आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024
रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 23 जुलाई। दादाबाड़ी में आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 के चौथे दिन मंगलवार को दीर्घ तपस्वी श्री विरागमुनि जी ने कहा कि आज लोगों को कश्मीर देखने का मन है, स्विटजरलैंड घूमने जाना है, परंतु आपको वहां भी सुख नहीं मिलेगा। आप चार दिन वहां गुजारोगे तो फिर आपका मन घर वापसी को लगा रहेगा। वैसे भी यह जीवन हमें ठहरने के लिए मिला है, घूमने के लिए नहीं। आज धर्मशालाओं को 5 स्टार होटल के रूप में विकसित किया जा रहा है, यह गलत है। हमें मोक्ष प्राप्त करना है और मोक्ष प्राप्त करने के लिए हमें किसी कठिन रास्ते से नहीं बल्कि सरलता के रास्ते पर चलना है।
उन्होंने आगे कहा कि पारदर्शिता के साथ सरल जीवन जियोगे तो मोक्ष का रास्ता आसान हो जाएगा। लोग आज दोहरा जीवन जीने लगे है। अपने सुख के लिए बहुत सारा धन खर्च करते है और गरीबों से मोलभाव करते है। लोग टीवी पर दूसरों की बहन-बेटियों को नाचते हुए देखते है और खुद की पत्नी को अगर कोई देख ले तो उनसे यह बर्दाश्त नहीं होता। यही दोहरा चरित्र है, अंदर से कुछ और बाहर से कुछ और। आप आज इसे छोड़ नहीं पा रहे हो, यह ठीक नहीं है। अगर आप भगवान की आज्ञा नहीं मानोगे तो इस संसार की परिक्रमा करते रह जाओगे।
उन्होंने एक प्रसंग के माध्यम से बताया कि एक श्रावक के बेटे की नई-नई शादी हुई थी। घर में बहु आई और घर के कामों में हाथ बटाने लग गई। समय बीतता गया और कुछ दिनों बाद बहु का काम में मन न लगता था। सास ने बोला क्या बात है बहु आजकल बुझी-बुझी सी रहती हो, ठीक से सोती नहीं हो क्या। यह बात उनकी बेटी ने सुन ली और मां को बताया कि भैया आज-कल शराब पीने लग गए है और बहुत देर रात घर आते है और इसलिए भाभी उनकी राह देखते हुए खुद भी जागती रहती है, इसके चलते उनकी नींद पूरी नहीं होती है। सास ने बहु से कहा अगर ऐसी बात है तो तुमने मुझे बताया क्यों नहीं।
तुम आज अपना काम कर समय से सो जाना आज दरवाजा मैं खोलूंगी। अगले दिन ठीक वैसा ही होता है, बहु सो जाती है और सास बेटे के आने का इंतजार करती है। रात को 12-1 बजे बेटा आता है और दरवाजा खटखटा है, दरवाजे के उस पार से बुलंद आवाज में मां कहती है कौन है। इतने में ही बेटे का पूरा नशा उतर जाता है और मां कहती है यह श्रावक का घर है और यह दरवाजा 9 बजे बंद हो जाता है फिर किसी के लिए नहीं खुलता अब तुम यहां से जाओ जो दरवाजा खुला मिले वहां चले जाओ। उतने में बेटा घर से दूर जाने लगता है और उसे एक खुला दरवाजा दिखाई देता है, वह उसके पास जाता है।
वह दरवाजा किसी घर का नहीं होता वह एक उपाश्रय होता है। कुछ देर श्रावकों की बात सुनकर उसका मन बदल जाता है और वह अब कभी घर नहीं जाता, अब उपाश्रय में ही गुरू की छत्रछाया में रहने लगता है और आध्यात्म जीवन को अपना लेता है। अब आप ही सोचिए, जिनवाणी के केवल कुछ शब्दों को सुनने मात्र से जीवन में कितना बदलाव आ सकता है, इसलिए हम सभी को हर उस अवसर का लाभ लेना जब जिनवाणी का श्रवण करने का मौका मिल जाए।
आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के अध्यक्ष पारस पारख और महासचिव नरेश बुरड़ ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।