केसरिया रंगों से रंगेगे भक्त एवम भगवान
सुमधुर भजनों के साथ नृत्य करेंगे युवक , बच्चे एवं बुजुर्ग
पवन डागा एवम राजेश खंडेलवाल होंगे अतिथि
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 22 मार्च। संस्कारधानी नगरी राजनांदगांव में पिछले 33 वर्षों से रंगोत्सव का त्यौहार श्री सत्यनारायण मंदिर समिति के तत्वावधान में नागरिको की रंगोत्सव समिति द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ भक्ति एवं श्रद्धा पूर्ण मनाया जाता है । फागुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका दहन के पश्चात चैत्र कृष्ण एकम को श्री सत्यनारायण मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित अखण्डब्रम्हाण्ड नायक भगवान राधाकृष्ण स्वयं अपने भक्तों के साथ होली खेलने के लिए भव्य रथ पर सवार होकर शहर के प्रमुख मार्गों से निकलते हुए फागुन महोत्सव का आनंद भक्तों को प्रदान करते हैं ।
ज्ञातव्य है कि भगवान राधाकृष्ण मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होते है , वर्ष में केवल दो दिन फागुन शुक्ल पूर्णिमा को भक्तो के साथ होली खेलने एवम भादवा शुक्ल ग्यारस को डोला में बैठकर जलक्रीड़ा करने ही भगवान मंदिर से बाहर निकलते है । केवल इन्हीं दो महोत्सव के अवसर पर ही आमजन बिना किसी भेदभाव के अपने आराध्य को स्पर्श करके पूजन , अभिषेक कर प्रसाद अर्पण कर सकते है, अन्य दिवस भगवान गर्भगृह में विराजमान रहते है , जहां केवल मंदिर के आचार्य का ही प्रवेश होता है ।
श्री सत्यनारायण मंदिर रंगोत्सव समिति द्वारा प्रतिवर्ष गंज के बालाजी मंदिर के समक्ष होने वाले होलिका दहन के दूसरे दिन रंगोत्सव का त्यौहार मनाए जाने की परंपरा रही है , इसी आधार पर बालाजी मंदिर के होलीका दहन 24 मार्च को आधार मानते हुए 25 मार्च को रंगोत्सव मनाए जाने का निर्णय लिया गया है । देश के अनेक धार्मिक स्थलों एवम वृंदावन में भी धुलेंडी ( रंगोत्सव ) 25 मार्च को ही मनाया जा रहा है अतः श्री रंगोत्सव समिति द्वारा भगवान राधाकृष्ण की शोभायात्रा 25 मार्च को सुबह 09:00 बजे निकाली जाएगी ।
श्री सत्यनारायण मंदिर समिति के अध्यक्ष अशोक लोहिया ने जानकारी दी कि मंदिर समिति वर्षो से हिंदू संस्कृति के विभिन्न त्योहारों को सार्वजनिक रूप से मनाती आ रही है । इसी तारतम्य में 33 वर्ष पूर्व यह परंपरा नगर के प्रतिष्ठित , सामाजिक कार्यकर्ता श्रद्धेय स्व. नथमल जी अग्रवाल की प्रेरणा से प्रारंभ की गई थी । यह आयोजन संस्कारधानी नगरी की गरिमा के अनुरूप मनाया जाता है । इस वर्ष 25 मार्च सोमवार को 33 वा रंगोत्सव का त्यौहार धूमधाम से मनाए जाने हेतु व्यापक तैयारियां की जा रही है ।
विज्ञप्ति के अनुसार राष्ट्र में प्रचलित शास्त्रोक्त मतानुसार फागुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन भक्तराज प्रह्लाद को अग्नि द्वारा समाप्त करने के राक्षसी प्रयास से होलिका स्वय जलकर समाप्त हो गई थी । अतः प्रतिवर्ष सनातन समाज द्वारा लाखो वर्षो से फागुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका दहन कर भक्त प्रह्लाद के रक्षा की स्मृति में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को रंगोत्सव का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है । यह उत्सव बसंतोत्सव के नाम से भी जाना जाता है , इसके कई मनोवैज्ञानिक एवम सामाजिक महत्व है । प्रकृति को पूजने वाला समस्त सनातन समाज , मनीषीयो व संतो ने प्रकृति प्रदत्त मान्यताओं की अवधारणाओं को ग्रहण कर इस प्राचीन परंपरा को संजोए रखा है । इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए मंदिर समिति ने सार्वजनिक रूप से संस्कारधानी नगरी में भव्य शोभायात्रा की शुरुवात की है ।
श्री सत्यनारायण मंदिर समिति अध्यक्ष अशोक लोहिया, सचिव सुरेश अग्रवाल, उत्सव प्रभारी लक्ष्मण लोहिया, राजेश शर्मा, श्याम खंडेलवाल, पवन लोहिया, सदस्य राजेश अग्रवाल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार समिति की आयोजित बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस वर्ष रंगोत्सव पर नवीनता लिए भव्य रथ को तैयार किया जावेगा । रथ के पृष्ठ भाग में आर्च रहेगा उसके सामने भगवान राधाकृष्ण की बड़ी मूर्ति रहेगी एवम दो गोपियां नृत्य करते हुए दिखाई देगी ।
एकदम सामने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित अखंड ब्रह्मांडनायक युगल सरकार भगवान राधाकृष्ण विराजमान होंगे । जिस पर आम नागरिक बिना किसी जाति – धर्म , ऊंच – नीच , अमीर – गरीब के भेदभाव से ऊपर उठकर रंग , गुलाल , इत्र चढ़ाकर भोग प्रसाद लगा सकेंगे । रथ से ही फौवारो द्वारा भक्तो के ऊपर केसरिया रंग की फुहार लगातार होती रहेगी । इस शोभायात्रा में उपयोग किया जाने वाला केसरिया रंग विशेष होता है । जिसे अपने ऊपर डलवाने के लिए भक्त लालाइत रहते है ।
श्री सत्यनारायण मंदिर रंगोत्सव समिति की ओर से जानकारी दी गई है कि भगवान राधाकृष्ण की भव्य शोभायात्रा प्रारंभ होने के पूर्व भगवान राधाकृष्ण को मंदिर के गर्भगृह से रथ में बैठाया जायेगा । इसके लिए समिति ने अतिथि के रूप में माहेश्वरी समाज के अध्यक्ष एवम महाकाल भक्त पवन डागा एवम खंडेलवाल समाज के अध्यक्ष समाजसेवी राजेश खंडेलवाल को आमंत्रित किया गया है । रथ में भगवान राधाकृष्ण के विराजमान होने के पश्चात पूजा एवम आरती होगी तथा ठीक सुबह 9 बजे शोभायात्रा प्रारम्भ होगी , शोभायात्रा के मार्ग में अनेक भक्तो द्वारा स्वप्रेरणा से अपने आराध्य भगवान राधाकृष्ण एवम उनके ग्वाल – बालो का स्वागत सत्कार ठंडाई, मिष्ठान , शीतल पेय, पेयजल, जलपान, फल इत्यादि से किया जाता है ।
इस वर्ष अनेक स्थानों पर रंगों के फुहारे से केसरिया रंग की बारिश किये जाने की तैयारियां की जा रही है । शोभायात्रा को भव्यता प्रदान करने सभी भक्तों की एकरूपता को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष सभी भक्तों के लिए दुपट्टे मंगाए गए हैं । रंगोत्सव समिति द्वारा मंदिर के समक्ष रथयात्रा प्रारंभ होने के समय उपस्थित सभी भक्तों को दुपट्टा पहनाकर सम्मानित किया जावेगा । शोभायात्रा की विशेषता यह होती है कि प्रत्येक भक्त केशरिया रंग में रंगा होता है । रंगोत्सव समिति ने आमजनो से आग्रह किया है कि शोभयात्रा में शामिल भक्तो के ऊपर लाल , गुलाबी एवम केशरिया रंगों एवम गुलाल का प्रयोग करे । काले रंग , तैलीय रंगो का प्रयोग वर्जित रहेगा ।
संस्कारधानी के सभी भजन मंडलीयो एवम भजन गायको को इस अवसर पर फागुन के भजन गायन के लिए आमंत्रित किया गया है। संस्कारधानी की सभी भजन मंडलियों एवम गायक कलाकारों से चर्चा कर सहमति प्राप्त की जा चुकी है । समिति ने श्रद्धालु भक्तो से शोभायात्रा में शामिल होकर धर्म लाभ प्राप्त करने का आग्रह किया गया है । शोभायात्रा के मार्ग में माता – बहने अपने घर के सामने भगवान का पूजन कर भगवान के साथ होली खेल सकती है ।