श्रुतदेव आराधना के छटवें दिवस प्रमाद, आलस्य और जीवन लक्ष्य पर विशेष प्रवचन
रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 29 अक्टूबर। लालगंगा पटवा भवन में चल रही उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना के छठवें दिवस रविवार को उपाध्याय प्रवर ने प्रमाद, आलस्य और जीवन लक्ष्य के बार में धर्मसभा को बताया। आराधना से पूर्व आज के लाभार्थी परिवार ‘रतनदेवी मनोहरमलजी भंसाली परिवार एवं रतनचंदजी मदनलालजी संचेती परिवार’ ने धर्मसभा में आने वाले श्रावकों का तिलक कर उनका स्वागत किया। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी। उन्होंने बताया कि श्रीमद उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना में शामिल होने वाले श्रावकों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। महावीर के अमृत वचनों का लाभ लेने के लिए दूर-दूर से श्रावक लालगंगा पटवा भवन पहुँच रहे हैं। आज, रविवार को हॉल खचाखच भरा था।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपाध्याय प्रावर प्रवीण ऋषि ने कहा कि प्रभु ने जीवन में सहज होने वाले पाप की चर्चा करते हुए उस पाप की मुक्ति का उपाय बताया। तुम महसूस करो, जो तुम्हे मिला है, वो लंबे प्रयासों के बाद मिला है। जिस पाने के लिए तुमने इतनी मेहनत की, उसकी कीमत करो। सुधर्मस्वामी इस अनुत्तरदेशन को सुन रहे हैं। उनकी आँखों के सामने इंद्रभूति गौतम का वो दिन आया, जिस दिन इंद्रभूति गौतम के मन में उदासी आ गई। पृष्ठ्चंपा से आ रहे थे इंद्रभूति गौतम। जब प्रभु पृष्ठ्चंपा पधारे थे, उन्हें देखा-सुना और प्रभु बनने की तमन्ना जन्मी। शाल राजा ने प्रभु से निवेदन किया, पुत्र का राज्याभिषेक कर अपने चरणों में दीक्षा के लिए आ रहा हूँ। पुत्र से या कहा तो बेटे ने कहा कि पिताजी जिस सत्ता को छोड़कर आप प्रभु को पाना चाहते हैं, लेकिन जिसको आप छोड़ रहे हैं, उसे मुझे क्यों पकड़ा रहे हैं? मुझे भी वही चाहिए जो आप अपने लिए चाह रहे हैं। मेरी भी वही अभिषेक करो न जो अपन अपना करने वाले हैं। पिता को बात जंची, और भतीजा का राज्याभिषेक कराया। और दोनों प्रभु के चरणों में दीक्षित हो गए। कुछ समय बाद प्रभु पृष्ठ्चंपा नगरी पहुंचे। और शाल राजा ने निवेदन किया कि आपका अनुग्रह हो जाए तो गागली को आपके चरणों में लाने के लिए आज्ञा और मार्गदर्शन दें। प्रभु ने कहा कि इंद्रभूति गौतम के साथ जाओ। शाल और इंद्रभूति गौतम पृष्ठ्चंपा पहुंचे और राजभवन में प्रतिबोध दिया। अनुग्रह, उपग्रह, जागरण हुआ। सत्ता के सिंहासन पर रहते हुए सत्य की प्यास जन्मी। संयम के कमल का फूल खिला। सभी प्रभु की चरण के समर्पित होने चल पड़े। और वे सभी बिना प्रभु की वंदना किया सर्वज्ञ के आसन की और बढ़ चले। इंद्रभूति गौतम ने उन्हें रोका तो प्रभु ने कहा कि वे सर्वज्ञ हो गए हैं। इंद्रभूति गौतम का चेहरा उदास हो गया। उन्होंने सोचा कि ये सब तो मेरे साथ अभी ही चले थे, और सर्वज्ञ हो गए? मैं सर्वज्ञ नहीं हुआ, लेकिन ये सब कैसे हो गए? इंद्रभूति गौतम का चेहरा उदास हो गया।
प्रभु ने देखा, उन्होंने पुकारा: इंद्रभूति प्रमाद मत कर, मन में खंत मत ला। तुम भी सर्वज्ञ हो सकते हो, तुम भी सर्वज्ञ होगे, इस समय भी सर्वज्ञ हो सकते हो बस मेरी भक्ती छोड़ दो। स्वयं को प्रभु के रूप में देखना शुरू करो। तुम मुझे देख रहे हो, इसलिए प्रभु नहीं बन रहे हो। तुम स्वयं को प्रभु के रूप में देखो, सर्वज्ञ हो जाओगे। इंद्रभूति गौतम ने कहा कि प्रभु ऐसा नहीं हो सकता, मेरे प्रभु आप ही हो। और उन पलों में प्रभु ने इंद्रभूति गौतम को 36 आयामों से प्रमाद से मुक्त होने के वरदान बरसाए। सुधर्मा स्वामी ने उन वरदानों को उत्तराध्ययन सूत्र के अध्याय 10 और 11 में पिरोया है। आओ, मन की खिन्नता को दूर करने के लिए जाने अनजाने होने वाले प्रमाद को दूर करने के लिए। उपाध्याय प्रवर ने कहा कि प्रमाद से हमारा प्रेम बहुत पुराना है, और इस प्रेम को समाप्त करने के लिए प्रभु के चरणों में वंदन करें। जैसे इंद्रभूति गौतम ने अपने प्रमाद को दूर किया, वैसे हम भी अपने प्रमाद को दूर करने के लिए प्रभु से उन वरदानों को ग्रहण करें।
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि रायपुर की धन्य धरा पर 13 नवंबर तक लालगंगा पटवा भवन में उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना होगी जिसमे भगवान महावीर के अंतिम वचनों का पाठ होगा। यह आराधना प्रातः 7.30 से 9.30 बजे तक चलेगी। उन्होंने सकल जैन समाज को इस आराधना में शामिल होने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि 30 अक्टूबर के लाभार्थी परिवार हैं : विजय कुमार तरूण कुमार बसंत कुमार विनोद कुमार कटारिया परिवार, हरिलालजी रमणीकलालजी सिसोदिया (सेठ) परिवार, आशा यशवंत पुंगलिया परिवार ऋतु महावीर सुराना परिवार चेन्नई, राजेंद्र-माया, डॉ. यश, महिमा सेठिया परिवार (श्री आदिनाथ ज्वेलर्स नाटा मार्केट सदर बाजार) रायपुर। श्रीमद उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना के लाभार्थी बनने के लिए आप रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा से संपर्क कर सकते हैं।