आत्मपर्शी चातुर्मास 2024
सदर बाजार जैन मंदिर से दादाबाड़ी तक निकलेगी भव्य शोभायात्रा
रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 10 जुलाई। जैन संत श्री विरागमुनि जी का रायपुर प्रवेश हो चुका है और वे जिनवाणी की वर्षा करते हुए शहर के श्रावक-श्राविकाओं को लाभान्वित कर रहे हैं। जिनवाणी की वर्षा के क्रम में बुधवार को दीर्घ तपस्वी श्री विरागमुनिजी के श्रीमुख से भैरव सोसायटी में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने प्रवचन का लाभ लिया। रायपुर शहर में चल रहे प्रवचन श्रृंखला के दौरान उन्होंने कहा कि एक छोटे बच्चे को क्रोध करना उसके मां बाप नहीं सिखाते हैं फिर भी उसे क्रोध करना आता है। अनादि काल से हम अपने साथ इसे लेकर चल रहे हैं। ऐसे ही 10 आदतें हम अपने साथ लेकर चल रहे हैं, जिसमें आहार, भय, मैथुन, परिग्रह, क्रोध, लोक, माया, ओघ, भोग और लोभ शमिल हैं।
मुनिश्री ने कहा कि हमें इन 10 आदतों को छोड़ना होगा बस फिर कैवल्य मार्ग हमारे लिए आसान हो जाएगा। इन 10 आदतों को छोड़ने के लिए हमें 4 धर्म करना है जो कि दान, शील, तप और भाव है। दान का अर्थ धन का त्याग करना होता है पर यहां तो साधु साध्वियों के पारणे की बोलियां लगाई जा रही है। श्रावक-श्राविकाओं को उपवास करने पर चांदी का सिक्का दिया जा रहा है, यह सरासर गलत है। यहां भाव की प्रमुखता होनी चाहिए, धन का प्रयोग केवल वहां करना चाहिए जहां धन की आवश्यकता है। बिना भाव और तप के उपवास करने का कोई मतलब नहीं है बल्कि ऐसा करने से आप अपना कर्म बांध रहे हो।
जिन भाव के साथ पाप किया उन्हीं के साथ प्रायश्चित करो
मुनिश्री ने बताया कि आपने जिन भावों के साथ पाप किया है उन्हीं भाव के साथ आपको प्रायश्चित करना होगा। जब आपको कोई तकलीफ होती है तो आप किसी दूसरे को डॉक्टर के पास नहीं भेजते, ना ही आप पर्ची पर लिख कर भेजते हो और ना ही आप फोन पर बात करके बताते हो कि मुझे यह तकलीफ है। क्योंकि डॉक्टर के सामने जब तक आप खुद जाकर नहीं बताओगे कि आपकी तबीयत कैसी है वह नहीं समझ पाएगा और सही इलाज नहीं कर पाएगा। ठीक उसी तरह पैसे देकर पूजा करवाना, अपने नाम का यज्ञ-हवन करवाने से आप धर्म नहीं कर पाओगे। अपने पापों का प्रयश्चित करने आपको खुद ही भगवान के सामने जाना होगा। आपको मोक्ष प्राप्त करना है तो उसकी तैयारी आपको पहले से करनी पड़ेगी। आपको यह लगता है कि दीक्षा लेने से मोक्ष मार्ग आसान हो जाता है पर ऐसा नहीं है।
सही रास्ता चुनने ध्यान करो फिर उस राह पर चल पड़ो
मुनिश्री ने कहा कि मोक्ष प्राप्त करने आपको सही रास्ता चुनना होगा। इस सही रास्ते को चुनने के लिए आपको ध्यान करना होगा और आपको समर्पण का भाव रखना होगा। गुरु के प्रति समर्पण रखने वाला ही असली शिष्य होता है। गुरू को पारदर्शिता के साथ अपने पापों के बारे में बताएं तभी वे आपको सही रास्ता दिखा पाएंगे। वर्तमान समय में ऐसा नहीं होता। बच्चों की तो छोड़ो बड़े भी धर्म करने में पीछे हट रहे हैं। वे टीवी-मोबाइल पर अपनी मनपसंदीदा कार्यक्रम देखेंगे पर धर्म नहीं करेंगे। जब अगर बड़े ही धर्म नहीं करेंगे तो बच्चे क्या सीखेंगे। आपको ध्यान लगाना होगा और धर्म की राह पर आगे बढ़ना होगा। ध्यान केवल हॉल में बैठकर आंखें बंद करना नहीं होता बल्कि असली ध्यान वह जो किसी भी काम को करते समय भी आप कर सकते हैं। जिस चीज को पाना है उस पर ध्यान लगाने की जरूरत नहीं होती है, वह हर समय आपकी आंखों के सामने ही नजर आता है।
आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के प्रचार प्रसार संयोजक नीलेश गोलछा और तरुण कोचर ने बताया कि मुनिश्री का मंगल प्रवेश 15 जुलाई को होना सुनिश्चित हुआ है। मंगल प्रवेश के दिन सुबह 7:30 बजे सदर जैन मंदिर से दादाबाड़ी तक भव्य शोभायात्रा निकलेगी। वहीं, जिनवाणी की वर्षा के क्रम में 11 जुलाई से सदर बाजार में सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।