मैनपुर में हाथियों के उत्पात से ग्रामीणों क्षेत्रों में डर का माहौल

मैनपुर में हाथियों के उत्पात से ग्रामीणों क्षेत्रों में डर का माहौल

(मैनपुर से मनोज कुमार नागेश (नाग) की रिपोर्ट)

मैनपुर (अमर छत्तीसगढ) गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र के अधिकांश ग्रामो और वनांचल क्षेत्रो में पिछले दो तीन वर्षो से जंगली हाथियों ने अपना रहनवास बना लिया है, लगातार हाथियों का दल 15 दिन एक महीने के भीतर पहुच रहे है, और पिछले तीन वर्षो के भीतर जंगली हाथियों के दलो ने दर्जनों कच्चे मकानों को जंहा तोडफोड कर तहस नहस किया है, वही किसानों के धान, मक्का दलहन, तिलहन के फसलों को जमकर नुकसान भी पहुचाया है इस सब के बीच प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना हाथियों से ग्रामीणों के बचाव के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है क्योंकि ग्रामीण ईलाको में छोटे छोटे कच्चे मकान और झोपडियों में अधिकांश ग्रामीण निवास करते है, हाथियों के दल के द्वारा इन कच्चे मकानो और झोपड़ियों को कई बार तोडा है पुरे जिले में तीन ग्रामीण हाथियों के शिकार भी हो चुके है, ग्रामीणो ने वन प्रशासन के साथ जिला प्रशासन और छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल से मांग किया है कि हाथी प्रभावित ग्रामो में ग्रामीणों की सुरक्षा को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणाें को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाए।

मिली जानकारी के अनुसार मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के दबनई, फरसरा, लूठापारा, छिन्दौला, गिरहोला, लेडीबाहर, गोपालपुर, साल्हेभाठ एंव धवलपुर क्षेत्र के चिंदाभाठा, घटौद, मोंहदा, ताराझर, ओंड, आमामोरा, नगरार, कुकराल, सिकासार, ऐसे 50 से ज्यादा ग्रामो में लगातार हाथियों के दलो का आवगमन लगा हुआ है, कभी भी इन गांव में किसी भी समय हाथियों के दल आ धमकता है, जिसके कारण हमेंशा ग्रामीणो में दहशत देखने को मिल रही है वही वन प्रशासन द्वारा अब तक मकान क्षति, फसल क्षति के रूप मे लाखो रूपये की मुआवजा राशि ग्रामीणो को बांटे गये है।

गांव में जान बचाने के लिए ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास के उपर चढ जाते है
जब भी इस क्षेत्र के ग्रामो में जंगली हाथियों का आगमन होता है तो इसकी जानकारी लगते ही, ग्रामीण अपने जान बचाने के लिए गांव में निर्माण किये गये, प्रधानमंत्री आवास के क्षतो के उपर आश्रय लेते है, और हाथी प्रभावित ग्रामो में प्रधानमंत्री आवास जंगली हाथियों से ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है, ग्रामीणों के द्वारा अपने प्रधानमंत्री आवास के उपर त्रिपाल डालकर एक अलग से छावनी का निर्माण किया गया है, जिससे जब भी हाथियों का दल किसी भी गांव में पहुचता है उससे पहले ही सभी गांववासी प्रधानमंत्री आवास के छतो के उपर आश्रय ले लेते है और हाथियों से अपनी सुरक्षा करते है, लेकिन हाथी प्रभावित ग्रामो में नाम मात्र प्रधानमंत्री आवास का लाभ ग्रामीणों को मिला है , एक एक गांव में तीन चार प्रधानमंत्री आवास दिखाई देते है जबकि हाथी प्रभावित ग्रामो में सभी पात्र हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाए और ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्रधानमंत्री आवास का निर्माण किया जाए, तो इससे ग्रामीणाें को हाथियों से सुरक्षा में काफी हद तक मदद मिलेगी।

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