के बारे में बताया कि इस अनुष्ठान की तैयारी के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिए। जब भी देखता था वे निरंतर इस अनुष्ठान की तैयारी में लगे रहते थे। क्या दिन, और क्या रात… उन्हें शायद ही नींद आई हो। दिन रात वे इस अनुष्ठान की व्यवस्था देखते रहे, टीम का मनोबल बढ़ाते रहे। उन्होंने बताया कि इस अनुष्ठान के लाइव प्रसारण से 48 हजार से ज्यादा लोग जुड़े। यह पहली बार है कि भारत से बाहर बसे जैन परिवार किसी अनुष्ठान में शामिल हुए। इस अनुष्ठान में अमेरिका, लंदन, दुबई, सिंगापुर में रहने वाले जैन परिवार भी शामिल हुए। हमारा लक्ष्य 1008 कलश का था, लेकिन हमारे पास इससे ज्याद की बुकिंग आ रही थी। उन्होंने कहा कि सकल जैन समाज के सहयोग से ही यह आयोजन इतना भव्य हुआ। उन्होंने सकल जैन समाज को धन्यवाद देते हुए उनका अभिनन्दन किया।
उपाध्याय प्रवर ने बताया कि 24 अक्टूबर से 13 नवंबर तक हमारे जीवन का शिखर अनुष्ठान होने वाला है। रायपुर में 21 दिनों तक तीर्थंकर प्रभु महावीर के अंतिम वचनों की अमृत गंगा बहने वाली है। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि की मुखारविंद से श्रावक-श्राविकाएं 24 अक्टूबर से 14 नवंबर तक प्रभु महावीर के वचनों का श्रवण करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रभु महावीर ने अपने अंतिम क्षणों में एक धर्मसभा आयोजित की, जहां 48 घंटों तक परमात्मा के वचन गूँजते रहे। रायपुर में 21 दिनों तक उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना में भगवान महावीर के अंतिम वचनों का पाठ होगा। उन्होंने बताया कि यह आराधना प्रातः 7.30 से 9.30 बजे तक चलेगी। इस दौरान धर्मसभा में प्रभु महावीर के आलावा कोई जयकारा नहीं होगा। धर्मसभा के बाद उपाध्याय प्रवर एकांतवास में रहेंगे। 21 दिनों तक भावना भरनी है कि मस्तक झुके तो केवल महावीर के सामने। सभा में महावीर के अलावा कोई और चर्चा नहीं होगी, मंगलपाठ के साथ सभा का समापन होगा। उन्होंने बताया की देश के अन्य हिस्सों में इस कार्यक्रम के जरिये वे जैन समाज को जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है कि उत्तराध्ययन को सर्वोच्च शिखर पर रखना है। उन्होंने सकल जैन समाज को इस आराधना में शामिल होने का न्योता दिया है।