अपने काम के लिए धूप में घंटों खड़े रह सकते हो, दूसरों के लिए पांच मिनट भी ज्वालामुखी जैसी तपिश देता है: श्री विरागमुनि जी

अपने काम के लिए धूप में घंटों खड़े रह सकते हो, दूसरों के लिए पांच मिनट भी ज्वालामुखी जैसी तपिश देता है: श्री विरागमुनि जी

आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024

रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 7 जुलाई। जैन संत श्री विरागमुनि जी का रायपुर प्रवेश हो चुका है और वे जिनवाणी की वर्षा करते हुए शहर के श्रावक-श्राविकाओं को लाभान्वित कर रहे हैं। जिनवाणी की वर्षा के क्रम में रविवार को दीर्घ तपस्वी श्री विरागमुनिजी के श्रीमुख से विवेकानंद नगर में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने प्रवचन का लाभ लिया। रायपुर शहर में चल रहे प्रवचन श्रृंखला के दौरान उन्होंने मन के रोग के संदर्भ में कहा कि अगर आपको 50 लाख रूपए का पेमेंट लेना हो तो आप धूप में घंटों तक खड़े रह सकते है। वहीं, आपके अगर दुकान में ग्राहक नहीं आ रहे तो आपको एसी में बैठकर भी गर्मी लगने लग जाएगी। जब तक हम अंदर से संतुष्ट नहीं होंगे तब तक हमें बाहर की विकृतियां दिखती रहेगी। हम अपने लिए तो कई घंटे धूप झेल सकते है लेकिन दूसरों के लिए पांच मिनट खड़ा होना भी ज्वालामुखी पर खड़े होना जैसा लगता है।

मुनिश्री कहते है कि आज व्यक्ति मैं-मैं, मेरा-मेरा करते रहता है। मैंने बच्चों को पढ़ाया-लिखाया, पत्नी के लिए ऐसा किया, माता-पिता की सेवा की, दोस्तों-रिश्तेदारों का भरपूर सहयोग किया लेकिन किसी ने मेरे लिए कुछ नहीं किया, किसी ने मेरे बुरे समय में मेरा साथ नहीं दिया। जबकि यही सत्य है, इस दुनिया में किसी का कोई नहीं है। इसीलिए आपको अपनी आत्मा को पहचानना होगा क्योंकि जब आप अपनी आत्मा को पहचान लेंगे तो आपको किसी के सहयोग का इंतजार नहीं रहेगा। वैसे तो इस दुनिया में लगभग हर आदमी दुखी है, आप जिसे देखो चेहरा मुरझाया हुआ दिखता है, किसे से पूछेंगे तो वह अपनी दुख भरी कहानी सुनाएगा। अगर आपने इस दुख के पैटर्न को समझ लिया तो आप किसी ज्योतिष की तरह दूसरों का दुख उसके चहरे को देखकर ही बता सकते है। कारण यह है कि आज तक व्यक्ति ने आध्यात्म की स्पर्शना नहीं की। आज बाहर जितना भागमभाग मची हुई है, उससे कहीं ज्यादा भागदौड़ आपके अंदर मची हुई है। इसे सुलझाने के लिए आपको अपने गुरू को सारी बातें बता देनी चाहिए क्योंकि गुरू आपकी सारी समस्याओं को सुलझा सकता है बशर्तें उन्हें सभी बातें पता होनी चाहिए।

एक बार की बात है एक व्यापारी लकड़ी का सामान बनाता था। लकड़ी पर नक्काशी कर वह उन्हें बेचकर खूब मुनाफा कमाता था। अपने गुरू को उन्होंने एक दिन यह बात बताई कि गुरूजी आपकी कृपा से मेरा व्यापार बढ़िया चल रहा है और अब जीवन अच्छा चल रहा है। गुरू ने तुरंत उसे यह काम बंद करने को कहा और बताया कि लकड़ी की नक्कासी करना न्यायोचित कार्य नहीं है, उससे पाप लगता है। उसने तुरंत अपना काम बंद कर दिया और पूरा कारोबार अपने पार्टनर को सौंपते हुए कहा कि अगर व्यापार से मुनाफा होने वाले पैसे भी तुम मुझे नहीं दोगे तो भी चलेगा। एक बार बड़ा मुनाफा हुआ और पार्टनर ने आकर उससे कहा कि मुनाफा बहुत बड़ा हुआ है, तुम गुडविल के 80 लाख रूपए ले लो तो उसने कहा कि यह पैसे भी तुम रख लो क्योंकि मैंने अगर यह पैसे तुमसे ले लिए तो जैसे-जैसे व्यापार बढ़ता रहेगा वैसे-वैसे मुझ पर पाप भी चढ़ता रहेगा।

वॉलफोर्ट एनक्लेव-1 में होगा गुरू भगवंतों का पदार्पण
आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के प्रचार प्रसार संयोजक नीलेश गोलछा और तरुण कोचर ने बताया कि जिनवाणी की वर्षा के क्रम में गुरू भगवंत 08 जुलाई की सुबह 5.30 बजे कटोरा तालाब जय कुमार बैद के निवास से विहार करते हुए वॉलफोर्ट एनक्लेव-1 पहुंचेंगे। यहां क्लब हाउस में सुबह 9 से 10 बजे मुनिश्री का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।

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