सनसिटी में मुनि श्री ने तनाव से मुक्ति के कारण बताएं
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़)18 मई।युग प्रधान गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी ने आज यहां कहा कि दुनिया में यदि कोई सबसे बड़ा कोई धर्म है तो वह है प्रसन्नता। जीवन में सब कुछ हो किंतु शांति, आनंद, प्रसन्न्ता नमस्ते ना हो तो सब कुछ बेकार है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में एक समस्या उभर रही है और वह है तनाव। आज भारत जैसे धर्म मय देश में भी तनाव की वजह से आत्महत्या जैसे मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिस्थिति कैसी भी हो कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि मन में प्रसन्नता हो तो सभी समस्याओं का हल निकल जाता है। जीवन जीने की कला है प्रसन्नता।
मुनि श्री सुधाकर जी आज सनसिटी में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आप आठ सूत्रों को याद रखें और प्रसन्न रहे तो जीवन में कभी हताश नहीं होंगे। उन्होंने आठ सूत्रों के बारे में बताते हुए कहा कि 1. अपने में खुश रहे।2. दूसरों की कमियों को नहीं बल्कि दूसरों की खूबियों को देखो।3. जिंदगी में मुस्कुराना सीखो। 4. क्या करें कि सदा खुश रहे। 5. खुश कैसे रहें । 6. खुश रहना है तो खुशियां बांटना सीखें ।7. सकारात्मक सोच और 8. एलएमएल अर्थात लोड मत लीजिए।
मुनि श्री सुधाकर जी ने कहा कि किसी को कुछ मिलता है तो किसी को कुछ-कुछ मिलता है और किसी को बहुत कुछ मिलता है तथा किसी भाग्यशाली को सब कुछ मिलता है किंतु ऐसा भाग्यशाली कोई नहीं हुआ जिसे सब कुछ मिला हो। आप यह नहीं देखे कि आपके पास क्या नहीं है बल्कि आप यह देखें कि आपके पास क्या है। तुलना करने से दुख पैदा होता है, ईर्ष्या पैदा होती है इसलिए तुलना ना करें। दूसरों की कमियों को नहीं बल्कि दूसरों की खूबियों को देखें तो आपके मन में प्रमोद की भावना जन्म लेगी। अगर कर्मियों को देखोगे तो रिश्ते टूटेंगे अगर खूबियों को देखोगे तो रिश्ते जुड़ेंगे। उन्होंने कहा कि जिंदगी में मुस्कुराना सीखो। आप किसी से भी मुस्कुराते हुए मिलते हैं तो सामने वाला भी आपसे मुस्कुराकर ही मिलेगा।मुस्कान में बड़ी शक्ति है। हंसते रहिए, मुस्कुराते रहिए। उन्होंने कहा कि जहां जीवन है वहां समस्या है और जहां जीवन नहीं वहां कोई समस्या नहीं।
मुनि श्री सुधाकर जी ने कहा कि अगर चेहरे पर मुस्कान है तो आप गुस्सा कर ही नहीं सकते। इस गुस्से के कारण कितने परिवार टूट रहे हैं। इस गुस्से के कारण न जाने कितनी सफलताएं असफलता में बदल जाती है। उन्होंने कहा कि क्या करें कि सदा खुश रहें। आपके हाथ में रिमोट है। आज रिसीविंग सेंटर मजबूत है किंतु कंट्रोलिंग सेंटर कमजोर है। लोगों की कैचिंग पॉवर अच्छी है किंतु क्या सुनना है और किस चीज को ग्रहण करना है,यह वह नियंत्रित नहीं कर पा रहा है। हम चेतनशील प्राणी हैं हमें यह सोचना चाहिए कि किसे ग्रहण करें और किसे नहीं। हम अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते। तनाव के कारण ही आत्महत्या और अटैक जैसे मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पैसों की भूख बड़ी खतरनाक होती है यह आदमी की चैन छिन लेती है, नींद उड़ा देती है।
मुनि श्री सुधाकर जी ने खुश कैसे रहे विषय पर बताते हुए कहा कि हम काम को भार नहीं उपहार माने। अगर खुश रहना है तो काम को उपहार के समान लें और पूरी एकाग्रता से काम करें। खुश रहना है तो खुशियां बांटना सीखें जो आप देंगे, वही आपको लौट कर मिलेगा। अगर आप किसी को चंदन लगाते हो तो सामने वाले का माथा बाद में महकेगा पहले आपकी अंगुली महकेग़ी। आप अपनी सोच सकारात्मक रखें। आप इतने सकारात्मक रहे कि आपको स्वयं ही परिवर्तन का एहसास हो। उन्होंने कहा कि लोड मत लीजिए। जितना आप लोड लेंगे उतनी ही चिंता बढ़ेगी। जब आपका मन शांत रहेगा तब आप अपने सामने आने वाली बड़ी से बड़ी समस्या का भी समाधान ढूंढ निकालेंगे। अगर मन फेवरेबल है तो स्टार अपने आप फेवरेबल हो जाएंगे।
आज के कार्यक्रम में सनसिटी परिवार के विनोद बोहरा जी,प्रदीप गांधी जी,मिश्रीलाल जी गोलछा एवम सदस्य गण एवम तेरापंथी परिवार के सदस्य गण उपस्थित थे।