राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ) 12 जून। विश्व पर्यावरण दिवस के अतीव महत्तम परिप्रेक्ष्य में संस्था प्राचार्य डॉ. आलोक मिश्रा के प्रमुख संरक्षण में तथा डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी के मुख्य संयोजन में पर्यावरण संरक्षण संवर्धन संदेश विमर्श आयोजित हुआ। सर्वप्रथम डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने कहा कि चतुर्दिक बढ़ते पर्यावरण संकट एवं स्वच्छ पेयजल की कमी में तथा बढ़ते तापमान पर सहज-सार्थक नियंत्रण के लिए हरियाली-वृक्षावली का संरक्षण-संवर्धन आज प्राथमिक आवश्यकता बन गई है।
विशेष रूप से देश-धरती के वन प्रांतरों की संरक्षा हर हाल में करनी होगी। सिकुड़ते वनक्षेत्र और जंगलों में फैलती आगजनी को रोकना ही होगा। और इसके लिए सर्वजन-जन को जागरूक होकर अपनी दैनिकचर्या में हरियाली-जल-मिट्टी-वायु जैसे प्रमुख पर्या तत्वों को संरक्षरित संवर्धित करने के लिए नित्य पहल करनी ही होगी। वैसे भी प्रकृति पर्यावरण संरक्षण संवर्धन का मूल-सूत्र है, वन है तो जल है और जल है तो जीवन है और जीवन की खुशहाली – समृद्धि के लिए प्राकृतिक पर्या तत्वों जल-मिट्टी-वायु-अग्नि (तापमान) एवं आकाश को मूलत: शुद्ध स्वरूप में होना आवश्यक होता है। इसके लिए जन-जन ही सहज-सार्थक पहल कर सकते हैं और फैलते प्रदूषण को रोक सकते हैं।
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित प्रो. एम.के. मेश्राम, रमन साहू, बी.एल. देवांगन एवं राहुल मेश्राम के द्वारा पर्यावरण बचाने के लिए फलदार और हरयाली वाले पौध रोपण के लिए संकल्प लिया गया। तथा पर्यावरण संरक्षण संबंधी नारों – संदेश का उद्घोष किया गया।