राजनांदगाँव(अमर छत्तीसगढ़) 1 जून। …शासकीय मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों का त्यागपत्र देकर जाना निरन्तर जारी है, कल भी मेडिकल कॉलेज के माइक्रो बायोलॉजी के एचओडी (फ्रोफेसर) डॉ. अम्बादे ने अपना त्यागपत्र दिया।
गौरतलब है, की पत्रकार ही मेडिकल कॉलेज को बचाने की जुगत में लगे हुए है, बाकी कोई नेता का मैदानी बयान या किसी प्रकार का आंदोलन देखने नही मिल रहा है।
लगता है मेडिकल कॉलेज के रहने से मात्र पत्रकारों को ही फायदा होने वाला है।
कुछ समय पहले राजनांदगाँव के नाम को बदल कर दिग्विजय नगर के नाम से रखने की आग शहर में लगी हुई थी, इस मामले को लेकर आंदोलन के लिए तक उतारू हो चुके थे।
क्या मेडिकल कॉलेज को बचाने के लिए आम जनमानस एक आंदोनल नही कर पा रहा है, आंदोलन तो छोड़ो, मेडिकल कॉलेज को बचाने के लिए नेताओं को ज्ञापन तक नही सौप पा रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज राजनांदगाँव शहर की शान है, इसे उजाड़ होने से आम जनता का सहयोग जरूरी है।
क्योकि आज और आने वाले समय मे हर वर्ग की पहली जरूरत हॉस्पिटल ही होगी।
यदि कोई जनप्रतिनिधि इसमें पहल करे तो निश्चित ही धीरे-धीरे इस आंदोलन में जनसैलाब उमड़ पड़ेगा, और मेडिकल कॉलेज को नया जीवनदान मिलेगा।