सुखों के बीच में रहते हुए उनको छोड़ने वाला ही त्यागी,मजबूरी में छोड़ना त्याग नहीं-समकितमुनिजी…. घर में सुख शांति का वातावरण बनाने का एक ही सूत्र ‘जैसा सुख हो वैसा करों…. ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक प्रवचन

सुखों के बीच में रहते हुए उनको छोड़ने वाला ही त्यागी,मजबूरी में छोड़ना त्याग नहीं-समकितमुनिजी…. घर में सुख शांति का वातावरण बनाने का एक ही सूत्र ‘जैसा सुख हो वैसा करों…. ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक प्रवचन

हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 23 जुलाई। जन्म ओर मरण हमारे हाथ में नहीं है लेकिन इनके बीच जो भी होता है हम सोचते हमारी मर्जी के अनुसार होना चाहिए। हमे देव,गुरू,धर्म ओर चार मंगल की शरण मिली हुई है। इसके बाद भी उलटा सीखेंगे तो हम भी समय आने पर उलटा लटकना होगा। उलटा सीखने की बजाय सीधा सीख सभी से प्रेम से बात करे ओर व्यवहार में धर्म को कभी मत भूले। देव,गुरू व धर्म का हर जगह आदर व सम्मान करना चाहिए।

ये विचार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में मंगलवार को आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने आचारांग सूत्र के माध्यम से चर्चा करते हुए कहा कि बात आपकी होगी लेकिन आधार आगम का रहेगा। त्यागी वह नहीं है जो मजबूरी में किसी चीज को छोड़ दे बल्कि त्यागी तो वह होता है जो सुखों के बीच में रहते हुए उनका त्याग कर दे। कोई हमारा त्याग करे उससे पहले हम उसका त्याग कर दे। शुगर होने के बाद मिठाई का त्याग करने का पचक्खान लेना त्याग नहीं कह सकते।

त्यागी व्यक्ति तो स्वाधीन रहते हुए जो चीजे मिली हुई है उसे भी छोड़ता जाता है। मुनिश्री ने कहा कि दशवेकालिक सूत्र में फरमाया गया है कि ऐसा त्याग करो कि जीवन में परेशानी के पल ही नहीं आए। जीवन में सुखी रहना है तो प्रभु का यह सूत्र अपना लो ओर कोई हमसे पूछे क्या करे तो उनसे कहो ‘‘जैसा सुख हो वैसा करो’’। सास-बहु के ऐसा करने पर घर परिवार में सुख शांति का वातावरण बन जाएगा। शुरू में गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. ने भजन ‘गुरूवर तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।

धर्मसभा में मौजूद गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. के वीर पिता श्री नरेश जैन एवं वीर माता सीमा जैन एवं चित्तौड़गढ़ से पधारे सुश्रावक प्रेमचंद भड़कत्या व सुश्राविका अंगूरबाला भड़कत्या का श्रीसंघ द्वारा सम्मान किया गया। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक होगा।

शनिवार को सामूहिक सामायिक व रविवार को सास-बहू दिवस

समकितमुनिजी म.सा. ने धर्मसभा में बताया कि आगामी शनिवार 27 जुलाई को 1500 सामायिक करनी है। कोई दो,कोई तीन-चार सामायिक भी कर सकता है। इस दौरान प्रवचन का विषय ‘‘कमाई को कैसे बढ़ाए’ रहेंगा। इसी तरह रविवार को दोपहर 2.30 से 4 बजे तक विशेष प्रवचन के दौरान सास-बहू दिवस मनाया जाएगा। सास-बहू दोनों को एक साथ प्रवचन में आना है। ड्रेस कोड बहु के लिए लाल रंग व सासु के लिए पीला रंग रहेगा। रविवार सुबह 8.45 से 9.45 बजे तक समकित सामायिक का आयोजन भी होगा।

पुण्यकलश आराधना 27 जुलाई से शुरू होगी

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में 27 जुलाई से 13 अगस्त तक 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना होगी। इसके तहत प्रवचन के बाद प्रतिदिन 35 मिनट पुण्य का खजाना भरने की विधि कराई जाएगी। पुण्यकलश आराधक को एक दिन उपवास व एक दिन बियासना करना होगा। पुण्यकलश आराधना की शुरूआत 27 जुलाई को बियासना से होगी। चातुर्मास के दौरान 13 वर्ष तक के बच्चों के लिए 3 से 17 अगस्त तक अखिल भारतीय स्तर पर चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप का आयोजन होगा। इसमें सहभागी बनने के लिए अब तक देशभर से सैकड़ो बच्चें पंजीयन करा चुके है। पहले दिन 3 अगस्त को पूरे दिन खान-पान में अधिकतम 15 द्रव्य का उपयोग कर सकंेंगे प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 17 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा। पानी,दूध,पेस्ट व दवा द्रव्य सीमा में शामिल नहीं है।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

Chhattisgarh