आलेख – अजीत जैन पूर्व महापौर
राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ़) – सन् 1991 में रामशिला पूजन की शोभायात्रा उदयाचल गंज लाईन से निकली। रामशिला पूजन की शोभायात्रा रोकने के लिए शहर के अधिकांश मार्गों में बेरीकेटिंग, पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था, जिससे रामभक्तों में डर व दहशत का वातावरण निर्मित हो। पहला बेरीकेट्स तिरंगा चौक गंज लाईन में लगाया गया। उस वक्त शोभायात्रा में मात्र 40 से 50 युवकों ने पुलिस वालों से भारी झूमाझटकी, मारपीट, गाली गलौच कर बेरीकेट्स तोड़कर शोभायात्रा को आगे बढ़ाया।
प्रत्यक्षदर्शियों जनता में अपार उमंग, उत्साह व जोश को देख अचानक शोभायात्रा में 15 से 20 हजार रामभक्तों की भीड़ चंद घंटों में जुट गयी। इतनी बड़ी शोभायात्रा आज भी राजनांदगांव के इतिहास में दर्ज है। उस वक्त जिले के दमदार दबंग सांसद स्व. शिवेन्द्र बहादुर सिंह थे। व शहर थाना प्रभारी एस.एन. सिंग व सी.एस.पी. कैलाश अग्रवाल व सचिन शुक्ला सब इंस्पैक्टर जो छुईखदान में पदस्थ थे इन सभी की ड्यूटी पुलिस बल के साथ शोभायात्रा में लगी।
सचिन देव शुक्ला की रिपोर्ट पर जो छुईखदान में एस.आई. बाद में सी.एस.पी. व डी.एस.पी. होकर रिटायर हुए, राम भक्त आरोपियों ने शहर में वर्ग विशेष में दहशत, बलवा, शासकीय कार्य में बाधा, तोड़फोड़, जान से मारने की धमकी व स्वयं से भी मारपीट करने का झूठा आरोप के साथ संगीन धारा लगाकर तीन प्रकरण सी.जे.एम. कोर्ट में पेश किया जिसमें नामजद आरोपीगण थे–
- अजीत जैन, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष, शास. दिग्विजय महाविद्यालय
- राजेश मारू, अध्यक्ष जिला शिव सेना
- योगेश दत्त मिश्रा
- देवेन्द्र मोहन लाल (देबू)
- संजय अग्रवाल
- अशोक यादव, भाटिया पेट्रोल पम्प का कर्मचारी
- महेन्द्र कंवाड़
- स्व. हेमू दादा (चाय वाला)
- स्व. रम्मू गुप्ता, बसंतपुर तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा व गृहमंत्री कैलाश चावला (म.प्र.) थे। प्रकरण की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए मेरे सहयोगी व प्रेरणास्त्रोत स्व.आर.पाशा खुशी अधिवक्ता (मुसलमान) ने जनहित में शीघ्र प्रकरण वापसी के प्रयास हेतु सलाह व आवेदन भी बनाकर दिया, उन्होनें कहा कि प्रकरण खत्म नहीं होगा तो भविष्य में किसी भी प्रकार की शांति भंग व त्यौहारों में सभी आरोपी को धर पकड़कर पुलिस प्रशासन जेल में डाल देगा।
चंद दिनों के बाद गृहमंत्री कैलाश चावला (म.प्र. शासन) रायपुर से भोपाल जा रहे थे। मैं (अजीत जैन) व मेरे साथी योगेश दत्त मिश्रा ने ट्रेन में उनके साथ डोंगरगढ़ तक सफर कर जनहित में प्रकरण वापसी के अनुरोध किया, पश्चात् मात्र 15 दिन में प्रकरण जनहित में खत्म हो गया। उस वक्त सभी वरिष्ठ नामी नेताओं ने अपना नाम कटवा लिया, व भविष्य में मेरे पिताजी ने मुझे अयोध्या कार सेवा में जाने से मना कर दिया।
उक्त प्रकरण को जिला न्यायालय की अभिलेख शाखा राजनांदगांव व शहर थाना के रिकार्ड से निकाला जा सकता है।
अजीत जैन
पूर्व महापौर
गज लाइन, राजनांदगांव (छ.ग.)
मोबा 94252-42508