लोकसभा की 11 सीटें जीतने मिले जिम्मेदारी डॉ रमन को – चर्चा

लोकसभा की 11 सीटें जीतने मिले जिम्मेदारी डॉ रमन को – चर्चा


डॉ. रमन मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार
राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ़) 4 दिसम्बर। छत्तीसगढ़ के 3 बार मुख्यमंत्री रहे राजनांदगांव के विधायक डॉ. रमन सिंह नई सरकार का नेतृत्व करने उनकी प्रबल दावेदारी भी सामने आते चर्चाओं में दिख रही है। प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रुप से इस बार छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में जिस ढंग से भाजपा बड़े बहुमत के साथ 54 विधायकों के साथ सामने आई है। इस श्रेय भी आंतरिक तौर पर ही सही डॉ. रमन सिंह के खाते में जाता है। जहां तक मुख्यमंत्री बनने की बात है वैसे भी आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग को लेकर चर्चाएं कम नहीं है। डॉ. रमन सिंह 15 वर्ष मुख्यमंत्री रहे, जिनकी लोकप्रियता चाउर वाले बाबा के नाम पर आज भी लोगों के जुबान पर है। 6 माह बाद लोकसभा चुनाव भी होना है। मुख्यमंत्री चाहे कोई भी हो लेकिन भाजपा सभी 11 लोकसभा की सीट अपने कब्जे में करना चाहेगी।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित ही सही 90 में से 54 क्षेत्रों में अपने विधायक चुनने के बाद भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए तत्पर है तथा इस मामले में दिल्ली में भी चर्चा है। जिन नामों की चर्चा मुख्यमंत्री को लेकर चलने के समाचार है इनमें भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुनकुरी के विधायक विष्णुदेव साय आदिवासी कोटे से संभावित है तो पिछड़ा वर्ग से सेवानिवृत्त आईएएस तथा भारी मतों से रायगढ़ से चुनाव जीतकर आए ओपी चौधरी का नाम भी सबसे ऊपर है। इन नामों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह की मुहर लगने की प्रतीक्षा चर्चाओं में है।


जहां तक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह 3 बार मुख्यमंत्री रहने के साथ ही 5 वर्ष सत्ता से बाहर रहने के बावजूद वे विपक्ष की भूमिका में सक्रिय व सटिक दिखे। तो हमेशा सत्तापक्ष मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आरोप-प्रत्यारोप का जवाब भी तत्परता से देते रहे है। राजनांदगांव विधानसभा ही नहीं लोकसभा की सभी 7 सीटों में अपने मन पसंद उम्मीद्वारों को अवसर देने की प्राथमिकता भी रही है।


इस बार भाजपा के चुनकर आए 54 विधायकों में अधिकांश उनके अपने नजदीकी दिखते है तथा टिकट वितरण में भी उनकी भूमिका रही है। मुख्यमंत्री किसे बनाना है यह निर्णय तो प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय संगठन को तय करना है लेकिन लगभग 6 माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए सभी 11 सीटों को भाजपा अपने कब्जे में रखना चाहेगी। इसलिए डॉ. रमन की मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदारी कर मुहर लग सकती है। ऐसा नहीं हुआ तो डॉ. रमन की सहमति मुख्यमंत्री के लिए बन सकती है जिसमें उनकी अंतिम मुहर सर्वोपरि होगी।
राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रत्याशी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सखा गिरीश देवांगन को 45 हजार मतों से चुनाव जीतने का श्रेय डॉ. रमन को है कहा जा सकता है कि उन्होंने श्री बघेल के सखा को हराया है अर्थात मुख्यमंत्री को मात दी है। जैसा कि मुख्यमंत्री श्री बघेल मतदाताओं से कहते रहे है कि गिरीश मेरे सखा व मित्र है आप उन्हें जिताइऐ। वैसे भी डॉ. रमन प्रारंभ से सभी स्तर पर कहते रहे है कि भाजपा को 52 से 55 सीट मिलेगी, हुआ ऐसे ही।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ की लगभग सभी चुनावी सभओं में मतदाताओं का आह्वान करते रहे कि डॉ. रमन 3 बार प्रदेश मुख्यमंत्री रहे है, आगे भी विकास करेंगे। श्री शाह एवं श्री मोदी ने पार्टी के कुछ प्रत्याशी को लेकर मतदाताओं से यह भी अपील कि इसे जीताएं इन्हें बड़ा पद देंगे। बहरहाल मुख्यमंत्री को लेकर डॉ. रमन भी तत्पर व स्वाभाविक दावेदार के रुप में पार्टीजनों के बीच चर्चाओं में दिख रहे है। ऐसा नहीं भी हुआ तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी उनकी पसंद पर मुहर लग सकती है।

वादों को पूरा करने की चुनौती,प्राथमिकता में रखेगी नई सरकार
रायपुर। भाजपा में अब सरकार बनाने की कवायद शुरु हो गई है। वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में भाजपा की बड़ी जीत के बाद अब चुनाव के दौरान जनता के साथ किए गए वादों को पूरा करने की चुनौती होगी। इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ की इस नई सरकार में हमारे लिए पहली चुनौती अपने घोषणापत्र में किए गए वादों को पहली कैबिनेट से ही लागू करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दी गई गारंटी और हमारी पार्टी द्वारा किए गए वादों को प्राथमिकता दी जाएगी। यहां बताना जरूरी होगा कि अब केन्द्र व राज्य में एक ही पार्टी की सरकार है और चुनाव के दौरान दिल्ली से आ रहे नेताओं ने डबल इंजन की सरकार को जरूरी बताते रहे हैं,इसलिए भरपूर फंड केन्द्र से भेजना होगा. धान खरीदी व पैसों की अदायगी सबसे बड़ा विषय रहेगा।

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