कमल के लिए, कमल साहू या सोनी…. संतोष की चर्चा संतोषप्रद नहीं दिखी….. कांग्रेस-अकबर, भूपेश की पसंद, दलेश्वर तो नहीं

कमल के लिए, कमल साहू या सोनी…. संतोष की चर्चा संतोषप्रद नहीं दिखी….. कांग्रेस-अकबर, भूपेश की पसंद, दलेश्वर तो नहीं


राजनांदगांव/रायपुर (अमरेश जैन)। राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्रों में 3 स्थान पर भाजपा 5 स्थान पर कांग्रेस आई है। पिछड़ा वर्ग साहू बाहुल्य संसदीय क्षेत्र में इस बार भाजपा-कांग्रेस को इस पर भी विचार करना पड़ सकता है। 3 माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रचार-प्रसार प्रत्याशी चयन के मामले तत्पर दिख रही है। वहीं कांग्रेस भी राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र से भूपेश बघेल, मोहम्मद अकबर का नाम आगे करते दिख रही है लेकिन जातिगत समीकरण के आधार पर चुनाव जीतने के लिए साहू प्रत्याशी को मैदान में उतारकर भाजपा हो या कांग्रेस दोनों मतदाताओं को चकित कर सकती है।

चर्चा तो कमल चुनाव चिन्ह को लेकर भाजपा प्रत्याशी के रुप में मैदान में उतरने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता सरल व सहज तथा चिल्फी से लेकर औंधी तक अपनी पहचान संपर्कों से बनाय रखने वाले साहू समाज में लोकप्रिय बनकर चल रहे कमल किशोर साहू का नाम चर्चाओं में है। वहीं दूसरी ओर भाजपा के प्रचार-प्रसार प्रमुख हमेशा तत्पर रहने वाले पार्टी कार्यक्रमों प्रमुख भागीदारी निभाने वाले धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों सक्रिय रहने वाले कमल सोनी का नाम भी विभिन्न स्तरों पर चर्चाओं में दिख रहा है। वर्तमान सांसद संतोष पांडेय को लेकर पार्टीजनों, मतदाताओं विशेषकर राजनांदगांव मोहला मानपुर जिले में चर्चाओं में उनकी सक्रियता नहीं दिखती।

राजनांदगांव शहर में भी उनकी नजदीकी पांच वर्षों क्षेत्रीय मतदाताओं, कार्यकर्ताओं, पार्टीजनों में असंतोषजनक स्थिति संतोष के प्रति चर्चाओं में दिख रही है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इस बार लोकसभा क्षेत्र की 8 में से 2 सीटें भाजपा को सौंप दी है। चर्चाओं में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं वरिष्ठ मंत्री रहे मोहम्मद अकबर के नामों पर चर्चाएं तो हो रही है लेकिन दूसरी बार विधायक चुने गए छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष दलेश्वर साहू कांग्रेस के लिए संतोषप्रद प्रत्याशी चर्चाओं के अनुसार हो सकते है? वैसे भी इस बार लोकसभा क्षेत्र राजनांदगांव में पिछड़ा वर्ग प्रत्याशी के रुप में साहू समाज का प्रत्याशी राजनीतिक पार्टियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। विधासभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर डॉ. रमन की प्राथमिकता दिखी।

लोकसभा में भी उनकी पसंद पर मुहर लगे तो आश्चर्य नहीं होगा। भाजपा ने पहले ही जिन्हें चुनाव नहीं लड़ाना है, मधुसूदन यादव, दिनेश गांधी, नीलू शर्मा को राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी, संयोजक एवं सहसंयोजक बना दिया है। पूर्व सांसद अभिषेक सिंह को भी इस संसदीय क्षेत्र के स्थान पर कांकेर लोकसभा का प्रभारी बना दिया है।


लोकसभा राजनांदगांव के लिए इस बार कवर्धा क्षेत्र से भाजपा के विधायक विजय शर्मा, भावना बोहरा पर जीत की जिम्मेदारी लोकसभा में दिखने लगी है। सांसद संतोष पांडेय की सेवाएं पार्टी संभवता चुनाव मैदान उतारने के बदले संगठन में महत्व दे सकती है। वैसे भी विजय शर्मा कवर्धा क्षेत्र में भारी मतों से जीते है उनका वर्चस्व लोकसभा चुनाव में पार्टी के समक्ष परिणाम के रुप में दिख सकता है। कांग्रेस के भूपेश बघेल एवं मोहम्मद अकबर का नाम चलाकर इनके स्थान पर किसी पिछड़ा वर्ग को राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया जा सकता है।

भाजपा भी पिछड़ा वर्ग पर दांव लगा सकती है। कमल सोनी हो या अन्य। भाजपा वैसे भी डोंगरगांव में साहू प्रत्याशी नहीं उतारकर हार का खामियाजा भूगत चुकी है। साहू बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र में भाजपा से अधिवक्ता कमल किशोर साहू भी चुनाव लडऩे के इच्छुक दिखते है जिन्होंने अमर छत्तीसगढ़ से चर्चा में कहा कि पार्टी जिम्मेदारी सौंपगी चुनाव लडऩे तत्पर रहेंगे। वैसे कवर्धा, पंडरिया जिला मोहला मानपुर, खैरागढ़ उनका व्यवसायी कार्य क्षेत्र भी है। कमल सोनी भी कहते है पार्टी ने अवसर दिया तो चुनाव जीतकर आएंगे। वैसे भी दूसरी बार कांग्रेस चुने गए दलेश्वर साहू को मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया था।

वित्तीय संसाधन भी जुटाए थे दलेश्वर ने संसदीय क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्रों में विकास एवं निर्माण कार्य विशेष कर सामाजिक संस्थाओं को पर्याप्त धन राशि समाज के लिए मंच व अन्य निर्माण कार्योंं की स्वीकृत भी दी। इस पद पर जब वे थे तो कहते थे पार्टी ने लोकसभा चुनाव लडऩे का अवसर दिया तो स्वीकार करेंगे। शेष फिर कभी…

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