आदिवासियों की संस्कृति समाज की आत्मा, धरोहर एवं मेरूदंड है- चन्द्रेश ठाकुर
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) , 01 जनवरी 2024
गोण्डवाना समाज के अधिकारी-कर्मचारी प्रकोष्ठ के संभागीय अध्यक्ष श्री चंदे्रश ठाकुर ने कहा कि आदिवासियों की संस्कृति आदिवासी समाज की आत्मा, धरोहर एवं मेरूदंड है। उन्होंने कहा कि यदि आदिवासी समाज को बचाए रखना है तो आदिवासियों की गौरवशाली संस्कृति एवं विरासत को अक्ष्क्षुण बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। श्री ठाकुर शनिवार 30 दिसम्बर को बालोद जिले के डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के ग्राम बगईकोन्हा में कोया पूनेम संवैधानिक कार्यशाला एवं कैरियर मागदर्शन के अवसर पर अपना उद्गार व्यक्त कर रहे थे। वे कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ गोण्डवाना महासभा के जिला अध्यक्ष प्रेमलाल कुंजाम, कार्यक्रम के संयोजक एवं प्रमुख प्रशिक्षक तुकाराम कोर्राम, ब्लाॅक संरक्षक बिशनाथ सिंह गोटा, कार्यकारी अध्यक्ष भावसिंह वट्टी, सरपंच ग्राम पंचायत बगईकोन्हा तिलक राम नेताम, कोषाध्यक्ष अशोक कुमार कोरेटी, महासचिव महाराम सोरी, खाद्य निरीक्षक धरमु किरंगे, व्याख्यता टीएस मण्डावी सहित अन्य समाजगण उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री चंद्रेश ने कहा कि आदिवासियों की संस्कृति अत्यंत वैभवशाली एवं विश्व की समस्त संस्कृतियों की जननी है। जिनका उल्लेख देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने अपने विश्व विख्यात पुस्तक ’डिस्कवरी आॅफ इण्डिया’ में की है। उन्होंने आदिवासी समाज के उत्थान के शिक्षा, संगठन एवं ज्ञानार्जन को अत्यंत आवश्यक बताया। इसके लिए उन्हांेने समाज के लोगों को ठोस रणनीति बनाकर उसे अमल में लाने की अपील की। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर का सामना करने के लिए समाज के लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम होना भी जरूरी है। इसके लिए उन्होंने समाज के लोगों को व्यापार, व्यवसाय में भी भागीदारी सुनिश्चित करने को कहा। श्री ठाकुर ने नशापान को समाज के विकास में सबसे बड़ा बाधा बताते हुए इसे सर्वथा दूर रहने की अपील की।
उन्हांेने समाज के युवाओं को बड़ा सपना देखने तथा कठिन परिश्रम एवं त्याग, संयम से अपने सपने को साकार कर राष्ट्र व समाज में योगदान देने की अपील की। कार्यक्रम के संयोजक एवं मुख्य प्रशिक्षक तुकाराम कोर्राम ने संस्कृति को समाज का रीढ़ बताते हुए नई पीढ़ी को इसके संरक्षण व संवर्धन के लिए आगे आने की अपील की। उन्होंने युवाओं को समाज का भावी भविष्य बताते हुए ज्ञानवान एवं सामर्थवान समाज के हित में योगदान देने को कहा। इस अवसर पर विषय विशेषज्ञ एवं वक्ताओं के द्वारा दिनांक 30 एवं 31 दिसम्बर आयोजन के दौरान कोया पूनेम संवैधानिक कार्यशाला के लिए मार्गदर्शन के विभिन्न विषयों पर सारगर्भित रोचक प्रकाश डालते हुए प्रेरणास्पद जानकारियां दी। कार्यक्रम में युवा-यूवति परिचय सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।