रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 12 जुलाई। श्रीमती किरणदेवी, प्रशांत तृप्ति, संचेती एवं संचेती परिवार की पहल से स्थानीय पुजारी पार्क पचपेड़ी नाका में मुनि शीतलराज म.सा. के प्रवेश के पश्चात मांगलिक कार्यक्रम नियमित रुप से प्रारंभ होग गया है। जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग पहुंच कर उनका सानिध्य प्राप्त कर मांगलिक मंत्र से ओत-प्रोत हो रहे है।
आयोजन के प्रमुख संचेती परिवार के अनुसार मुनि शीतलराज के सफल चातुर्मास समिति का गठन किया जा चुका है। जिसमें संरक्षक संतोष पुजारी, उमेदमल सुराना, ओमप्रकाश बरलोटा, मोहन चौरडिय़ा, अशोक पटवा, मुकेश तातेड़ अध्यक्ष-सुरेश सींगवी, सचिव-राजेश पुजारी, कोषाध्यक्ष-ज्ञानचंद बैद। सहसचिव-पंकज सुराना, सम्यक चतुरमोहता। भोजनशाला प्रभारी- अनिल बाघरेचा, ताराचंद सुराना, यशवंत कोटेचा संजय नाहटा, संजीव गुंदेजा, महावीर नाहटा।
आवास व्यवस्था प्रभारी- सुबोध सींगवी, शशांक नाहटा, अनिल मेहता, संतोष चौरडिया, नीरज अग्रवाल। मंच संचालन-विजय बागरेचा, अजय संचेती, शीतल पींचा, तृप्ति संचेती। धार्मिक सांस्कृतिक समिति-मीना पींचा, मोहिनी बाघरेचा, शीतल रामपुरीया, नीलु पागरिया, शशि गोलछा, प्रीति सेठिया। चिकित्सा समिति- डॉ. निर्मल बागरेचा, डॉ. अर्पण चतुरमोहता, डॉ. सुरभि चतुरमोहता, राजेश बागरेचा। चातुर्मास कार्यप्रभारी- संदीप सींगवी, प्रशांत संचेती, विनय पटवा, मनोज मेहता, मुनीष पागरिया, अभिषेक गोलछा, मनोज सेठिया, ललित बैद, सुनील बैद, संभव पारख, प्रवीण नाहटा।
महिला मण्डल- आनंद महिला मण्डल, आनंद बहु मण्डल। युवा मण्डल- सिध्दांत सींगवी, श्रेणिक सींगवी, मोहित ओस्तवाल, प्रिंस लुणावत, सौरभ बाफना, पराग सुराना, पीयुष लुणांवत। तपस्या प्रेरक- प्रेमचंदजी भंडारी, विजय संचेती। प्रचार प्रसार समिति-प्रमोद छतीसाबोहरा, निखिल नाहर। संचेती परिवार द्वारा एवं शीतल चातुर्मास समिति रायपुर के पदाधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार चातुर्मासिक दैनिक कार्यक्रम- प्रार्थना-प्रात: 6.30 बजे प्रवचन- सुबह 8.45 बजे से 9.45 बजे तक। अतापना-दोपहर 12.00 बजे से &.00 बजे तक। मौन मांगलिक- दोपहर 2.00 बजे। प्रतिक्रमण- सूर्यास्त पश्चात। धर्म-चर्चा- रात्रि 9.00 बजे से 9.&0 बजे तक। सुरुदेव का मौन- प्रति सोमवार एवं गुरुवार एवं प्रतिदिन दोपहर 12.00 बजे से &.00 बजे तक।
आगे बताया गया कि चातुर्मासिक आयोजन, चातुर्मास प्रारंभ- 20 जुलाई 2024। पर्युषण पर्व आरंभ- &1 अगस्त 2024। संवत्सरी महापर्व- 7 सितंबर 2024। सामूहिक क्षमापना- 8 सितंबर 2024। सामायिक स्वाध्याय सम्मेलन- 29 सितंबर 2024। भगवान महावीर स्वामी निर्वाण- 1 नवंबर 2024। उत्तराध्य्यन सूत्र वाचन-2 नवंबर 2024। ज्ञानपंचमी- 6 नवंबर 2024। चातुर्मास समापन- 15 नवंबर 2024 तथा आयोजन की विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क सूत्र, पंकज सुराना- 9827178899। सम्यक चतुरमोहता- 971&765000। शशांक नाहटा- 78987&1204। राजु भैया- 992164912&। विनोद भैया- 9977&47077। चातुर्मास लाभार्थी परिवार स्व. पुखराजजी, स्व. मोहिनीजी संचेती परिवार देवपुरी, रायपुर (छ.ग.)
48 सालों में एक दिन भी लेटकर नहीं सोए 72 वर्षीय शीतलराज महाराज
अ‘छी सेहत के लिए अ‘छी नींद जरूरी है लेकिन क्या यह संभव है कि कोई सालों से लेटकर सोया ही नहीं हो तो इस सवाल का जवाब जरा मुश्किल है। इस सवाल का जवाब श्वेतांबर जैन समाज के स्थानकवासी परंपरा के संत शीतलराज महाराज हैं। वे अपने 50 साल के साधु जीवन में पिछले 48 साल से आड़ा आसन त्यागी हैं। 72 वर्षीय संत इस दौरान कभी एक दिन या कुछ मिनिट भी कभी लेटकर नहीं सोए, जब भी सोए तो खड़े होकर या कुर्सी पर बैठे-बैठ ही सोए हैं। आड़ासन का त्याग करने वाले जैन समाज के वर्तमान में एकमात्र और &00 साल के इतिहास में दूसरे संत हैं।
उनकी इस आड़ासन नहीं लेने की कठोर साधना को नमन करने वाले देशभर में हजारों समाजजन हैं, लेकिन उनका अनुकरण करने वाला कोई नहीं। इसके चलते उन्होंने आज तक किसी को दीक्षा नहीं दी ना ही उनका कोई शिष्य है। इंदौर में आगामी चातुर्मास के लिए इंदौर आए शीतलराज महाराज कहते हैं कि 22 साल की उम्र में 50 वर्ष पहले वैराग्य धारण किया।
दीक्षा की प्रेरणा जोधपुर में आचार्य हस्तीमलजी से मिली। पिता नहीं चाहते थे कि दीक्षा लूं, लेकिन उन्हें किसी तरह मनाया। इसके बाद परिवार के लोग चाहते थे कि बहन की शादी हो जाए, इसलिए बहन की शादी रात में जिस मंडप में हुई उसी में सुबह मैंने दीक्षा ली। साधु जीवन का नाम ही त्याग है इसलिए आड़ासन व्रत धारण किया।
मुझसे पहले आचार्य जयमल के नाम की जानकारी है जिन्होंने आड़ासन व्रत धारण किया था। अखिल भारतीय श्वेतांबर जैन महासंघ के सचिव योगेंद्र सांड बताते है कि उनका आगमन शहर में चातुर्मास के लिए हुआ है। उनका चातुर्मास पोरवाल भवन जंगमपुरा में होगा। अपनी धर्म-साधना के लिए उनकी खास पहचान है। आड़ासन त्याग का व्रत पिछले 48 सालों से उन्होंने धारण किया हुआ है। पिछले 26 साल से शीतलराज महाराज हर दिन सूर्य अतापना लेते हैं। यानी दोपहर 12 से 2 बजे का समय छत पर गुजारते हैं। ह प्रतिदिन दोपहर 12 से 2 बजे और शाम 7 से रात 9 बजे और सोमवार और गुरुवार को पूरे दिन मौन साधना करते है। ह पिछले 18 साल से एकासन व्रत का पालन कर रहे हैं। इसमें एक समय भोजन ग्रहण करते हैं। अपने साथ हमेशा एक चादर और चोलपट्टा रखते हैं चाहे कितनी ही ठंड क्यों न हो।