राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ) 29 फरवरी । जिले के डोंगरगढ़ स्थित जैन तीर्थ जैनगिरी में आचार्य विद्यासागर जी महाराज के ब्रह्मलीन होने के पश्चात आज प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी का शोक पत्र चद्रगिरी तीर्थ पहुंचा। तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष किशोर जैन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का ब्रहमलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
इस असीम दुख की घड़ी में प्रधानमंत्री जी की संवेदनाएं उनके सभी अनुयायियों और शुभचिंतकोके साथ है। भारत को पावन भूमि में ऐसे महान विभूतियों ने जन्म लिया जिनका जीवन ज्ञान एवं अध्यात्म के प्रचार प्रसार और समाज सुधार के लिए समर्पित रहाहै। इस महान संत परंपरा कसे आगे ले जाने में संत शिरोमणि आचार्य में विद्यासागर जी महाराज का प्रमुख स्थान रहता है। उनके जीवन का हर अध्याय अद्भुत, ज्ञान असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए अटूट प्रतिबद्धता में सुशोभित है। सेवा समर्पण और तपस्या से परिपूर्ण आचार्य जी का जीवन भगवान महावीर के आद?र्शों और जैन धर्म गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। वे बैन समुदाय के साथ ही अन्य विभिन्न समुदायों केबड़े प्रेरणा स्नात रहे।
विभिन्न पंथों व परंपराओं और क्षेत्र के लोगों को अका मानिध्य मिला। विशेष रूप से युवाओं में आध्यात्मिक जागृति के लिए उन्होंने उन्होंने लिखा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे राष्ट्र की सेवा में निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा। पिछले का छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट में उन्हेंने देश को प्रगति और निश्च पटल पर भारत को मिल रहे सम्मान को लेकर अपनी प्रस्तरता व्यक्त की थी। उनसे मेरी वह अंतिम मुलाकात मुझे सदैव याद रहेगी। उनका जाना मेरे लिए एक मार्गदर्शक को खोने जैसा है मुझे विश्वास है कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज देशवासियों के हृदय और मन मस्तिष्क में सदैव जीवित रहेंगे और उनके मंदेश लोगों के जीवन को आलोकित करते रहेंगे। आचार्य जी के मूल्यों को आत्मसात करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देते देशवासियों की उन्हें यह एक विनम्र श्रद्धांजलि होगी।
उन्होंने लिखा कि महाराज श्री के अनुयायियों और शुभचिंतकों को इस असीमित दुख को सहन करने का धैर्य और साहस मिले मैं यह प्रार्थना करता हूँ। फा के मिलते हो तीर्थ क्षेत्र के कमेटी के लोगों ने प्रशन्सा की लहर दिखी।