बेमेतरा जिले की पुरानी बस्ती मे खुदाई के दौरान मां काली की प्राचीन मूर्ति मिली, दर्शन करने उमड़ी भीड़

संजूजैन बेमेतरा की रिपोर्ट

बेमेतर (अमर छत्तीसगढ) बेमेतरा जिले की पुरानी बस्ती रांका के बनिया तालाब के पास स्थित मैदान में खुदाई के दौरान मां काली की प्राचीन मूर्ति निकली है। गुरुवार को शाम पांच बजे ग्रामीण सदाराम निषाद मैदान में अपने बच्चे के साथ जिमीकंद लगाने के लिए खुदाई कर रहे थे। इस दौरान उनके पुत्र दीपचंद (13) को मां काली की मूर्ति दिखी, शुरूआत में मुकुट व चेहरा दिखा। इसके बाद ग्रामीणों ने खुदाई की तो मां काली की प्रतिमा एक हाथ में तलवार व दूसरे हाथ में असुर का कटा हुआ सिर लिए दिखाई दी।

प्रतिमा के गले में असुरों का कटा सिर का स्वरूप दिख रहा है। इसकी खबर लगते ही देखते ही देखते ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। रात तक लोग दर्शन करने पहुंचते रहे। फूल, चावल, नारियल, पैसे आदि चढ़ाकर लोग पूजा कर रहे हैं। आसपास गांव कठिया, कुरूद, पेंड्री, झलमला, जौग, तिवरैया, किरीतपुर, जेवरा, मटका, सिमगा, बेमेतरा से बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा आपसी सहयोग से मंदिर निर्माण कर मूर्ति संरक्षित करने की योजना है। करीब 100 वर्ष पुरानी जानकारी मिलने पर पुरातत्व विभाग के उपसंचालक जेआर भगत ने प्रतिमा को देखने गए थे।

उन्होंने बताया कि खुदाई में मिली मां काली की मूर्ति देखने पर करीब 100 वर्ष पुरानी लग रही है। जांच के बाद प्रतिमा वास्तविकता कितनी पुरानी है पता चल पाएगा। उन्होंने कहा कि राज्योत्सव के बाद मूर्ति की जांच करने के लिए विभाग से टीम भेजी जाएगी, ताकि उसके इतिहास के बारे में पता चल सके। इपर मूर्ति को संरक्षित करने की दिशा में काम किया जाएगा।गांव में 14वीं शताब्दी की मां महामाया की प्रतिमा स्थापितपुरानी बस्ती रांका में प्राचीन कालीन जमीन से निकली मां महामाया की मूर्ति है। यह 14 वीं शताब्दी की है। ग्रामीण ईश्वर निषाद ने बताया कि छमसी रात में मा महामाया मंदिर का निर्माण किया गया। मंदिर में दो गर्भगृह बनाए गए हैं। एक में भगवान राम-सीता व दूसरे गर्भगृह में शंकर-पार्वती की प्रतिमा स्थापित की गई है।

इसके अलावा मंदिर के दीवारों में पत्थरों को तराश कर भगवान हनुमान की प्रतिमा अंकित की गई है।टेंट लगाकर सुरक्षा व्यवस्था व सेवा में जुटे ग्रामीणजमीन से निकली मां काली की प्रतिमा की सुरक्षा के लिए स्थानीय लोगों ने टेंट लगा दिया है। प्रतिमा मनमोहक है। चेहरे पर तेज और गुस्से की मुद्रा चित्रित है। दीपावली पर्व पर मां काली की मूर्ति मिलने से स्थानीय लोग इसको गांव की खुशहाली व समृद्धि से जोड़कर देख रहे हैं। इसे शुभ संकेत माना जा रहा है।कलचुरी वंश से जुड़ा है मा महामाया मंदिर का इतिहासग्रामीण चैतराम निषाद बताया कि रांका में आज भी अनेकों स्थानों में खुदाई के दौरान प्राचीन अवशेष मिलते हैं। इनमें प्रतिमा, बर्तन सहित अनेक वस्तुएं शामिल हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि मां महामाया मंदिर का इतिहास कलचुरी वंश से जुड़ा है। बताते हैं कि महामाया मंदिर के किनारे कलचुरी वंश के राजा महाराजा ठहरते थे। यहां विश्राम करने के बाद रतनपुर के लिए बढ़ते थे। मंदिर के आसपास खुदाई के दौरान प्राचीन काल के अवशेष मिलते हैं। रतनपुर में कलचुरी राजवंशों की लहुरी शाखा ने 10 वीं शताब्दी में राज्य स्थापित किया था।

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